युगवाणी – हिमालयी सरोकारों की प्रतिनिधि पत्रिका

हिमालयी सरोकारों की प्रतिनिधि पत्रिका “युगवाणी” सन 1947 में प्रारम्भ की गयी थी. इस पत्रिका को प्रारम्भ करने का श्रेय प्रोफेसर भगवत प्रसाद पंथरी, आचार्य गोपेश्वर कोठियाल और तेज राम भट्ट को जाता है. वर्तमान में श्री संजय कोठियाल इसके सम्पादक हैं. उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों को लेकर इस पत्रिका की ऐतिहासिक भूमिका रही है.टेहरी राजपरिवार के विरुद्ध जनाक्रोश का मामला हो या चिपको आन्दोलन से जुड़े मुद्दे – इन सभी में इस पत्रिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है.

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प्रेम सिंह जीना

50 राष्ट्रीय और 25 अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी; 1996-97 में भारतीय इतिहास अनुसंधन परिषद फ़ैलोशिप। अनेकों किताबें तथा लेख प्रकाशित।
युवाओं के नाम संदेशः आपसी मतभेद भुला कर उत्तराखण्ड के विकास में जुट जाएँ। उत्तराखण्ड में सरकार को संविधान की धारा 370 के प्राविधन लागू करने के लिए बाध्य करने का प्रयास करें।

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चमेली जुगराण

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय वर्कले से सोशल वेलपफेयर में डिप्लोमा; रॉयल कालेज ऑफ आर्ट एंड डिजायन स्टाकहोम (स्वीडन) से पेंटिंग में डिप्लोमा; भारतीय विद्या भवन से पेंटिंग में प्रमाण पत्र; त्रिवेणी कला संगम, दिल्ली से पेंटिंग के कोर्स; जाम्बिया और लुसाका में पेंटिंग सीखी। पेंटिंग की देश-विदेश में एकल तथा ग्रुप प्रदर्शनियाँ। लेखन में रुचि; पहला कहानी संग्रह 1990 में प्रकाशित। 505 चिल्ड्रन्स विलेज ऑफ इण्डिया में काउंसलर।

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व्योमेश चन्द्र जुगरान

नवभारत टाइम्स में उत्तराखण्ड सहित विभिन्न सामाजिक व अन्य सरोकोरों से जुड़े विषयों पर दर्जनों लेख व रिपोर्टस प्रकाशित। ऐतिहासिक उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान पत्रकार के रूप में सजग भूमिका। पेइचिंग में हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा वितरित मुख्य रिपोर्ट के हिन्दी अनुवाद में उल्लेखनीय भूमिका। मनोरमा इयर बुक के लिए विशेष लेखन- 1995 में बाल श्रम पर ‘कवर स्टोरी’। उत्तराखण्ड के लगभग सभी प्रमुख ट्रैकिंग रूटों व दुर्गम स्थानों की यात्रा।

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हरीश चन्द्र जयाल

अनेक मंत्रालयों में निष्ठा तथा ईमानदारी से महत्वपूर्ण कार्यों में सक्रिय भागीदारी। वर्तमान में वाणिज्य मंत्रालय में निदेशक के पद पर कार्यरत। उत्तरांचल की जनता से विशेष लगाव। उत्तरांचल के विकास से सम्बंधित कार्यों में निरंतर सहयोग। उत्तरायणी संस्था के संस्थापक सदस्य तथा इसके माध्यम से उत्तरांचल के विकास के लिए सदैव प्रयत्नशील।
युवाओं के नाम संदेशः युवावर्ग समझे कि उत्तरांचल में विकास की बहुत सम्भावनाएं हैं और वे अपनी कड़ी मेहनत व आत्मविश्वास से उत्तरांचल को एक बहुत ही प्रगतिशील व उन्नत राज्य में बदल दें।

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अनिल प्रकाश जोशी

ग्रामीण तकनीक केन्द्रित विकास के कार्यक्रम। पर्वतीय समुदायों के संसाधन केन्द्रित आर्थिक सशक्तीकरण हेतु प्रयास। स्थानीय संसाधन केन्द्रित व्यवसाय, घराट संगठन, फल केन्द्रित संगठनों का निर्माण
युवाओं के नाम संदेशः पर्वतीय क्षेत्र संसाधन सम्पन्न हैं लेकिन आर्थिक रूप से गरीब हैं। स्थानीय संसाधनों के सदुपयोग से ही हमारा भला हो सकता है।

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कमल जोशी

उत्तराखण्ड के अनेक हिस्सों का पैदल भ्रमण। अस्कोट-आराकोट अभियान 1984 तथा 94 में शामिल। ट्रैकिंग, हिमालय, सिक्किम, राजस्थान और मध्यप्रदेश की फोटोग्राफी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित; प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के गढ़वाल संवाददाता; ऐसोसिएटेड प्रेस के फोटो जर्नलिस्ट; विभिन्न एन.जी.ओ. के जन-संचार एवं डाक्यूमेन्टेशन सलाहकार; कई हिन्दी-अंग्रेजी पत्रिकाओं का संपादन; ‘पहाड़’ पत्रिका में फोटो संपादक

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