चारु चन्द्र चंदोला

1. तीन पुस्तकें प्रकाशित 2. जयश्री सम्मान से सम्मानित 3. पिछले 35 वर्षों से युगवाणी में सम्पादकीय सहयोग 4. कविताओं में क्षेत्रीय पहचान को प्रतिनिधित्व 5. पत्रकारिता में ‘सरग दिदा’ के नाम से क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग।

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प्रेमानन्द चन्दोला

तीन वर्ष अध्यापन के बाद 1960 में, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के वैज्ञानिक तथा केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय तथा वैज्ञानिक शब्दावली निर्माण के अलावा तकनीकी शब्दावली आयोग की सेवा में चयन। सेवाकाल के दौरान ‘विज्ञान गरिमा सिंधु’ त्रैमासिक का संपादन। देश की शीर्ष पत्रिकाओं में 1500 से अधिक लेख, नाटक, कविता, संस्मरण, कथा आदि प्रकाशित। 76 ग्रंथों/पुस्तकों का लेखन, संपादन, सह लेखन, अनुवाद।1984-85 में ‘पर्यावरण और जीव’ पुस्तक पर हिन्दी अकादमी, दिल्ली ने ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ दिया।पर्यावरण, वन तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों द्वारा श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए पुरस्कृत। 1995 में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का ‘आत्माराम पुरस्कार’ राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त किया।

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हरिश्चन्द्र चन्दोला

1950-1954 अंग्रेजी दैनिक हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्ली तथा 1955-1961 से टाइम्स ऑफ इण्डिया, नई दिल्ली में सम्वाददाता तथा उप सम्पादक।1962-64 तक इण्डियन एक्सप्रेस के अफ्रीका तथा मध्यपूर्व संवाददाता।अल्जीरिया के स्वतंत्रता संग्राम, कांगो की लड़ाई ऑर्गनाइजेशन ऑव अफ्रीकन यूनिटी (ओ.ए.यू.), इराक में सत्ता परिवर्तन तथा प्रधानमंत्री अब्दुल करीम कासिम के मारे जाने आदि महत्वपूर्ण घटनाओं की रिपोर्टिंग। पं. नेहरू के साथ विदेश यात्रा में शामिल। 1964-68 नागालैण्ड में शान्ति स्थापना तथा नागा-भारत शान्ति वार्ता में सहायक। सिंगापुर में स्टेट्समैंन के दक्षिण पूर्व एशिया संवाददाता। अनेक पत्रों के लिए वियतनाम, कम्बोडिया तथा लाओस में युद्ध का वर्णन।द गार्जियन तथा इंडिपेंडैन्ट(लन्दन) के संवाददाता।1982-93 तक इण्डियन एक्सप्रेस के मध्यपूर्व एशिया संवाददाता। इसी दौर में ईरान-इराक युद्ध, इजरायल का लेबनान पर आक्रमण तथा 1990-91 के अमेरिका के इराक युद्ध की रिपोर्टिंग। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन।

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गोविन्द चातक

आकाशवाणी दिल्ली में 4 वर्षों तक सहायक प्रोड्यूसर, नाटक; इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज में प्राध्यापक।लोक साहित्य, भाषा विज्ञान, संस्कृति और नाट्य समीक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया।5 नाटक प्रकाशित- केकड़े, दूर का आकाश, अंधेरी रात का सफर, बाँसुरी बजती रही। नाट्य समीक्षा ग्रन्थ ‘प्रसाद के नाटक स्वरूप और संरचना’, ‘आधुनिक हिन्दी नाटक का मसीहा मोहन राकेश’ विशेष रूप से चर्चित। ‘गढ़वाली लोक गीत’ (साहित्य अकादमी), ‘गढ़वाली लोक गाथायें’ आदि भी उल्लेखनीय हैं। भाषा के क्षेत्र में ‘मध्य पहाड़ी परम्परा और हिन्दी, पहाड़ी भाषा के अध्ययन रूप में मानक ग्रन्थ। पर्यावरण और संस्कृति के संकट पर भी विशेष लेखन। अब तक लगभग 20 पुस्तकों का लेखन। ‘जय श्री सम्मान’। ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’, ‘रामनरेश त्रिपाठी पुरस्कार’, साहित्य कला परिषद दिल्ली प्रशासन का नाटकों का सर्वोच्च पुरस्कार, ‘पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार’ जैसे पुरस्कार पुस्तकों पर दिए गए हैं।

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रवि चोपड़ा

एप्रोप्रियेट टैक्नोलॉजी वर्कशॉप के डायरेक्टर। सेन्टर फॉर साइन्स एण्ड इन्वायरनमेंट (CSE) के रिसर्च फ़ैलो तथा निदेशक, श्रुति के परामर्शदाता। 1988 से पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट (PSI), देहरादून के निदेशक। हिमालय फाउण्डेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी तथा अनेक सरकारी-गैर सरकारी समितियों के सदस्य हैं या रहे थे। हिमालय के संसाधनों-विशेष रूप से पानी- पर विस्तृत अध्ययन। अनेक लेखों, किताबों के लेखक, संपादक। CSE की पहली रिपोर्ट के सह संपादक।

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जगत सिंह चौधरी ‘जंगली’

30 वर्षों के लम्बे समय से कार्यरत। दो हेक्टियर उबड़-खाबड़ जमीन को वन-खेती के रूप में बदला। इस अद्भुत वाणी के कदम से वैज्ञानियों की सोच बदलने का प्रयास। विभिन्न ऊँचाईयों पर उगने वाले छप्पन प्रजातियों के चालीस हजार वृक्षों वाला वन निर्मित किया। पन्द्रह वर्षों के प्रयासों से एक ऐसा वन बनाया, जिसमें नगदी कृषि जैसे- अदरख, हल्दी, चाय सब कुछ पैदा होता है। राष्ट्रीय इंदिरा गाँधी वन मित्र पुरस्कार। अप्रैल 2002 में राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला द्वारा विशेष दौरा तथा 1 लाख रुपये का पुरस्कार।

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लीलाधर जगूड़ी

10 कविता संग्रह और एक गद्य पुस्तक प्रकाशित। 1997 में साहित्य एकेडमी पुरस्कार। भारतीय भाषा परिषद् पुरस्कार (वैस्ट बंगाल)।कविता में नई परम्परा की शुरुआत। युवाओं के नाम संदेशः अध्ययन से ही नई दृष्टि प्राप्त की जा सकती है।

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