बांके लाल कंसल

गांधी जी के आश्रम वर्ध में रहने के कारण सत्य और अहिंसा पर पूर्ण निष्ठा रही। जिसके कारण जीवन राष्ट्र सेवा में समर्पित होता चला गया। नेहरू जी से विशेष सम्बन्ध रहा। जिसके कारण इंदिरा जी ने बड़ा सम्मान दिया। नैनीताल में 1874 में आर्य समाज की स्थापना हुई, जो कि विश्व के प्राचीनतम आर्य समाजों में से एक है। जन्म से ही आर्य समाज से जुड़े रहे। सन 1937 से लगातार 13 साल तक म्यूनिसिपल कमिश्नर रहे। वर्तमान आर्य समाज मन्दिर हेतु 13 विभागों से जमीन दिलवायी। सर्वप्रथम विधवा विवाह की शुरूआत की।

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श्रीमती नसरीन फ़ातिमा काज़मी

देहरादून के शिया समुदाय और अपने परिवार की पहली महिला जिसने कौन्वेंट और पेशेवर शिक्षा प्राप्त की। होमियोपैथी चिकित्सापद्धति से फाइब्रॉइड यूटेरस का इलाज करने वाली पहली चिकित्सक। इस प्रयोग पर लिखा गया शोधपत्र होमियोपैथी की अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी में पढ़ा गया जिसे बाद में अनेक चिकित्सकों ने दोहराया। अविभाजित उ.प्र. में सबसे कम उम्र में डिस्ट्रिक्ट होमियोपैथिक मेडिकल आफीसर बनने वाली चिकित्सक तथा पहली महिला डीएचएमओ, संभल में पर्दे से बाहर निकलने वाली पहली महिला।

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रजनीश कार्की

अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता की कम्पनी रजनीश कार्की एण्ड एसोसिएट्स का निर्माण जो व्यापार एवं प्रबंध्न हेतु रणनीति व संगठन डिजाइन हेतु सलाह देने का काम करती है।युवाओं के नाम संदेशः सकारात्मक सोच और कठिन मेहनत के साथ अपने लक्ष्य को भेदें।

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एस.पी. काला

1976 में भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑव कम्पनी अफेयर्स में द्वितीय श्रेणी अधिकारी के बतौर शामिल।1983 में इंडियन कम्पनी लॉ सर्विस के लिए चयन और अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 1998 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर हे.न.ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय में बिजनेस मैनेजमेंट विभाग के अध्यक्ष का पद संभाला।

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दुर्गा चरण (डी.सी.) काला

1945 में पहले लेख इलाहाबाद के ‘लीडर’ तथा ‘अमृत बाजार पत्रिका’ में प्रकाशित। शीघ्र ही ‘लीडर’ में नियुक्ति। 5 साल वहीं रहे। फिर ‘हिन्दुस्तान स्टैण्डर्ड’ दिल्ली में आया। 4-5 साल इस पत्र में रहे। फिर दिल्ली में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ सब एडीटर बने। दुर्गा दास, मुलगाँवकर, वर्गीज तथा अजित भट्टाचार्जी आदि सम्पादकों के साथ कार्य किया। बाद में न्यूज एडीटर बनाया गया। आपातकाल नहीं भाया और उसी तनाव में 1978 में पत्र से इस्तीफा दे दिया। जिम कार्बेट पर उनकी मशहूर किताब ‘कार्बेट ऑव कुमाऊँ’ प्रकाशित। शिकारी- घुमक्कड़ विल्सन पर किताब प्रकाशनाधीन।

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वैभव काला

पिछले सात वर्षों में हिमालय के विभिन्न हिस्सों (गढ़वाल, कुमाऊं, जंस्कार, नुब्रा, लद्दाख, चांगथांग, लाहुल, स्पीति, किन्नौर और अरुणाचल प्रदेश के दूरस्थ-दुर्गम इलाकों में पथारोहण करने के अलावा अनेक महत्वपूर्ण पर्वतारोहण एवं “वाइट वाटर राफ्रिटंग अभियानों में भी हिस्सा लिया।1995 में साहसिक पर्यटन कम्पनी- ‘अक्वा टेरा एडवेंचर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना की, जो लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, सिक्किम, आसाम, उड़ीसा और अरुणाचल प्रदेश में साहसिक अभियानों का संचालन करती है।

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हेम चन्द्र काण्डपाल

राचेस्टर यूनीवर्सिटी, न्यूयार्क (अमेरिका) के विश्वविख्यात वैज्ञानिक प्रो. एमिल वुल्फ द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत जो ‘वुल्फ प्रभाव’ (प्रकाश संचरण में व्युत्पन्न सम्बद्धता के कारण वर्णक्रम विस्थापन जो डाप्लर प्रभाव व गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से उत्पन्न वर्णक्रम विस्थापन से पूर्णतया भिन्न है) के नाम से विख्यात है, का प्रायोगिक सत्यापन किया तथा इनके उपयोगों का पता लगाया। उदाहरण के लिए सितारों के एंग्यूलर डायामीटर्स निकालने की नयी विधि तथा हाल ही में वुल्फ प्रभाव का क्वाजार-गैलैक्सी युग्म द्वारा प्रदर्शित अभिरक्त विस्थापन विवाद को सुलझाने के लिए विश्व में किया गया प्रथम प्रयोग आदि। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 70 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित। 1990 में सी.एस.आई.आर. द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्रदान किया गया।

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