प्रभात डबराल

सहायक संपादक, ‘जनयुग दैनिक’ 1977-1984 । विशेष समाचार संवाददाता, दूरदर्शन समाचार। अलग-अलग देशों के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति के साथ यात्राएँ तथा रिपोर्टिंग। राष्ट्रीय घटनाओं पर लिखना।

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आर.पी. डबराल

अनेक स्थानों पर राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया। त्रिवेणी कला संगम, धूमीमल आर्ट सेंटर, जहाँगीर आर्ट गैलरी में एकल प्रदर्शनी, अनेक दुर्लभ दृश्यों को चित्रांकित किया और संग्रहण भी।जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः कला-जगत में प्रवेश जिसने मुझे हर घटना, हर कार्य कलाप, (चाहे वह किसी व्यक्ति के साथ एक प्याला चाय पीना ही क्यों न हो) से कुछ ग्रहण करना सिखाया और हर नई कल्पना को सृजन का रूप देने का गुर सौंपा।

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पूजा डडवाल

‘हिदुंस्तान’, ‘इंतकाम’, ‘दबदबा’, ‘सिंदूर की सौगंध्’, ‘जीने नहीं दूंगी’, ‘कयामत से पहले’, ‘तुमसे प्यार हुआ’, ‘मृत्यु द ट्रुथ’, ‘मैडम नम्बर एक’ फिल्मों और जी.टी.वी. में ‘घराना’ और सब टी.वी. में ‘दुल्हन’ धारावाहिक में अभिनय।

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विक्रम चन्द ठाकुर

नेशनल मिनरल अवार्ड, भारत सरकार (1983-84)। फ़ैलो, भारतीय विज्ञान अकादमी। वाडिया इन्स्टीट्यूट, देहरादून के 12 वर्ष तक निदेशक इस दौरान संस्थान को शोध केन्द्र के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता व प्रसिद्धि दिलाई अंतर्राष्ट्रीय लिथोस्पफेयर कार्यक्रम में हिमालय समन्वय समिति के चेयरमैन (1992-96)। दून रत्न से सम्मानित।

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गजेन्द्र चन्द्र ठाकुर

आयकर विभाग को इसलिए छोड़ा था ताकि ज्यादा साफ-सुथरा कैरियर अपना सकूँ। बदले पेशे में काम करने का जोखिम भी लिया। मैसर्स बजाज इलैक्ट्रिकल्स में ब्रांच मैनेजर से कार्य प्रारम्भ कर मानव संसाधन तथा प्रशासन विभाग के प्रमुख के पद तक पहुँचा। वर्तमान में बजाज ग्रुप की एक कम्पनी के उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत।

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रघुनन्दन सिंह टोलिया

उत्तराखण्ड राज्य के गठन में कौशिक कमेटी रिपोर्ट को सफलता पूर्वक पूर्ण कर, भारत सरकार को प्रेषण। सिविल सेवा में 1971 में प्रवेश करने पर यह निर्णय किया था कि उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास में जो कुछ धुंधलापन है उसे साफ करने का प्रयास करूंगा। 1815 से 1858 तक काफी सीमा तक व्यवस्थित कर सका इसे। 1859 से 1884 तक अभी और व्यवस्थित करना है। सेवा में आने के बाद उत्तराखण्ड के आर्थिक विकास में योगदान करने की सेवा पर्यन्त (32 वर्ष) कोशिश। आज यह दुग्ध विकास, चाय विकास, जड़ी-बूटी व सुगंध पौध के क्षेत्र में कुछ दिखाई भी पड़ता है। अग्रेतर जैविक कृषि, बांस व रिंगाल तथा रेशा को शेष सेवा काल व सेवानिवृत्ति के उपरान्त एक मिशन के रूप में लेने की इच्छा।जन सहभागिता के क्षेत्र में थोड़ी बहुत सफलता।

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धर्म सिंह टोलिया

रामगंगा बांध परियोजना, कालागढ़ में कार्य। सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की में कार्य।सेन्ट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में जीओ टेक्नीकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष पद पर कार्य किया और 50 से अधिक शोधपत्र तथा 100 तकनीकी रिपोर्ट प्रकाशित। मै. स्पान कंसल्टैन्ट्स प्रा. लि. के लिए कार्य करते हुए भारत के अनेक प्रांतीय व राष्ट्रीय राजमार्गों को डिजाइन किया।

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