नैक्स्ट जनरेशन नेटवर्क के रूप में मैंने जो तकनीक विकसित की उसमें आर्थिक, व्यावसायिक तथा तकनीकी माडलों को बदलने की क्षमता है। मुझे इस बात का भी गौरव है कि वैंकूवर (कनाडा) के 2010 के शीतकालीन ओलम्पिक्स के तकनीकी हिस्से का नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है। फिलहाल मैं टी.ई.एल.यू.एस. ;कनाडा की सबसे बड़ी टेलीकॉम कम्पनीद्ध का उपाध्यक्ष तथा चीफ टैक्नोलॉजी आफीसर हूँ।
Read MoreDay: July 26, 2008
रमेश पहाड़ी
फरवरी 72 से अक्टूबर 74 तक ‘देवभूमि’ साप्ताहिक का सह संपादक तथा प्रबन्धक। नवम्बर 74 से ‘उत्तराखण्ड आब्जर्वर’ में प्रबन्धक और फिर सह संपादक। ‘अनिकेत’ का सम्पादन तथा प्रकाशन। इसे सितम्बर 2003 में 25 साल पूरे हो रहे हैं। ‘चिपको आन्दोलन’ में सक्रिय हिस्सेदारी। डुंगरी-पैंतोली पहुँचने वाले पहले चिपको कार्यकर्ता और पत्रकार। दशौली ग्राम स्वराज्य मण्डल के लोक सूचना केन्द्र के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का गहन सर्वेक्षण और अध्ययन। 1988 में स्थापित उमेश डोभाल पत्रकार संघर्ष समिति के संयोजक। 1986-87 में जल निगम की विश्व बैंक परियोजनाओं पर सवाल किया क्योंकि करोड़ों रुपये खर्च करके भी पानी नहीं आया था। इसी तरह अन्य मुद्दे उठाकर स्थानीय पत्रकारिता को नया अर्थ दिया। उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी के संस्थापक सदस्य। ‘अनिकेत’ को संघर्ष वाहिनी का मुखपत्र बनाया था।
Read Moreमुकुल पंवार
1975-1988 तक राष्ट्रीय संग्रहालय में सेवारत। 1988 से उद्योग मंत्रालय में उप निदेशक (डिजायनिंग) भारत भवन, भोपाल, सातवीं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी, हैदराबाद एवं अहमदाबाद, स्कल्पचर फोरम ऑफ इण्डिया, आइफेक्स की वार्षिक प्रदर्शनियाँ और साहित्य कला परिषद की प्रदर्शनियों में भागीदारी। 1980 में इण्टरनेशनल ट्रेड फेयर, दुबई में देश का प्रतिनिधित्व किया। यू.पी. आर्टिस्ट एसोसिएशन, आइफेक्स द्वारा क्रमशः 1970 और 1978 में सम्मानित। 1981 और 1990 में नेशनल अवार्ड से सम्मानित। विभिन्न विश्वविद्यालयों में परीक्षक।
Read Moreराम प्रसाद
प्रकाशिकी शोध व विकास में पेशेवर नेतृत्व, विज्ञान की सामाजिक भूमिका पर गहन कार्य, ‘वल्र्ड फैडरेशन ऑफ साइंटिफिक वर्कर्स’ के जरिए विज्ञान कर्मियों के आंदोलन का विश्वस्तरीय नेतृत्व, टेक्नोलॉजकल नर्सरियों व औद्योगिक बागानों की अवधारणा।
Read Moreजगदीश प्रसाद ‘जग्गू नौड़ियाल’
शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार (1987-88); राष्ट्रीय सहस्राब्दि हिन्दी सम्मान (पानीपत-2000) पद्मश्री डा. लक्ष्मीनारायण दुबे सम्मान (पानीपत-2001)। रचनाओं में गीतु की गाड़ (1963), समलौण (1979), मुनाल का पड़ोस (1985), कामधेनु की जर्जर काया (2003) प्रसिद्ध हैं।
Read Moreत्रिलोक सिंह पपोला
लखनऊ वि.वि., सरदार पटेल इंस्टटीट्यूट ऑव इकोनामिक एण्ड सोशल रिसर्च अहमदाबाद तथा बम्बई विश्वविद्यालय में शोध तथा शिक्षण कार्य। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑव मैनेजमेंट अहमदाबाद में प्रोफेसर। 1977 से 1987 तक गिरि इंस्टीट्यूट ऑव डवलपमेंट स्टडीज, लखनऊ के संस्थापक निदेशक/प्रोफेसर। 1987 से 1995 तक योजना आयोग के वरिष्ठ परामर्शी तथा सलाहकार। 1995 से 2002 तक ICIMOD काठमाण्डू में माउण्टेन इंटरप्राइजेज एण्ड इंन्फ्रास्ट्रक्चर डिविजन के प्रमुख। सम्प्रति- इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट, दिल्ली में प्रोफेसर। कैम्ब्रिज वि.वि. UNCTAD जिनेवा, ILO , UNDP, UNICEF,UNIDO आदि से भी सम्बन्धित रहे। अनेक चर्चित शोध पत्रों तथा पुस्तकों के लेखक और अनेक बार पुरस्कृत।
Read Moreहरी दत्त पन्त
बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन की ओर झुकाव। भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सेदारी। ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ षड्यंत्र के मुख्य आरोपी घोषित और गिरफ्तार। मृत्युदण्ड की सजा जो बाद में 29 साल के कठोर कारावास में बदल दी गयी। जेल के भीतर भी आंदोलन में सक्रिय। स्वतंत्रता के बाद सामाजिक कार्यों में संलग्न तथा गांव में जाकर रहने लगे। उत्तर प्रदेश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में एक।
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