सुरेन्द्र भण्डारी

पाँच बार भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एशियन जूनियर ताइक्वाण्डो प्रतियोगिता में रजत पदक प्राप्त किया। चाइनीज ताइवे अगस्त 2001 में, 14वें एशियन गेम्स बूसान 2002 में भारत के लिये ताइक्वाण्डो खेल में काँस्य पदक प्राप्त किया। राष्ट्रीय स्तर पर आठ स्वर्ण, एक रजत, तीन काँस्य पदक प्राप्त किये। राष्ट्रीय खेल पंजाब में 2001 में अपने राज्य के लिये काँस्य पदक जीता। विश्व कप के लिए चयन।

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मोहन चन्द्र भण्डारी

आपरेशन विजय के दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘अतिविशिष्ट सेवा मैडल’ से सम्मानित। वार कालेज (अमेरिकी सेना) में अन्तर्राष्ट्रीय फैलोशिप के लिए भारतीय सेना की ओर से नामित किया जाना। जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया सफल बनाने के लिए राष्ट्रपति द्वारा ‘अतिविशिष्ट सेवा मैडल (ए.वी.एस.एम.) से सम्मानित।

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मोहन चन्द्र भंडारी

नकारात्मक भूमिकाओं को करने के बावजूद पूरे देश में करोड़ों लोगों का प्रेम व समर्थन प्राप्त होना। इंटर बैंक ड्रामा कम्पटीशन में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार। मृगनयनी और परम्परा सीरियलों पर आशीर्वाद पुरस्कार।

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जगत सिंह भंडारी

वर्ष 1958 में श्री रामकोट काव्य प्रकाशन। वर्ष 1958 से लगातार कुमाउँनी रामलीला महोत्सवों में दिल्ली व बग्वालीपोखर में सक्रिय भागीदारी। 1968-69 में कुमाउँनी रामलीला का मलेशिया, सिंगापुर व थाईलैंड में मंचन। 1964-71 तक हिमाद्रिजा (हिन्दी मासिक) का प्रकाशन व सम्पादन, 1971-72 में बग्वालीपोखर क्षेत्र विकास परिषद का गठन। 1981 में दिल्ली में उत्तरांचल समाज का गठन। 1998 में अतुल नवोदय प्रकाशन बग्वालीपोखर का शुभारम्भ। 1999 में बग्वालीपोखर में पुस्तकालय व 2001 में श्रीमती धनुली देवी भंडारी ट्रस्ट का गठन व संचालन।

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राज भट्ट

बी.ए. में विश्वविद्यालय में तीसरा स्थान प्राप्त किया और यू.जी.सी. फैलोशिप हासिल कीऋ चार्टर्ड उकाउन्टेंसी में अखिल भारतीय श्रेणी, 1986-87 में एफ. फर्गुसन एंड कम्पनी में ऑडिट मैनेजर; 1988-92 क्रोम्टन ग्रीव्स लिमिटेड में मुख्य वित्त अधिकारी,1992-93 में सिएल कम्पनी मे मैनेजर कारपारेट फाइनेंस, 1993-95 सिएल कंपनी में जनरल मैनेजर, फाइनेंस, बहुराष्ट्रीय कम्पनी सिएटल लिमिटेड में मैनेजिंग डायरेक्टर, यह कंपनी मूलतः इंगलैण्ड की है और इंग्लैण्ड तथा दक्षिण अमरीका में काम कर रही है.

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चन्द्र मोहन भण्डारी

थाईलैण्ड, नार्वे, नाईजीरिया, आस्ट्रेलिया, कोलम्बिया और कनाडा 6 देशों में काम किया। कम्बोडिया में भारत के राजदूत तथा कनाडा में काउन्सिल जनरल रहे। पुनः विदेश मंत्रालय में वापस आ गये। तीन किताबें लिखी हैं। ‘सेविंग अंगकोर’, ‘जर्नी टू हैवन’, ‘योग शक्ति’।

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त्रिलोक चन्द्र भट्ट

पृथक राज्य आन्दोलन के ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में सबसे पहले दो भागों में प्रकाशित होने वाली पुस्तक‘उत्तराखंड आंदोलन’ का लेखन। पर्वतीय क्षेत्र की पृथक राजनैतिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए चले 20 वर्ष के संघर्ष में सक्रिय भागीदारी। दैनिक ‘बद्री विशाल’ में उत्तरांचल डेस्क प्रभार/उप संपादक।

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