चक्रधर सेमवाल

प्रमुख, विक्रय विभाग एवं विपणन मदर डेयरी, दिल्ली। प्रमुख संस्थाओं के लोजिस्टिक्स प्रमुख। मदर डेयरी तथा गढ़वाल हितकारिणी सभा की समर्पित टीम के साथ उत्तरकाशी भूकंप में 13 दूरस्थ गांवों में राहत का संचालन।

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गणेश दत्त सूथा

पिछले पदार्थों से क्रिस्टल बनाने की तकनीक की शुरूआत। फोटोकापिंग मशीन बनाने की तकनीक की नींव। सौर ऊर्जा तथा अन्य अपारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के दोहन की दिशा में अनुसंधान। सौर ऊर्जा केन्द्र की स्थापना। एक सौ से अधिक अनुसंधान पत्र, पांच पुस्तकें, तीन विद्यार्थियों को पी.एच-डी. आदि।

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गोविन्द बल्लभ सुन्दरियाल

शैक्षिक जीवन में सभी कक्षाओं में सर्वोच्च अंक, स्कूल, कालेज व विश्वविद्यालय सभी स्तरों पर मैरिट छात्रवृत्ति प्राप्त की। सेक्रेटरी (इंटरनेशनल अफेयर्स), फैडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री (फिक्की), 1981-90। सेक्रेटरी, ऑल इंडिया शिपर्स काउंसिल, 1978-90, सेक्रेटरी जनरल, एसोसिएशन ऑफ शिपर्स काउंसिल ऑफ बांग्लादेश, इंडिया, पाकिस्तान एण्ड श्रीलंका, 1985-87। सदस्य, संपादक मंडल तथा संयुक्त संपादक, इकानोमिक ट्रेंड्स. संस्थापक संपादक, शिपर्स डाइजेस्ट। वरिष्ठ अर्थशास्त्री/सलाहकार, बिड़ला इकोनोमिक रिसर्च फाउंडेशन (1990-97)।

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सूरजभान सिंह

प्रोफेसर (भाषाविज्ञान), केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, दिल्ली, बुखारेस्त पेरिस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, अध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार आदि पदों पर नियुक्त।

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विश्व नारायण सिंह

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में, हैदराबाद मुक्ति संग्राम तथा गोवा मुक्ति आंदोलन में हिस्सा लिया। दृष्टिहीनों की ब्रेल पत्रकारिता एवं साहित्य निर्माण के लिए सोवियत लैण्ड नेहरू अवार्ड तथा अन्य पुरस्कार प्राप्त किए। भारतीय ब्रेल पत्रकारिता व साहित्य के पिता के रूप में मान्यता।

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राम सिंह

लखनऊ में अपने सहपाठी लेखक मित्रों के प्रेरणा से स्वतंत्र भारत, नवजीवन, त्रिपथगा, ग्राम्या इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखे। तबसे सिलसिला चलता रहा। 1963 में सरकारी सेवा में प्रवेश और जून 1997 को राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त। लोक जीवन, पुरातत्व, संस्कृति, भाषा ;बोलीद्ध, स्थानीय इतिहास पर काफी लिखा है। पं. नैनसिंह यात्रा साहित्य तथा चम्पावत के जन इतिहास पर ‘रागभाग काली कुमाऊं’ पुस्तकें प्रकाशित। सुभाष बोस के सैनिकों के अनुभव पर आधारित पुस्तक, नई दिल्ली से प्रकाशनाधीन। कृषि तथा ग्रामोद्योग शब्दावली, भारत तथा अन्य पुस्तकों का लेखन जारी है। देश की राष्ट्रीय एकता हेतु अपने विचारों को रामजनम परजा के उप नाम से पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द के लिए समर्पित रहने की उत्कट अभिलाषा है। अपने स्वतंत्र विचारों पर मजबूती से डटे रहने के इरादे से सरकारी नौकरी से निकाले जाने की स्थिति में अपने आर्थिक स्वावलम्बंन हेतु 1976 में स्टील फर्नीचर का उद्योग ‘लौह लक्ष्मी’ स्थापित किया। इससे प्रेरणा लेकर इस समय समूचे पिथौरागढ़ जनपद में बीसियों इकाइयों में स्थानीय उद्यमी कार्य कर रहे हैं। इसे मैं अपनी उपलब्धि समझता हूं कि मेरे काम से प्रेरणा लेकर स्थानीय उद्यमियों में भी उद्योग स्थापित करने की हिम्मत बँधी।

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