गिरिराज शाह

1962 में राज्य पुलिस सेवा में सम्मिलित होकर 1974 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में प्रवेश किया। उत्तर प्रदेश में अनेक पदों पर सेवा करते हुए 1998 में पुलिस महानिरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त। सेवा के दौरान अत्यन्त संवेदनशील एवं सतर्कता की दृष्टि से प्रमुख स्थानों पर निष्ठा व ईमानदारी का परिचय देते हुए पुलिस बल के लिए आदर्श प्रस्तुत किए। 1990 के दौरान बिजनौर व आगरा में दंगाग्रस्त क्षेत्रों की कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियमित तौर पर चलाया।अनेक पुरस्कार व सम्मान प्राप्त किए। उत्तराखण्ड शोध संस्थान के संस्थापकों में एक। ट्रैकिंग तथा पर्वतारोहण में विशेष रुचि। लगभग 14 पुस्तकें प्रकाशित।

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त्रिलोचन शर्मा

जीवन में एक सफल शिक्षक के रूप में स्थापित हुआ। मौन पालन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की और मौन पालक कल्याण समिति का गठन कर उसका अध्यक्ष। ज्योतिष के क्षेत्र में अनुसंधान, अनेक लेख ज्योतिष पत्रिका ‘आग्रहायण’ में प्रकाशित। लेखन में विशेष रुचि।

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वी.एन. शर्मा

एक मंदिर कमेटी के माध्यम से अपने लोगों व मातृभूमि के आध्यात्मिक, आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए काम करने जरिया ढूंढना। वर्तमान में प्राविडेंट फंड, नई दिल्ली में कमिश्नर.

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लीलाधर शर्मा ‘पर्वतीय’

स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री के सहकर्मी।चार वर्ष से अधिक की दो जेल यात्राएं कीं। 1945 में जेल से छूटने के बाद पत्रकारिता में प्रवेश, दो पत्रों का संपादन, 300 से अधिक लेखों की रचना। अनेक पुरस्कृत पुस्तकों का लेखन व संपादन। हिन्दी समिति के वर्षों तक सचिव। प्रदेश व केन्द्र सरकार की पाठ्य पुस्तकों का लेखन व संपादन। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व उ.प्र. सरकार द्वारा विभिन्न सेवाओं के लिए सम्मानित। 1979 में उ.प्र. के सूचना विभाग में उपनिदेशक के पद से सेवा निवृत्त। अब भी लेखन व सामाजिक कार्यों में सलग्न।

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मदन मोहन लखेड़ा

कैप्टन से लेफ्टिनेंट जनरल तक प्रत्येक पद पर जम्मू कश्मीर में सेवा। सेना के एडजुटेंट जनरल के पद से सेवा निवृत्त। उत्तरांचल के अकेले सेनाधिकारी जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा परम विशिष्ट सेवा पदक, अतिविशिष्ट सेवा पदक, विशिष्ट सेवा पदक और दो बार चीफ आफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन प्राप्त हुआ।

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बिहारी लाल

वनवासी सेवा आश्रम मीरजापुर (सोनभद्र) में स्व प्रेम भाई धार ऐंच पाणी ढाल पर डाला चिपको आन्दोलन से 1976 से 9 मई 1977 के मार्ग दर्शन में जीवनआला, ग्रामीण आला और प्रौढ़ शिक्षा के प्रयोग।

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अश्विनी लोहनी

वर्ष 1998 में दुनिया की सबसे पुरानी रेलगाड़ी चलाने का गिनीज बुक का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को विश्व धरोहर के रूप में स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बोधगया के महाबोधि मंदिर को विश्व धरोहर बनाए जाने हेतु प्रयासरत। वर्ष 1996 में रेलवे मंत्रालय द्वारा रेलवे विरासत के संरक्षण में की गयी उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार। सूचना तकनीक के क्षेत्र में भारत में अनेक प्रथम स्थापित किए। नई दिल्ली के राष्ट्रीय रेल संग्रहालय का पुनर्उद्धार।

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