आपने गोपाल बाबू गोस्वामी के गाये ओ परुवा बौज्यू चपल के ल्याछा यस या फिर पतई कमर तिरछी नजर गाने सुने ही हैं, जिसमें एक स्त्री के रूप के साथ उसके फैशन के बारे में भी बात की गयी थी। आज जो गाना आप सुनने जा रहे हैं उसमें एक पति अपनी पत्नी के शानो-शौकत और फैशन से त्रस्त है और उसकी मांगो को पूरी करने में अपने आप को असमर्थ पाता है। मजेदार गाना है यह। भावार्थ : अरे तेरी इस शानोशौकत के क्या कहने,अरे मेरी संतरे के दाने…
Read MoreDay: July 21, 2009
मेरी कमला तो रोये ना, ओ…. सुवा घर ऊंल में चम
उत्तराखंड के पुरुषों का रोजी-रोटी के लिये पहाड़ को छोड़ना और सेना में भर्ती होना एक आम बात है। पति के सेना में होने से उसकी पत्नी पर क्या बीतती है इस पर हमने गोपाल बाबू गोस्वामी द्वारा गाये गीतों कैले बाजे मुरुली, घुघुती ना बासा जैसे गीतों के द्वारा चर्चा की थी। आज हम गोपाल बाबू के जिस गीत की चर्चा कर रहे हैं उसमें एक पति युद्ध भूमि की ओर प्रस्थान कर रहा है, और उसको छोड़ने को आई पत्नी रो रही है। अपनी पत्नी को दिलासा देता…
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