छाना बिलौरी कै भलो लांगुं, छाना बिलौरी का ज्वाना

कुमाऊंनी भाषा का एक बहुत पुराना लोकगीत है – “छाना बिलौरी झन दिया बौज्यू, लागनि बिलोरिक घाम“। इस गाने में एक युवती अपने पिता से मनुहार करती है कि उसकी शादी छाना बिलौरी नामक गांव/इलाके में न की जाये क्योंकि वहाँ अनेक प्रकार के कष्ट है और सबसे मुश्किल बात यह है कि तेज धूप पड़ने के कारण वहाँ गरमी होती है। उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोकगायक गोपाल बाबू गोस्वामी ने इस नकारात्मक गाने को झूठलाते हुए छाना-बिलौरी इलाके की प्रशंसा करते हुए एक गाना रचा – “दी दिया बौज्यू छाना…

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