चिलम की चिसकाटी व बकरी चोर

[पहाड़ों में बाघ और मानव एक साथ रहते आये हैं। इन बाघों को कुकुर बाघ, श्यूँ बाघ के नाम से भी जाना जाता रहा है। कभी कभी बाघ आदमखोर भी हो जाते हैं। नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने "सुमा हे निहोणिया सुमा डांडा ना जा"  गीत में भी इसी तरह की एक घटना का जिक्र किया है। देवेन्द्र मेवाड़ी जी अपने गांवों के किस्से हमें सुनाते रहे हैं। हाल ही में उनकी तुंगनाथ यात्रा का रोचक वर्णन भी काफी लोगों ने पसंद किया। आजकल वह हमें अपने गांव के श्यूँ…

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