भिनज्यू : हरफनमौला.. हरफन अधूरा

[हमारे साथ नये जुड़े श्री उमेश तिवारी ‘विश्वास की दाज्यू कथा का पहला भाग व दूसरा भाग आपने पढ़ा। आज प्रस्तुत है उनकी एक और रचना भिंज्यू-कथा का पहला भाग – प्रबंधक ] भिनज्यू एक आम पहाड़ी परिवार में एक विशिष्ट छवि लिए रहते हैं। उनकी यह छवि बरसों बरस से चले आ रहे पारस्परिक व्यवहार से बनी है। जैसे संसद में लोकसभा अध्यक्ष की। अन्यत्र उनका नाम चाहे कितनी ही बेअदबी से लिया जा रहा हो, भिनज्यू के रूप में संबोधित होते ही उनके अन्दर टूटा हुआ कॉच का…

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