चिपको के बहाने कुछ और बातें…

[पिछ्ले भागों में आपने पढ़ा कि किस प्रकार शेखर पाठक जी अपने साथियों के साथ गौरा देवी से मिले और कैसे हुई चिपको की शुरुआत। आज जानिये चिपको आंदोलन के बाद के परिदृश्य के बारे में। ] रैणी 1984 में पौने पाँच बजे हमारी सभा शुरू हुई। 1974 के रैंणी आन्दोलन में शामिल हरकी देवी, उमा देवी, रुपसा देवी, इन्द्री देवी, बाली देवी, गौमा देवी, बसन्ती देवी आदि सभा में आ गईं। सभापति जी के साथ गाँव के अनेक बच्चे और बुजुर्ग भी जमा हो गये। गौरा देवी ने सूत्रवत्…

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