डॉ. राजकुमार गुप्ता

डॉ. राजकुमार गुप्ता (Dr. Rajkumar Gupta)

(माताः श्रीमती लक्ष्मी देवी, पिताः स्व. आत्मा राम गुप्ता)

जन्मतिथि : 5 अगस्त 1932

जन्म स्थान : देहरादून

जिला : देहरादून

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 4 पुत्र, 1 पुत्री

शिक्षा : डी.एससी.

प्रारम्भिक शिक्षा- एच.एन. हाईस्कूल देहरादून

बी.एससी.- डी.ए.वी. कालेज देहरादून

एम.एससी. (बॉटनी)- इलाहाबाद विश्वविद्यालय

पीएच.डी.- पूना विश्वविद्यालय

डी.एससी.- फ्रांस

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1958 में जब अध्यापन कार्य छोड़ कर पांडीचेरी के फ्रैंच इंस्टीट्यूट में शोध अधिकारी बना।

प्रमुख उपलब्धियां : राजकीय इंटर कालेज टिहरी में जीवविज्ञान प्रवक्ता के रूप में कार्य करना प्रारम्भ किया और ‘डायनामिक्स ऑफ ओक-कोनीपफर फॉरेस्ट्स’ शोध कार्य किया। नैनीताल की वनस्पतियों पर ‘फ्लोरा नैनीतालेंसिस’ पुस्तक की रचना की। दो भागों में प्रकाशित एक अन्य पुस्तक ‘लिविंग हिमालया’ में भारत व विदेशों में किए गए मेरे अध्ययन सम्मिलित हैं। 1972 से 1992 के दौरान देहरादून के भूमि संरक्षण संस्थान में हिमालय के चिरंतन विकास के लिए संयुक्त जलागम प्रबंध् तकनीकों का प्रदर्शन किया। दून घाटी व फकोट क्षेत्र में फसलों की अनेक नई प्रजातियों की शुरूआत की। एफ.ए.ओ. में मुख्य तकनीकी सलाहकार के रूप में अफ्रीका में कार्य किया। 1992 में सेवानिवृत्ति के बाद सी.आर.ई.ए.टी.ई. के आनरेरी निदेशक के बतौर कार्यरत। अब तक 25 पुस्तकों और 300 से अधिक शोधपत्रों का लेखन किया है।

वर्तमान पता : डायरेक्टर, सी.आर.ई.ए.टी.ई.

युवाओं के नाम संदेशः देवभूमि उत्तरांचल सिर्फ़ मिट्टी-पत्थर का शरीर नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति का मूलाधार भी है। हमें इसकी संस्कृति की रक्षा करनी है और इसके प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन इस प्रकार करना है जिससे न सिर्फ़ इस क्षेत्र का बल्कि पूरे देश का पर्यावरण टिकाऊ बना रहे। हिमालय के प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन पूरे देश की स्थिरता के लिए आवश्यक है।

विशेषज्ञता : वनस्पति शास्त्र, कृषि क्षेत्र में शोध, अध्ययन-लेखन।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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