इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां

नरेन्द्र सिंह नेगी जी द्वारा गाये बहुत से गाने ऐसे है जिनमें उपमायें, भाव पूरी तरह से नये तरीके हैं। कुछ गाने आप पहले भी सुन चुके हैं जैसे रोग पुराणु कटे ज़िन्दगी नई ह्वैगे, तेरु मुल – मुल हैंसुणु दवाई ह्वैगे या फिर त्यारा रूप कि झौल मां, नौंणी सी ज्यू म्यारु । आज प्रस्तुत है इसी तरह का एक और गाना। इसका भावार्थ करना कफी कठिन है। इसलिये हम इसके भावार्थ के साथ साथ इसका पद्यानुवाद भी दे रहे हैं। इस गाने में प्रेमी एक सुन्दरी को देख कर यह समझ नहीं पा रहा है कि उसने उसने सुन्दरी को कहाँ देखा है, स्वपन में या फिर यह मात्र उसका भ्रम है। उस सुन्दरी को देख उसके मन में जिस तरह के भाव आते हैं उन्ही को नये तरीके के उपमानों द्वारा व्यक्त किया गया है।

भावार्थ : इस ही पृथ्वी में, इस ही जनम में कहीं तो देखा है उस सुन्दरी को, वह सुन्दरी जो अब मन में बस चुकी है। मेरी यह समझ में नहीं आ रहा है कि उसे किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।

sundari-roopsi वह पराये की क्यारी से चोरी की गई ककड़ी जैसी है, उधार में मिली पकोड़ी जैसी स्वादिष्ट है वो। कांटों के बीच छुपे हिसालू फल के गुच्छे सी, पिंडालू (अरबी) के पत्ते पर चमकती पानी की बूंद सी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।

किसी देवाने बुढ़े द्वारा देखे गये शादी के दिवा स्वप्न जैसी, गरमी की धूप में किसी झरने के शीतल जल की तरह है वो। काले बादलों के बीच चमकती चांदनी की तरह, दाता के मुंह को ताकते किसी भिखारी की नजर की तरह, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।

सरदियों के दिनों में गुनगुनी धूप जैसी है वो, किसी बच्चे मन में दूध-भात के लिये उठती आतुरता जैसी है वो। मिर्च से भरे खाने बाद मिली खीर जैसी मीठी, परदेश में मिलने वाली घर की चिट्ठी जैसी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।

शादी बारात में सालियों द्वारा दी गयी गाली जैसी, नाती पोतों को मिलने वाली दादी की ’झप्पी’ जैसी है वो। भूखे के आगे भोजन से भरी थाली जैसी, आंगन के कोने पर आती नारंगी की डाली जैसी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।

सोने जैसे सुन्दर गले में मोतियों की माला जैसी सुन्दर, पानी भरे बर्तन में चांद की परछाई जैसी सुन्दर, घनी अंधेरी रात में मशाल के प्रकाश जैसी, अंधेरे मन में आशा के उजाले जैसी, उसे मैने अखिर देखा कहाँ, किसी सपने में देखा था या फिर यह कोई भ्रम है।

गीत के बोल देवनागिरी में

इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां, इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां
देखि त छैं च कख देखि होलि,
रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां, रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां
देखि त छैं च कख देखि होलि- कख देखि होलि ..
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां, देखि त छैं च कख देखि होलि
रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां,
देखि त छैं च कख देखि होलि – कख देखि होलि ..
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?

चोरी काखड़ि, बिरानि सगोड़ीकि सी – छै वा , चोरी काखड़ि, बिरानि सगोड़ीकि सी – छै वा
सवादि येनि कि पैणेकि पकोड़ि सी – छै वा
काड़ों का बोटूमा हिंसारे गुन्दसि, पिंडाळू पातुमा उंसिकी बुन्दसि – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?

दाना दिवाना कि ब्योवाकि गांणि सी – छै वा , दाना दिवाना कि ब्योवाकि गांणि सी – छै वा
रुड़्यूं का घामूमा छोय्याको पांणि सी छै वा
बादळु बीचमा जूनी झलक्क सी, दाता का मुक्क मा मंगत्याकि टक्क सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू , कि बैम रै होलू ?

ह्यूंदि का दिनूमां घामै निवात्ति सी – छै वा , ह्यूंदि का दिनूमां घामै निवात्ति सी – छै वा
बाला का मनैकि स्यांणि दुद भात्ति सी – छै वा
मरच्यांणा खाणामा खीर जन मिट्ठि सी , दूर परदेस मा घोरैकि चिट्ठी सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?

ब्यो बर्यात्युं मां स्याळि सी गाळि सी – छै वा , ब्यो बर्यात्युं मां स्याळि सी गाळि सी – छै वा
नाति नत्येणों पर दादी अंग्वालि सी – छै वा
भूखा का अगाड़ी भोजने थालि सी, चौका तिराळि नारंगि डालि सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?

सूनैकि गौलिमा मोत्युंकि माला सी – छै वा , सूनैकि गौलिमा मोत्युंकि माला सी – छै वा
पांणिकि तौलिमा जूनि सौंडल्या सी – छै वा
औंसिकि घनाघोर राति मुछ्यालि सी – अंधेरा मन मां आसै उज्यालि सी – कख देखि होलि
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?

इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां, देखि त छैं च कख देखि होलि
रुपसि बांद ज्वा बसिगे मन मां, देखि त छैं च कख देखि होलि – कख देखि होलि ..
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?
सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ? सुपिन्यु ह्वै होलू, कि बैम रै होलू ?

गीत का पद्यानुवाद

इसी धरती पर इसी जनम में, देखा तो है पर देखा कहाँ roopsi
रूपसी जो बसी है मन में, देखा तो है पर देखा कहाँ, देखा कहाँ
स्वप्न है ये, या है ये वहम….

पराये के घर से चोरी ककड़ी सी है वो, भूखे को दान में मिली पकौड़ी सी है वो,
काटे भरे पेड़ में हिसालू की फून्द, पिंडालू के पात में ओस की बूँद
स्वप्न है ये, या है ये वहम….

दीवाने बूढ़े  के शादी के सपने सी है वो, गरमी की धूप में ठंडे पानी सी है वो,
काले बादल में चांदनी की झलक, दाता को तकते भिखारी की ललक
स्वप्न है ये, या है ये वहम….

सरदी के महीने की गुनगुनी धूप सी है वो, दूध की बच्चे को लगी भूख सी है वो,
मिर्च खाने के बाद मिली खीर जैसी, परदेश में राँझा को मिली हीर जैसी
स्वप्न है ये, या है ये वहम….

शादी में साली की प्यारी गाली सी है वो, दादी की गोद में मिली खुशहाली सी है वो,
भूखे के आगे ज्यों भोजन की थाली,  आँगन की कोने में नाँरगी की डाली
स्वप्न है ये, या है ये वहम….

सोने से गले में मोती की माला सी है वो, पानी के बर्तन में चांद की छ्टा सी है वो,
घने अंधकार में जलती मशाल सी, अंधेरे मन में आस के उजाले सी
स्वप्न है ये, या है ये वहम…

इसी धरती पर इसी जनम में, देखा तो है पर देखा कहाँ
रूपसी जो बसी है मन में, देखा तो है पर देखा कहाँ, देखा कहाँ
स्वप्न है ये, या है ये वहम…..

गीत : [audio:ikhi-prithi-ma-ikhi-jalam-ma-narendra-singh-negi.mp3]

इस गीत का चुनाव व हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत का है पद्यानुवाद काकेश ने किया है।

अपना उत्तराखंड में उत्तराखंड से संबंधित गीत केवल उत्तराखंड के संगीत को बढ़ावा देने के लिये हैं। यदि आपको यह पसंद आयें तो निवेदन है कि बाजार से इन्हे सीडी या कैसेट के रूप में खरीद कर उत्तराखंडी संगीत को बढ़ावा दें। हम यथा-संभव सीडी या कैसेट की जानकारी देने का प्रयास करते हैं। यदि आपको इससे संबंधित जानकारी हो तो क़ृपया टिप्पणी में बतायें।

Lyrics of the Song “ ikhi ee pirathimaa ye hi jalam maa.n”

ikhi ee pirathimaa ye hi jalam maa.n, ikhi ee pirathimaa ye hi jalam maa.n
dekhi t chhai.n ch kakh dekhi holi,
rupasi baa.nd jvaa basige man maa.n, rupasi baa.nd jvaa basige man maa.n
dekhi t chhai.n ch kakh dekhi holi- kakh dekhi holi ..
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?
ikhi ee pirathimaa ye hi jalam maa.n, dekhi t chhai.n ch kakh dekhi holi
rupasi baa.nd jvaa basige man maa.n,
dekhi t chhai.n ch kakh dekhi holi – kakh dekhi holi ..
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?

choree kaakhri, biraani sagoreeki see – chhai vaa , choree kaakhri, biraani sagoreeki see – chhai vaa
savaadi yeni ki paiNeki pakori see – chhai vaa
kaaro.n kaa boToomaa hi.nsaare gundasi, pi.nDaaLoo paatumaa u.nsikee bundasi – kakh dekhi holi
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?

daanaa divaanaa ki byovaaki gaa.nNi see – chhai vaa , daanaa divaanaa ki byovaaki gaa.nNi see – chhai vaa
rur.hyoo.n kaa ghaamoomaa chhoyyaako paa.nNi see chhai vaa
baadLu beechamaa joonee jhalakk see, daataa kaa mukk maa m.ngatyaaki Takk see – kakh dekhi holi
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo , ki baim rai holoo ?

hyoo.ndi kaa dinoomaa.n ghaamai nivaatti see – chhai vaa , hyoo.ndi kaa dinoomaa.n ghaamai nivaatti see – chhai vaa
baalaa kaa manaiki syaa.nNi dud bhaatti see – chhai vaa
marachyaa.nNaa khaaNaamaa kheer jan miTThi see , door parades maa ghoraiki chiTThee see – kakh dekhi holi
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?

byo baryaatyu.n maa.n syaaLi see gaaLi see – chhai vaa , byo baryaatyu.n maa.n syaaLi see gaaLi see – chhai vaa
naati natyeNo.n par daadee a.ngvaali see – chhai vaa
bhookhaa kaa agaaree bhojane thaali see, chaukaa tiraaLi naar.ngi Daali see – kakh dekhi holi
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?

soonaiki gaulimaa motyu.nki maalaa see – chhai vaa , soonaiki gaulimaa motyu.nki maalaa see – chhai vaa
paa.nNiki taulimaa jooni sau.nDalyaa see – chhai vaa
au.nsiki ghanaaghor raati muchhyaali see – a.ndheraa man maa.n aasai ujyaali see – kakh dekhi holi
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?

ikhi ee pirathimaa ye hi jalam maa.n, dekhi t chhai.n ch kakh dekhi holi
rupasi baa.nd jvaa basige man maa.n, dekhi t chhai.n ch kakh dekhi holi – kakh dekhi holi ..
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?
supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ? supinyu hvai holoo, ki baim rai holoo ?

You can get many such songs in our forum and download Kumaoni/Garhwali songs through the links provided there.

Disclaimer : These songs are only to promote Uttarakhandi Music. If you like these then please buy original Cd/Cassettes and help Uttarakhandi Music.

Related posts

5 Thoughts to “इखि ई पिरथिमा ये हि जलम मां”

  1. इस गीत की प्रशंसा करने के लिये मेरे पास शब्द नहीं ठैर महाराज।

  2. naveen saklani

    मेरा तो भ्रम ही होगा..सपनो से कभी पाला पड़ता नही अपना..
    पर अगर भ्रम भी है तो इसी पृथ्वी मै ही आया है यें भ्रम…
    इस गाने को भावार्थ करने के लिये आप ने अपने दिल को एक प्रेमी के दिल के रूप मे जरुर ढाला होगा……
    आप की इस उपलब्धि को प्रणाम…
    आज आप के दिल की परीक्षा भी हों गयी…इतना सुंदर गाना आप ने भावार्थ कर दिया..
    शब्दों मे आप का धन्यवाद् क्या करू मै..दिल से आपको प्रणाम करता हूं……

  3. Mukesh Joshi

    पैण = गाँव की किसी भी बहु (ब्वारी ) के मायके से आया भोज (पूड़ी. पकोड़ी .अरसा .स्वाल.) जो पूरेगाँव या अपनी बिरादरी में बाटा जाता है , थोडा मिलता है और परिवार में भी बाँटना भी होता है इस लिए स्वादिष्ट लगता है।

  4. sushil pukhryal

    You are doing a great job for uttarakhand.

Leave a Comment