अपने मूल से उखड़ कर तो एक पौधा भी सूख जाता है, मनुष्य भला कैसे अपनी जन्मभूमि से बिछड़ कर सुखी रह सकता है। नरेन्द्र नेगी जी ने इस गाने के माध्यम से अपने पैतृक गांव और परिवार से दूर रह रहे एक प्रवासी पहाड़ी पुरुष की तड़प व्यक्त की है। शहर की तेज दौड़ती ज़िन्दगी के बीच अचानक इस पुरुष को बडुळि (हिचकी) लगती है, पैरों के तलवों में खुजली लगती है और चूल्हें की आग भरभरा कर आवाज करने लगती है। पहाड़ों में यह माना जात है कि यह सब इस बात का सूचक है कि उसे कोई याद कर रहा है। यह सभी बातें अचानक उसे अपने गांव, माता-पिता, बचपन के दोस्तों और अन्य उन सभी वस्तुओं की याद दिला जाती है जिसे वह लगभग भूल चुका था।
इस गाने का वीडियो “टी सीरीज” की “आंखि सुपन्यालि ह्वैगेनी” नामक वीडियो एलबम में रिलीज हुआ है।
भावार्थ – आज मुझे बार-बार हिचकी लग रही है और पैरों के तलवों में खुजली हो रही है, कौन होगा वो मेरा अपना जो मुझे याद कर रहा है। मेरा मन आज उदास है, चूल्हे की आग भी भरभरा कर आवाज कर रही है। निश्चय ही कोई मेरे बारे में सोच रहा है।
लेकिन वो है कौन? मुझे याद करने वाला “वो” हिमालय का स्वच्छ सफेद बरफ है, गंगा का स्वच्छ जल है या फिर पहाड़ की ऊंची चोटियों में रहने वाली परी (आंछरी) है। यह भी हो सकता है कि गांव में बंजर पड़ा मेरा मकान और खेत-खलिहान ही मुझे याद कर रहे होंगे। शायद आज रोती कलपती मेरी बूढी मां और बीमार खांसते मेरे पिताजी मेरे बारे में सोच रहे होंगे।
मेरे मन के किसी कोने में बैठा वो सुन्दर चेहरा भी मुझे याद कर सकता है या फिर स्कूल के दिनों के कोई मेरा सहपाठी भी हो सकता है। मुझे याद करने वाला “वो” गंगा नदी के किनारे वाला ग्वैलार (कचनार) का पेड़ होगा या फिर बनों में उग रहा ब्रह्मकमल का सुन्दर फूल। ये भी सम्भव है कि मुझे पेड़ की वो डाली याद कर रही होगी जिस पर मैं बचपन में झूला करता था।
गाने के बोल देवनागिरी में
गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
को होलो-को होलो मैं समलौंणु आज
गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मन उदास किले आज भभरोंणि च आग
भभरोंणि च आग – मेरि भभरोंणि च आग
मन उदास किले आज भभरोंणि च आग
भूलु बिसर्युं कु होलु – भूलु बिसर्युं कु होलु
के लागि मेरि खुद?
को होलो-को होलो मैं समलौंणु आज
गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
हिमाल को धौलो ह्यूं कि छालो गंगा जल?
छालो गंगा जल – मेरो छालो गंगा जल
हिमाल को धौलो ह्यूं कि छालो गंगा जल?
कुल देव देवता होला – कुल देव देवता होला
कि डांडों कि आंछरि?
को होलो-को होलो मैं समलौंणु आज
गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
बजैन्दि कुड़ि-पुंगड़ि कि होलु गौं मुलुक
होलु गौं मुलुक – मेरो होलु गौं मुलुक
बजैन्दि कुड़ि-पुंगड़ि कि होलु गौं मुलुक
रुंड़ान्दि,काणांदि बोई – रुंड़ान्दि,काणांदि बोई
कि खांसदा बुबा जी?
को होलु-को होलु मैं समलौंण्युं आज
गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
अचेतन मन बैठि क्वि स्वांणि सि मुखड़ि
स्वांणि सि मुखड़ि – होलि क्वि स्वांणि सि मुखड़ि
अचेतन मन बैठि क्वि स्वाणि सि मुखड़ि
के होलु क्वि दगड़्या मेरो – के होलु क्वि दगड़्या मेरो
इस्कुल्या दिनों को?
को होलु-को होलु मैं समलौंणु आज
गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
गंगाड़ु का ग्वैराल होला कि बण का बर्मिकौंल
बण का बर्मिकौंल – होला बण का बर्मिकौंल
गंगाड़ु का ग्वैराल होला कि बण का बर्मिकौंल
के त बुरांश खोजांण्या होला – के त बुरांश खोजांण्या होला
वै डल्खु हुल्यारि?
को होलु-को होलु मैं समलौंण्युं आज
गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
मेरा गौळा मां बडुळि, मेरि पैत्वाल्युं पराज
गीत : [audio:gaula-ma-baduli-meri-by-merapahad-dot-com.mp3]
इस गीत का चुनाव व हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत का है।
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Lyrics of the song “Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj “
Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Ko holo ko holo main samalaunya aaj
Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Man udaas kile aaj bhabharoni cha aag
Bhabharoni cha aag – meri bhabharoni cha aag
Man udaas kile aaj bhabharoni cha aag
Bhulu bisaryu ku holu – Bhulu bisaryu ku holu
Ke laagi meri khud?
Ko holo – ko holo main samalaunyaa aaj
Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Himaal ko dhaulo hyun ki chhalo Ganga Jal?
chhalo Ganga Jal – mero chhalo Ganga Jal?
Himaal ko dhaulo hyun ki chhalo Ganga Jal?
Kul Dev Devta hola – Kul Dev Devta hola
Ki daando ki aanchhari?
Ko holo – ko holo main samalaunyaa aaj
Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Bajaindi kudi-pungadi ki holu gaun muluk
Holu gaun muluk – mero holu gaun muluk
Bajaindi kudi-pungadi ki holu gaun muluk
Rudaandi kadandi baui – Rudaandi kadandi baui
Ki khaasda buba ji?
Ko holo – ko holo main samalaunyaa aaj
Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Achetan man baithi kwi swaani si mukhadi
swaani si mukhadi – holi kwi swaani si mukhadi
Achetan man baithi kwi swaani si mukhadi
Ke holu kwi dagadya mero – Ke holu kwi dagadya mero
Iskulya dino ko?
Ko holo – ko holo main samalaunyaa aaj
Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Gangadu ka gvairal hola ki ban ka barmikaul
Ban ka barmikaul – ban ka barmikaul
Gangadu ka gvairal hola ki ban ka barmikaul
Ke ta buransh kholjalya hola – Ke ta buransh kholjalya hola
Wai dalkhu hulyari?
Ko holo – ko holo main samalaunyaa aaj
Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
Mera Gaula ma baduli meri paitwalyu paraaj
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Album : Aankhi Supnyali Hwegeni, Audio-Video : T-Series
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अपनी जन्मभूमि से दूर रह रहे लगभग हर प्रवासी उत्तराखंडी को शायद इसी तरह का एहसास होता होगा.. मुझे तों हफ्ते में एक-दो बार ऐसा ही होता है..
bahut acha laga api sanskirti ko age badhane ka ye ek acha pryas hai
sabhi uttrakhandi bahi bahno ko mere taraf se namaskar
इस बहाने आज बाडुलि या बाटुलि की याद तो आई, जब से यह मोबाइल आया है बाटुलि तो किसी को लगती ही नहीं है। पहाड़ में रह रही आमा को भी अब बाटुलि नहीं लगती वह भी कहती है कि “चार दिन ह्वै गईं, फोने नि आयो”
आधुनिक तकनीकों के आने से लोगों में जो टैलिपेथिक सम्पर्क था, उसकी रेजेज़ को लगता है मोबाइल टावर बाधित करने लगे हैं।
Is Video me Mukhya Abhineta Rangkarmi Sri Prem Mohan Dobhal hain.