जगत सिंह चौधरी ‘जंगली’ (Jagat Singh Chaudhary ‘Junglee’)
(पिताः श्री बहादुर सिंह चौधरी)
जन्मतिथि : 6 अप्रैल 1954
जन्म स्थान : कोटमल्ला
पैतृक स्थान : कोटमल्ला जिला : चमोली
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 3 पुत्रियाँ
शिक्षा : आठवीं, घोलतीर
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः उबड़-खाबड़ जमीन जिसे कोई देखता भी नहीं था, उसे एक जीवन्त जंगल बनाकर स्वयं जंगली बन गया।
प्रमुख उपलब्धियां : 30 वर्षों के लम्बे समय से कार्यरत। दो हेक्टियर उबड़-खाबड़ जमीन को वन-खेती के रूप में बदला। इस अद्भुत वाणी के कदम से वैज्ञानियों की सोच बदलने का प्रयास। विभिन्न ऊँचाईयों पर उगने वाले छप्पन प्रजातियों के चालीस हजार वृक्षों वाला वन निर्मित किया। पन्द्रह वर्षों के प्रयासों से एक ऐसा वन बनाया, जिसमें नगदी कृषि जैसे- अदरख, हल्दी, चाय सब कुछ पैदा होता है। राष्ट्रीय इंदिरा गाँधी वन मित्र पुरस्कार। अप्रैल 2002 में राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला द्वारा विशेष दौरा तथा 1 लाख रुपये का पुरस्कार।
वर्तमान पता : ग्राम- कोटमल्ला, घोलतीर, जिला, रुद्रप्रयाग
युवाओं के नाम संदेशः ऐसा करना तो कोई भी कर लेगा। आनन्द तब आता है जब आप कोई कठिन कार्य की पहल करें, जो पहले किसी ने ना किया हो। सोचेंगे तो हजार विचार आयेंगे। करोगे तो कुछ ना कुछ अवश्य हासिल होगा।
विशेषज्ञता : पर्यावरण, वृक्षारोपण, ग्रामीण प्रबन्धन।
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.
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