भोल जब फिर रात खुलली..

भोल जब फिर रात खुलली” नरेन्द्र सिंह नेगी का मशहूर गाना है जो जीवन की निरंतरता के बीच जीवन की नश्वरता को प्रकट करता है। सुमित्रानंदन पंत ने अपनी किसी कविता में लिखा है “झरता नित प्राचीन पल्ल्वित होता नूतन” यानि जीवन चक्र निरंतर चलता रहता है। “मैं ना रहुंगी तुम ना रहोगे पर ये रहेंगी निशानियां” जैसे ही कुछ भाव है इस गाने में। बहुत ही अर्थ पूर्ण,सुरीला,मार्मिक गाना है यह।

भावार्थ : कल जब रात खतम होगी (यानि नयी सुबह आयेगी) इस धरती में नयी पौध जनम लेगी। पेड़ों की पुरानी डालियाँ नयी उगने वाली लताओं को सहारा देंगी। मैं तो नहीं रहुंगा तुम्हारे साथ बच्चों लेकिन मेरे ये गीत तुम्हारे साथ रहेंगे। कल जब रात खतम होगी ……। मैंने भी इसी मिट्टी में जनम लिया  है, मेरी भी मुट्ठियां सब की तरह बंद ही थीं, मुझे ऊंचाइयों और गहराइयों को सहारा भी नहीं मिला, मैं इन खड़े रास्तों पर ऊपर नीचे चला हूँ, इन पेड़ॉ की छांव और रास्ते के पत्त्थर मेरे इस सफर की गवाही देंगे। मैं तो नहीं रहुंगा तुम्हारे साथ….। बरसात का मौसम भी आयेगा, धूप भी चमकेगी, सुख-दुख आते जाते रहेंगे। हँसती-खेलती ये छोटी छोटी बच्चियां देखते देखते किसी की बहुएं हो जायेंगी। ये फिर सफेद बालों वाली सास बनकर अपनी नयी नयी बहुओं को सतायेंगी। तब मैं तो नहीं रहुंगा तुम्हारे साथ बच्चों लेकिन मेरे ये गीत तुम्हारे साथ रहेंगे। मैने सारे मौसम देखे हैं, हिम की कंपन सही है, बरसात की झर झर देखी है, गरमी की मार सही है, बसंत ऋतु का आनंद ले लिया, मुझ पर बहार आ चुकी, मैने भी की थी किसी की आस। यह पर्वत और चोटियां अब मेरी सारी बातें कहेंगी, लेकिन मैं ना रहुंगा। मैने भी खोया है अपने परायों को अचानक कई मेलों में,जितने आंसू थे उतने बहाये हैं समय समय पर, आगे फिर कई मेले होंगे, नये नये मेले वाले आयेंगे, लेकिन मैं ना रहुंगा..। फूल रुपी गीतों की माला गूंथने के प्रयास में मैने भी सही है कांटों की चुभन जो एक दो हंसाने और रुलाने वाले गीत  मैं गा पाया उनमें से हंसाने वाले गीत लोग भूल भी जायें ऐसा सम्भव है, लेकिन रोने वाले गीत सुनने वालों को रुलायेंगे और लोग मुझे याद करेंगे., लेकिन मैं ना रहुंगा।

गीत के बोल देवनागिरी में

भोल जब फिर रात खुलली, धरती मा नयी पौध जमली
पुराणा डाला ठांगरा ह्वे की, नयी लगील्यूं साहरू द्‍याला
मी ता नि रोंलू, मेरा भूलों, तुम दगीड़ी ये गीत राला
मी ता नि रोंलू, मेरा भूलों, तुम दगीड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली…….

इखी ये माटम जन्म्यू मी भी, मेरी भी रै ब्वोटी अंगवाल,मेरी भी रै ब्वोटी अंगवाल
धारा खैरी का सार नि मिलडी , मी भी हीतू उंधारी उनकाल, मी भी हीतू उंधारी उनकाल
डालियुं कू छेल, और बाटों का गारा, डालियुं कू छेल, और बाटों का गारा
मेरा गीत्यां की गवै द्‍याला
मी ता नि रोंलू, मेरा भूलों, तुम दगीड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली

बरखा बर्खली, घाम चमकलो, सुख दुख आणा जाणा राला, सुख दुख आणा जाणा राला,
उछीलियुं मा ह्येंस्दा खेलदा ब्येटूला, द्यखदा द्यखदा ब्वारी ह्वे जाला , द्यखदा द्यखदा ब्वारी ह्वे जाला
भोल यह फूलमूंडया सासू बणी की, भोल यह फूलमूंडया सासू बणी की
नयी नयी ब्वारियूं रुवाला
मी ता नि रोंलू, मेरा भूलों, तुम दगीड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली…….

बस्ग्याल रूज, ह्युंद कौंपु, मिल भी सै रूढ़्यूं की मार, मिल भी सै रूढ़्यूं की मार
मिल भी बरती ऋतु बसंत, में फरें बी ऐ मौलयार,में फरें बी ऐ मौलयार
मिल भी कैछे आस कह की, मिल भी कैछे आस कह की
यह डांडा कांठा छुंई लगाला
मी ता नि रोंलू, मेरा भूलों, तुम दगीड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली…….

मेरा भी अपड़ा परया हर्चिनी, मेला तौलों मा अचणचक, मेला तौलों मा अचणचक
मी भी रोऊँ भकोरा-भकोरी, आंस्युं आंख्यूं मा रैणी जब तक
कौतिग यनी बी रेणा राला,कौतिग यनी बी रेणा राला
नया नया कौतिगैर आला
मी ता नि रोंलू, मेरा भूलों, तुम दगीड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली…….

मिल भी सैनी फूल्वां कांडा, गीत्वी माला गछ्याणू कू, गीत्वी माला गछ्याणू कू
जण द्वी एक गीत मिलभी, गैणी रुंदो हैसाणू कू, गैणी रुंदो हैसाणू कू
हैंसदारा जब बिसरी जाला, हैंसदारा जब बिसरी जाला
रौंदरा रवे रवे की संभालना राला
मी ता नि रोंलू, मेरा भूलों, तुम दगीड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली…….

इस गीत का हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत के द्वारा किया गया।

गीत : [audio:bhol-jab-fir-rat-khuleli-narendra-singh-negi-by-merapahad-dot-com.mp3]

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Lyrics of the song “ bhol jab fir rat khuleli

bhol jab fir raat khulali, dharti maa nayi paudh jamali
purana daala thangara hwe ki, nayi lagulyiuin saharu dyaala
mee ta ni rolu, mera bhulon, tum dagadi yeh geet raala
mee ta ni rolu, mera bhulon, tum dagadi yeh geet raala
bhol jab fir raat khulali

ikhi yeh maatam jamyu mi bhi, meri bhi reh bwoti angwaal, meri bhi reh bwoti angwaal
dhara khaeri ka sar ni mildi
mein bhi hitu undhari unkaal, mein bhi hitu undhari unkaal
daaliyun ku chel, aur baato ka gaara, daaliyun ku chel, aur baato ka gaara
mera hityaan ki gawaeh dyaala
mee ta ni rolu, mera bhulon, tum dagadi yeh geet raala
bhol jab fir raat khulali

bharkha barkhali, ghaam chamkala, sukh dukh aana jaana raala, sukh dukh aana jaana raala
uchiliyun ma haensda khelda byetula
dekhda dekhhda bwaari hwe jaala, dekhda dekhhda bwaari hwe jaala
bhol yeh fulmundyaa sasu bani ki, bhol yeh fulmundyaa sasu bani ki
nayi nayi bwaariyun ruwala
mee ta ni rolu, mera bhulon, tum dagadi yeh geet raala
bhol jab fir raat khulali

basgyaal rooj, hyund kaunpu, mil bhi seh roodhiyun ki maar, mil bhi seh roodhiyun ki maar
mil bhi barti ritu basant
mein pharein bhi aai maulyaar, mein pharein bhi aai maulyaar
mil bhi kae che aas keh ki, mil bhi kae che aas keh ki
yeh daanda kaantha chwein lagala
mee ta ni rolu, mera bhulon, tum dagadi yeh geet raala
bhol jab fir raat khulali

mera bhi aphada parya harchini, mela thaulon ma achanchak,mela thaulon ma achanchak
mi bhi roun bhakora-bhakori
aansyun aankhyun ma rehni jab tak , aansyun aankhyun ma rehni jab tak
kauthig yani bi reyna raala
naya naya kauthigaer aala
mee ta ni rolu, mera bhulon, tum dagadi yeh geet raala
bhol jab fir raat khulali

mill bhi saeini phulwa kaanda, geetwi mala gachyaanu ku, geetwi mala gachyaanu ku
jan dwe ek geet milbhi
kanene ruundo haesaanu ku, kanene ruundo haesaanu ku
haisdara jab bisri jaala, haisdara jab bisri jaala
roundara rwe rwe ki sambhalana raala
mee ta ni rolu, mera bhulon, tum dagadi yeh geet raala
bhol jab fir raat khulali

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5 Thoughts to “भोल जब फिर रात खुलली..”

  1. abhishek

    sir ji aap mujhe negi ji ka gaya hua geet "DADU MERI ULAIYARU JIKUDI DADU ME PARWAT KU WASHI"

    aur iska bav arth bata sakte hain.

    unke kuch aur geet jo unhone "taka chin t tak-taka" aur "khud" main gaye hain. un sabhi ka arth aur unko lipibudh kar sakte hain.

    meri aap se vinarm viniti hai.

    DHANIYAWAD.

  2. Ganga Tiwari

    Good attampt but please improve in garhwali writing .
    Thanks

  3. netra singh

    gana sunte samay rona aata hai, our sunne ke baad khushi hoti hai. rona isliye ki gane ke bol hi kuch aise hain, aur khushi isliye ki mujhe garv hota hai ki hamare garhwal main aisa dhurander bhi paida hua hai ki jisne jindagi ko is tarah survadh kiya hai, jaisa ki shayad hi kissi our ne kiya ho, thank u very much for this song.

  4. jasbir singh

    wow awesome song by negi g….mein bachpan se e punjab mein rha hun pb. ke culture mein e bda hua lekin jb ye song suna to bhut emotionl ho gya tha..kya bol hai gaane ke bhut hi ache ek-ek line ka wonder mean wow ..admin sir pls agar aap mujhe negi g ke sad songs k list provide kr de meri mail id pe to apka thankful rhunga….

  5. Ashok Prasad

    शानदार प्रयास हेम भाई… कुछ लोग कितने निस्वार्थ भाव से सरोकारों से जुड़े होते है…

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