भुरु भुरु उज्वाऊ हैगो

पहाड़ों की सुबह कितनी सुहानी होती है इसको शब्दों में वर्णित करना लगभग असंभव है। बर्फ से ढकी चोटियों पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो वह दृश्य देखने लायक होता है। पक्षी चहचहाने लगते हैं, स्त्रियां अपने काम में लग जाती हैं, गोठ में गोरु-बाछ (गाय-बछ्ड़े) अड़ाट करने लगते हैं और ऐसे ही एक सुबह के दृश्यों को गोपाल बाबू गोस्वामी ने अपने एक सुन्दर गीत में पिरोया है। इस गीत में आप प्रात: काल सुनाई देने वाली ध्वनियों पर ध्यान दें-मुरली की तान है, शिव के डमरू की डम डम है, घंटियों की टन टन है, पायल की छ्म छ्म है, गागर की टुन टुन है, घुघुती की घुर-घुर है और हवा की फर्र फर्र तो खैर है ही।

इसी गीत के दो संस्करण प्रस्तुत हैं पहला पुराना वाला जो कैसेट से लिया गया है और दूसरा वी.सी.डी. से लिया गया है. दोनों संस्करणों के बोलों में थोड़ा अंतर है और संगीत में भी। आपकी सुविधा के लिये दोनों संस्करणों के बोल और दोनों गीत दिये गये हैं। आपको कौन सा संस्करण अच्छा लगा बतायें..मुझे तो पहला वाला लगा..

गीत का भावार्थ (दोनों का मिला जुला) : पहाड़ की ऊंची ऊंची चोटियों में कितनी सुहानी सुबह हो गयी है, किसी ने मुरुली की मीठी धुन भी छेड़ दी, फर-फर हवा चल रही है,अहा कितनी सुहानी सुबह है। घर के लोग उठ गये हैं, शिव जी कैलास में उठ गये हैं, हिमालय की अन्य चोटियों में अन्य देवता भी उठने लगे हैं। डम डम की आवाज के साथ शिव का डमरु बज रहा है और टन-टन की आवाज के साथ घंटियां। घर की नारी हाथ में तांबें की गगरी लेकर पानी लेने निकल पड़ी है। उसके पैरों की पायल की छम छ्म और गगरी क़ी टुन टुन कैसी बज रही है। पेड़ों में चिडिया चहचहाने लगी है, घुघुती भी बोलने लगी है,छोटे छोटे पंछी फुर्र फुर्र उड़ रहे हैं, अहा कितनी सुहानी सुबह है।

गीत के बोल देवनागरी में

ए…..भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
डान काना में सुर्र-सुर्र, डाना-काना में सुर्र-सुर्र
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र, बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र ,
भुर-भुरु उज्वाऊ है गो…….

जागण भैगे घर की कोखा, देवी-देवता हिमाली-कांठा ऽऽऽऽऽऽ
जागण भैगे घर की कोखा, देवी-देवता हिमाली-कांठा ऽऽऽऽऽऽ
शिव को डमरु बाजो, मेरी हिमाला डूम-डूम,मेरी हिमाला डुम-डुम
घानी बाजी रे टन्न-टन्न,घानी बाजी रे टन्न-टन्न
भुर-भुरु उज्वाऊ है गो…….

हाथ हाथु में ताम गागरी, पाणी हूं न्है गै सुघड़ी नारी….
हाथ हाथु में ताम गागरी, पाणी हूं न्है गै सुघड़ी नारी….
खुटी का झंवर बजाने, बाटा-घाटा में छुम-छुम, बाटा-घाटा में छुम-छुम
बाजी गागरी टुन-टुन,
भुर-भुरु उज्वाऊ है गो…….

गीत : [audio:bhur-bhuru-ujyao-haigo-gopal-babu-goswami-by-merapahad-dot-com.mp3]

अपना उत्तराखंड में उत्तराखंड से संबंधित गीत केवल उत्तराखंड के संगीत को बढ़ावा देने के लिये हैं। यदि आपको यह पसंद आयें तो निवेदन है कि बाजार से इन्हे सीडी या कैसेट के रूप में खरीद कर उत्तराखंडी संगीत को बढ़ावा दें। हम यथा-संभव सीडी या कैसेट की जानकारी देने का प्रयास करते हैं। यदि आपको इससे संबंधित जानकारी हो तो क़ृपया टिप्पणी में बतायें।

दूसरे संस्करण के बोल : इन बोलों एक तो हवा की फर्र-फर्र आ गयी है, शिव का डमरू डुम डुम के बजाय डम डम बजने लगा है, स्त्री की खुटी (एक पैर) की पायल की बजाय खुट्यूं (दोनों पैर) की पायल बजने लगी है और चिडियों की चहचहाट भी शामिल हो गयी है।

ओ…..भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
डान काना में सुर्र-सुर्र, डाना-काना में सुर्र-सुर्र
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र, बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र ,
हाव चली रे फुर्र फुर्र,हाव चली रे फुर्र फुर्र
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..

जागण भैगे शिव कैलासा, देवी-देवता हिमाली-कांठा ऽऽऽऽऽऽ
जागण भैगे शिव कैलासा, देवी-देवता हिमाली-कांठा ऽऽऽऽऽऽ
शिव को डमरु बाजो, मेरी हिमाला डम-डम,मेरी हिमाला डम-डम
घानी बाजी रे टुन्न-टुन्न,घानी बाजी रे टन्न-टन्न
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..

हाथ हाथु में ताम गागरी, पाणी हूं न्है गै सुघड़ी नारी….
हाथ हाथु में ताम गागरी, पाणी हूं न्है गै सुघड़ी नारी….
खुट्यूं का झंवर बजाने, बाटा-घाटा में छुम-छुम, बाटा-घाटा में छुम-छुम
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र , बाजी गागरी टुन-टुन,
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
डान काना में सुर्र-सुर्र, डाना-काना में सुर्र-सुर्र
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र,
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..

गैल पातला न्योली कफुवा, रंग बिरंगा चाड़-पोथिला …..होऽऽऽऽऽ
गैल पातला न्योली कफुवा, रंग बिरंगा चाड़-पोथिला …..होऽऽऽऽऽ
घुघुती बासण भैगे, उड़ घिनोणी फुर्र-फुर्र, उड़ घिनोणी फुर्र-फुर्र
डाउ-बोटी मा सुर्र-सुर्र,
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो, डाणा-काना में सुर्र-सुर्र,
बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र, बाजी मुरुली तुर्र-तुर्र ,
हाव चली रे फुर्र फुर्र
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो……..
डान काना में सुर्र-सुर्र, डाना-काना में सुर्र-सुर्र
डान काना में सुर्र-सुर्र, भुरु-भुरु उज्वाऊ हैगो…….

गीत : [audio:bhur-bhuru-ujyao-haigo-new-gopal-babu-goswami-by-merapahad-dot-com.mp3]

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Lyrics of Bhur Bhuru Ujyaw haigo in Roman – Old Version

E…..bhur-bhuru ujyaoo haigo……..
dan kana men surr-surr, dana-kana men surr-surr
baji muruli turr-turr, baji muruli turr-turr ,
bhur-bhuru ujyaoo hai go…….

jagan bhaige ghar kee kokha, devi-devata himali-kantha -a–a–a–a–a–a-
jagan bhaige ghar kee kokha, devi-devata himali-kantha -a–a–a–a–a–a-
shiv ko damaru bajo, meri himala doom-doom,meri himala dum-dum
ghani baji re tann-tann,ghani baji re tann-tann
bhur-bhuru ujyaoo hai go…….

hath hathu men tam gagari, pani hoon nhaigai sughadi nari….
hath hathu men tam gagari, pani hoon nhaigai sughadi nari….
khuti ka jhanvar bajane, bata-ghata men chhum-chhum, bata-ghata men chhum-chhum
baji gagari tun-tun,
bhur-bhuru ujyaoo hai go…….

Lyrics of Bhur Bhuru Ujyaw haigo in Roman – New Version

o…..bhuru-bhuru ujyaoo haigo……..
dan kana men surr-surr, dana-kana men surr-surr
baji muruli turr-turr, baji muruli turr-turr ,
hav chali re furr furr,hav chali re furr furr
bhuru-bhuru ujyaoo haigo……..

jagan bhaige shiv kailasa, devi-devata himali-kantha -a–a–a–a–a–a-
jagan bhaige shiv kailasa, devi-devata himali-kantha -a–a–a–a–a–a-
shiv ko damaru bajo, meri himala dam-dam,meri himala dam-dam
ghani baji re tunn-tunn,ghani baji re tann-tann
bhuru-bhuru ujyaoo haigo……..

hath hathu men tam gagari, pani hoon nhai gai sughadi nari….
hath hathu men tam gagari, pani hoon nhai gai sughadi nari….
khutyoon ka jhanvar bajane, bata-ghata men chhum-chhum, bata-ghata men chhum-chhum
baji muruli turr-turr , baji gagari tun-tun,
bhuru-bhuru ujvaoo haigo……..
bhuru-bhuru ujvaoo haigo……..
dan kana men surr-surr, dana-kana men surr-surr
baji muruli turr-turr,
bhuru-bhuru ujvaoo haigo……..

gail patala nyoli kafuva, rang biranga chad-pothila …..ho-a–a–a–a–a-
gail patala nyoli kafuva, rang biranga chad-pothila …..ho-a–a–a–a–a-
ghughuti basan bhaige, ud ghinoni furr-furr, ud ghinoni furr-furr
dau-boti ma surr-surr,
bhuru-bhuru ujyaoo haigo……..
bhuru-bhuru ujyaoo haigo……..
bhuru-bhuru ujyaoo haigo, dana-kana men surr-surr,
baji muruli turr-turr, baji muruli turr-turr ,
hav chali re furr furr
bhuru-bhuru ujyaoo haigo……..
bhuru-bhuru ujyaoo haigo……..
dan kana men surr-surr, dana-kana men surr-surr
dan kana men surr-surr, bhuru-bhuru ujyaoo haigo…….

Essence : This beautiful song sung by Gopal Babu Goswami tells about the beautiful and pleasant morning of Uttarakhand. What a pleasant morning on the hills and mesmerising sweet sound of flute. People started waking up and even Lord Shiva woke up in Kailasa and other Gods on other peeks of Himalaya. See that woman with copper vessel (Gagar) for taking water. Her payal and gagar are making melodies sounds. Birds started singing, wind is blowing listen the Tan Tan of bells. Oh…what a pleasant morning.

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Disclaimer : These songs are only to promote Uttarakhandi Music. If you like these then please buy original Cd/Cassettes and help Uttarakhandi Music.

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3 Thoughts to “भुरु भुरु उज्वाऊ हैगो”

  1. Anonymous

    सुबह-सुबह इस गीत को सुनते ही शरीर में एक नई स्फुर्ति का संचार हो जाता है। लेकिन अब ऐसा कहां—-

    घर-घरु मां नलो को पाणी, स्याणी कुणे (बैग धैं) भर तू पाणी,

    खुट्यो मां झंवर को पैणो? हिल का सैंडिल पट्ट-पट्ट।

    गैल पातला मशीनों की घराट(उत्तराखण्ड में सभी नदियों में हाइड्रो प्रोजेक्ट बन रहे हैं),

    घुघुती-कफुवा भाजी गैना, शिवजी कूनी मैं ले हिटूं…………।

  2. Mohan

    I need to download all mp3 of gopal babu goswami, how can i download those.

    Thanks,

    MOHAN

  3. Sehar

    bahut hee sundar geet …vo bhee Gopal Babu Goshwami ji ke behad meethe swar main….bheetar tak khushiyan aur jeewan urja ka sanchaar kar dete hain.

    Abhaar

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