बिहारी लाल

बिहारी लाल (Bihari Lal) 

(माताः श्रीमती गुलाबी देवी, पिताः श्री भरपुरु नगवान)

जन्मतिथि : 8 नवम्बर 1942

जन्म स्थान : रक्षिया (बूढ़ा केदार)

पैतृक गाँव : रक्षिया जिला : टिहरी गढ़वाल

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 3 पुत्रियाँ

शिक्षा : बेसिक स्कूल, बूढ़ाकेदार, जूनियर हाईस्कूल विनकखाल, राजकीय इण्टर कालेज, टिहरी, उत्तर बुनियादी उत्तम बुनियादी-सेवा ग्राम विद्यापीठ, सेवाग्राम, वर्धा, महाराष्ट्र, बुनियादी शिक्षा प्रशिक्षण (स्नातक स्तर)- सेवाग्राम विद्यापीठ, साहित्य रत्न, शिक्षा प्रशिक्षण, शिक्षा विशारद राष्ट्र भाषा आचार्य- हिन्दी विश्वविद्यालय, प्रयाग, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, वर्धा।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः अस्पृश्यता निवारण एवं सबके लिए मन्दिर के द्वारा खुले रहे 1956, बुनियादी शिक्षा के लिए प्रेरित 1960, बुनियादी शिक्षा के लिए समर्पित 1968। लोक अभिक्रम विकास की चाह और लोक जीवन वन विकास भारती की स्थापना।

प्रमुख उपलब्धियाँ : 1. वनवासी सेवा आश्रम मीरजापुर (सोनभद्र) में स्व प्रेम भाई धार ऐंच पाणी ढाल पर डाला चिपको आन्दोलन से 1976 से 9 मई 1977 के मार्ग दर्शन में जीवनआला, ग्रामीण आला और प्रौढ़ शिक्षा के प्रयोग।

2. बंगलादेश के 1 लाख शरणार्थियों के बीच उनके आत्म विश्वास जगाने और उनकी सम्यक व्यवस्था के सफल प्रयोग।

3. लोक जीवन विकास भारती के साथियों के साथ- बलि प्रथा बंद करने, मातृशक्ति को अपमानित करने वाले चैत के माह की ढाकी को बंद करना, चिपको आन्दोलन में भागीदारी, वन संवर्धन संरक्षण की दृष्टि वर्ष 1985 से सघन रूप से वर्षा जल एकत्रीकरण, वृक्षारोपण एवं जल विद्युत प्रशिक्षण-प्रदर्शन कार्य का सफल प्रयास। भूदान- ग्रामदान एवं बिहार आन्दोलन में योगदान।

युवाओं के नाम संदेशः चिपको आन्दोलन की बहनों का निम्न सन्देश ही मेरा सन्देश हैः ‘धार एैच पाणी, ढाल पर डाला। बिजली बणावा खाला-खाला।

विशेषज्ञता : जन आन्दोलन, वृक्षारोपण, जल संरक्षण।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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