उत्तराखण्ड के विकास में उत्प्रेरक बन सकती हैं रेल परियोजनाएं

उत्तराखण्ड के कुल 13 जिलों में से 11 जिलों में पहाड़ी इलाके में है। यह जिले उद्योग-शून्य, कृषि क्षेत्र में पिछड़े हैं लेकिन खनिज संपदा, प्राकृतिक सौन्दर्य, वन संपदा व औषधीय वनस्पतियों से परिपूर्ण हैं। अगर इन सभी वस्तुओं का सुव्यवस्थित तरीके से सुनियोजित दोहन किया जाये तो उत्तराखण्ड भी भारत के सर्वाधिक विकसित प्रदेशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है। नैनीताल और मंसूरी जैसे कुछ हिल-स्टेशन जिन्हें अंग्रेज विकसित कर गये थे, उन्हीं को स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद की सरकारों ने बढ़ावा दिया, जबकि हिमालय की तलहटी में अनेक ऐसे स्थान हैं जो नैनीताल और मंसूरी को प्राकृतिक सौन्दर्य में कहीं पीछे छोङ सकते हैं। इन दुर्गम स्थानों को विकसित करने के लिये सुगम यातायात अतिआवश्यक है। इस समय भी उत्तराखण्ड में ट्रैकिंग, राफ़्टिंग, सफारी और तीर्थयात्रा आदि के लिये लगभग एक करोड़ लोग पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं, यदि नये पर्यटक स्थल और सुगम रेलयात्रा का प्रबन्ध हो जाय तो यह संख्या आने वाले समय में कई गुना बढ सकती है।

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हिमालय की पारम्परिक प्रौद्यौगिकी-पद्धतियाँ

पर्वतीय क्षेत्र में आटा पीसने की पनचक्की का उपयोग अत्यन्त प्राचीन है। पानी से चलने के कारण इसे “घट’ या “घराट’ कहते हैं। पनचक्कियाँ प्राय: सदानीरा नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल [नहर] द्वारा नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में प्रवाहित किया जाता है जिससे पानी में तेज प्रवाह उत्पन्न हो जाता है। इस प्रवाह के नीचे पंखेदार चक्र (फितौड़ा) रखकर उसके ऊपर चक्की के दो पाट रखे जाते हैं। निचला चक्का भारी एवं स्थिर होता है। पंखे के चक्र का बीच का ऊपर उठा नुकीला भाग (बी) ऊपरी चक्के के खांचे में निहित लोहे की खपच्ची (क्वेलार) में फँसाया जाता है। पानी के वेग से ज्यों ही पंखेदार चक्र घूमने लगता है, चक्की का ऊपरी चक्का घूमने लगता है।पर्वतीय क्षेत्र में आटा पीसने की पनचक्की का उपयोग अत्यन्त प्राचीन है। पानी से चलने के कारण इसे “घट’ या “घराट’ कहते हैं। पनचक्कियाँ प्राय: सदानीरा नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल [नहर] द्वारा नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में प्रवाहित किया जाता है जिससे पानी में तेज प्रवाह उत्पन्न हो जाता है। इस प्रवाह के नीचे पंखेदार चक्र (फितौड़ा) रखकर उसके ऊपर चक्की के दो पाट रखे जाते हैं। निचला चक्का भारी एवं स्थिर होता है। पंखे के चक्र का बीच का ऊपर उठा नुकीला भाग (बी) ऊपरी चक्के के खांचे में निहित लोहे की खपच्ची (क्वेलार) में फँसाया जाता है। पानी के वेग से ज्यों ही पंखेदार चक्र घूमने लगता है, चक्की का ऊपरी चक्का घूमने लगता है।

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श्री देवी दत्त पन्त द्वारा अपने विश्वविद्यालय की याद

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय-मेरा विश्वविद्यालय श्री देवी दत्त पन्त सम्भवत: पांच साल पुरानी बात है। बम्बई में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का वार्षिक मिलन समारोह था। मैं भी संयोगवश उसमें आमंत्रित था। कई वक्ताऒं ने अपने संस्मरण सुनाये। फिर एक वयस्क महिला बोलने उठीं और कहा कि वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की हार्दिक आभारी हैं क्योंकि इस विश्वविद्यालय ने उन्हें इतना सदाचारी और सहृदय पति दिया। यह विचार उन्होंने केवल अपने लिए ही व्यक्त नहीं किया वरन् उन्होंने कहा कि कई बहिनों की भी ऐसी ही धारणा है। यह…

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Future of Uttarakhand

Uttaranchal currently lags India by 3% in growth terms, since it shows a growth rate of 5-5.5% as compared with the Indian growth rate of 8-8.5%. One therefore asks why Uttaranchal with its natural beauty, rich resources, relatively high literacy rate, and positive law and order environment is not able to grow at India’s rate. The simple answer is that the state is not focused on economic growth. However, a deeper analysis of the poor economic performance of Uttaranchal brings out several factors.

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