युवावस्था एक ऐसा बहता दरिया है जो अपनी ताकत के सामने किसी को कुछ नहीं समझता। युवा अपने यौवन को अपनी तरह से अपनी शर्तों पर जीना पसंद करता है। इस मामले में उसे किसी की रोक-टोक भी पसंद नहीं। ऊँचे सपने लिये, संसार-समाज को बदलने का जोश लिये, बिना किसी चीज की परवाह किये बिना जिये जाने का नाम ही जवानी है। नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने भी अपने एक गाने में युवाओं के इस जज़्बे को अपने स्वर दिये हैं। नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गानों में यह…
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Information about Uttarakhand Culture (उत्तराखंड की संस्कृति)
जैता एक दिन तो आलो, ऊ दिन यो दुनी में
नरेन्द्र सिंह नेगी जी मुख्यत: गढ़वाली भाषा में ही गाने गाते हैं लेकिन उनके प्रशंसकों को उनके गाये गये कुमाऊंनी और जौनसारी गीतों के बारे में जानने की बेहद उत्सुकता रहती है। आज हम उन्ही के द्वारा गाया एक कुमाँऊनी गाना प्रस्तुत कर रहे हैं। यह गाना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस गीत को मशहूर संस्कृतिकर्मी व जनकवि गिरीश तिवारी “गिर्दा” ने लिखा है। भविष्य में भयमुक्त, उदार समाज की कल्पना करते हुए लिखा गया “गिर्दा” का यह गीत नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने अपनी कैसेट “उत्तराखण्ड रैली मां”…
Read Moreमेरा औंण से हर्ष हो कै त ह्वैल्यो
नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने प्रेमी-प्रेमिका को लेकर बहुत से गाने गाये हैं। जैसे “माछी पाणी सी ज्यू” या “तेरी रूप की झौल मा” लेकिन इनमें से अधिकतर गाने प्रेमी-प्रेमिका के संयोग पर ही हैं, यानि वे गाने जिनमें मिलन की खुशी है। आज हम एक ऐसा गाना प्रस्तुत कर रहे हैं जो वियोग व विरह का गाना है। यह गाना बहुत ही मधुर बन पड़ा है, वैसे कहा भी गया है ना ” हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द के स्वर में गाते हैं ” । इस…
Read Moreहैंसल्ये स्य हैंसि तेरि…सदानि नि रैंण रे झ्यूंतु तेरि जमादारि
सत्ता में रहने वाले अधिकाँश लोगों ने अपने नीचे रहने वाले लोगों पर हमेशा ज्यादतियाँ ही की हैं। इसलिये शोषक व शोषित के बीच एक अघोषित युद्ध हमेशा से चलता आया है। इसी को सन्दर्भ बनाकर नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने समाज के सबसे निचले तबके के दबे-कुचले दिहाड़ी मजदूरों के उत्पीड़न को अपनी कलम से उकेरा और अपनी आवाज में गूंथ कर एक? सुन्दर गाने को रचा। प्रस्तुत है उन्ही की आवाज में यह गीत। यह गाना मजदूर और किसानों के शारीरिक व आर्थिक उत्पीड़न को मजदूरों के शब्दों…
Read Moreना बैठ ना बैठ बिन्दी ना बैठ चरखी मां
नरेन्द्र सिंह नेगी जी का एक बहुत पुराना और प्रसिद्ध गीत है। सामान्य बोल-चाल वाले शब्दों और मधुर संगीत से बने इस गाने को नेगी जी के प्रथम पीढी के प्रशंसकों के साथ-साथ नये युवा लोग भी बहुत पसन्द करते हैं। यह गाना भी हमें दो रूपों में मिलता है। एक पुराना रूप जब यह पहली बार कैसेट के लिये गाया गया था। दूसरा रूप – जब इसी गाने को टी.सीरीज के “चली भै मोटर चली” एलबम के लिये गाया गया। दोनों रूपों के बोलों में थोड़ा अंतर है। कैसेट…
Read Moreहिट स्यालि धर हाथ थाम्बाली चल उत्तराखंडे रैली मा, रैली मा
उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आन्दोलन एक जन आन्दोलन था। इस आन्दोलन हर व्यक्ति ने अपनी अपनी क्षमता अनुसार सहयोग किया। यहाँ तक कि घर की महिलाओं ने भी इसमे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आन्दोलन के दौरान अपने गीतों से भरपूर सहयोग दिया। चाहे वह “मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि..उत्तराखण्ड आन्दोलन मां” हो या “जाग जाग हे उत्तराखण्डि…..जै भारत जै उत्तराखण्ड ” वाला गीत हो। आज हम उसी दौरान नेगी जी द्वारा गाया गीत प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें एक जीजा अपनी…
Read Moreमोटरूंको सैणुं हो यु, होटलुको खाणुं,ई डरैबरि कलैण्डरि मां
नरेन्द्र सिंह नेगी ने समाज के हर तबके की भावनाओं को अपने गानों के माध्यम से दुनिया के सामने रखा है। आइये सुनते हैं नेगी जी का एक पुराना गाना जिसमें उन्होंनें ड्राइवरों और कंडक्टरों की पीड़ा को बखूबी व्यक्त किया है। बस, गाड़ी या टैक्सी चलाने वाले ड्राइवर और कण्डक्टर किस तरह कष्ट सहते हुए भी अपने काम में लगे रहते हैं यह इस गाने से स्पष्ट होता है। इस गाने में ड्राइवरी या कण्डक्टरी करने वाला एक व्यक्ति अपने दर्द को बयान कर रहा है और अपने गांव…
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