जाग जाग हे उत्तराखण्डि…..जै भारत जै उत्तराखण्ड

सन 1994 में पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर पहाड़ के लोगों ने एक व्यापक अहिंसक आन्दोलन चलाया था। यह एक स्वत:स्फूर्त आन्दोलन था जिसमें समाज के हर वर्ग और आयु के लोगों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया। इसी दौरान लोकगायक व कवि नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने एक कविता के रूप में इस “आह्वान गीत” को लिखा। यह गीत बाद में उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान उनके एक कैसेट में रिलीज हुआ। यह गीत उत्तराखण्ड के समस्त नारी-पुरुषों को एकजुट होकर उत्तराखण्ड राज्य के हित में आवाज उठाने का…

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कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी का गाया गीत “कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की” एक बूढ़े हो चले माँ बाप की व्यथा-कथा है। वैसे तो अपनी सन्तान का पालन-पोषण करने के पीछे किसी भी माता-पिता का कोई स्वार्थ नहीं होता, लेकिन कहीं न कहीं यह आशा जरूर होती है कि बुढापे में जब उनका शरीर अशक्त हो जायेगा तो यही सन्तान उन्हें सहारा देगी, लेकिन सभी माँ-पिता इतने भाग्यशाली नहीं होते कि उनके बेटे और बहुएं उनके पास रह कर उनके बुढापे का सहारा बनें। नये जमाने के युवक युवती…

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घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की

उत्तराखण्ड का लोकसंगीत न्यौली और खुदैड़ जैसे विरह गीतों से भरा पड़ा है। इन गीतों का अधिकांश भाग विवाहित महिलाओं पर आधारित है जो विकट ससुराल के कष्टपूर्ण जीवन को कोसते हुए मायके के दिन याद करती हैं। पहाड़ के गांवों में महिलाओं का जीवन अत्यंत संघर्षशील और कष्टप्रद है। दिनभर खेत-खलिहान-जंगल, मवेशियों और घर-परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर संभालने वाली मेहनतकश, मजबूत नारी को सामान्यत: इतना अवकाश भी नहीं मिल पाता कि वह अपने मायके को याद कर पाये। लेकिन जैसे ही चैत (चैत्र) का महीना लगता है…

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यो रखड़ि को त्यौहार: मीना राणा, उमा राणा

नरेन्द्र सिह नेगी जी की आवाज मैं ‘रखड़ी त्यार’ यानि राखी के त्यौहार के बारे में गाया गीत आपने सुना, आज इसी कड़ी में प्रस्तुत है मीना राणा व उमा राणा की आवाज में गाया एक गीत। यह गीत भी काफी मधुर व कर्णप्रिय है। भावार्थ : मेरा प्यारे भाई आज राखी का त्यौहार है, यह बार-बार आता है। इस राखी में हमारा प्यार है, इस प्यार को कभी मत भूलना। भगवान से यही प्रार्थना है कि तुम पर कभी कोई दुख-विपदा ना आये और मेरी उमर भी तुम्हें लगे।…

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रखड़ि कु त्यौहार छ आज: नरेन्द्र सिंह नेगी

रक्षाबन्धन का त्यौहार भारत में लगभग सभी समाजों में मनाया जाता है। गढवाल, उत्तराखण्ड में इस त्यौहार का पुराना प्रचलित नाम “रखड़ि त्यौहार” है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में इस दिन जन्यू-पुन्यूं (जनेऊ पूर्णिमा) मनाई जाती है, जिसमें मंत्रोच्चार के साथ पुरानी जनेऊ को उतारकर नई जनेऊ धारण की जाती है। इसी दिन देवीधूरा का प्रसिद्ध मेला भी लगता है और वहाँ पाषाण युद्ध भी होता है। भाई-बहन के प्यार को समर्पित इस त्यौहार पर नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने एक सुन्दर गाना गाया है। गाने का संगीत अत्यंत मधुर…

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धरती हमरा गढ़वाल की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने बहुत से ऐसे गाने गाये हैं जो कालजयी हैं, उनको कभी भी सुन लो वो उतने ही प्यारे व मधुर लगते हैं जितने पहली बार सुनने में लगे थे। ऐसा ही एक गाना है “धरती हमरा गढ़वाल की“। इस गाने में उत्तराखंड के एक प्रमुख हिस्से गढ़वाल का जिक्र है और यह भी बताया गया है कि गढ़वाल क्यों इतना महान है। यह गीत ऐलबम “नयु-नयु ब्यो” से लिया गया है इसके ऑडियो व वी.सी.डी. टी.सीरिज पर उपलब्ध हैं। भावार्थ : हमारे गढ़वाल की धरती…

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हुड़क्या बौल

हुड़क्या बौल कृषि गीतों का सबसे प्रमुख प्रकार है। यह गीत मुख्यतः यह रोपाई के समय गाये जाते हैं। “बौल” का शाब्दिक अर्थ है श्रम,मेहनत। हुड़्के के साथ श्रम करने को हुड़क्या बौल या हुड़की बौल नाम दिया गया है। सामुहिक रूप से खेत में परिश्रम करते हुए लोगों के काम में सरसता स्फूर्ति तथा उमंग का संचार करने का यह अत्यंत सुन्दर माध्यम है। इस कृषि गीत में एक व्यक्ति हाथ में हुड़का लेकर उसे बजाते हुई गीत गाता है। इस व्यक्ति को हुड़किया कहा जाता है। हुड़के की…

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