कितना बदला है पहाड़ों का हाल?

21वीं शताब्दी में प्रवेश कर चुके भारत में आजादी के 57 साल बाद भी गरीबी हटाओ, भारत उदय, इण्डिया शाइनिंग जैसे दिवा स्वप्न के बीच आगे बढ़ रहे जनतंत्र में ग्रामीण भारत आज भी अपने मौलिक अधिकारों से कितना वंचित है यह हकीकत सामने रखते हैं नवोदित हिमालयी राज्य उत्तरांचल के अधिसंख्य दूरस्थ दुर्गम अंचल। 2187 मीटर की ऊँचाई पर बसे बागेश्वर जिले के समडर, बोरबलड़ा, भरणकाण्डे जैसे गाँव 21वीं सदी में भी आदम जीवन जीने को विवश हैं। समडर गाँव के हुकुम सिंह रुधो गले से अभी कुछ वर्ष पूर्व की एक घटना बयान करते हैं कि नन्दा देवी के मेले से लौटते हुए शम्भू नदी पर बनाये गये लट्ठे के पुल के टूट जाने से उनके गाँव की दो गर्भवती महिलाएँ तथा एक आठ वर्ष की बच्ची और वह स्वयं नदी में गिर गये थे। बच्ची को वह अपनी छाती में चिपकाये काफी दूर तक बहते चले गये और अन्ततः वह बच्ची उनके हाथ से छूट गयी और इस तरह तीनों कैसे काल का ग्रास बने। आधे से ज्यादा गाँव पूरी रात नदी की दूसरी तरु जंगल में बैठा रहा। साहब यह सब तो शम्भू नदी में आम बात है। हम कैसे अपने बच्चों को पढ़ायें, कैसे इतने दूर भेजें न जाने कब नदी चढ़ जाय, कब भालू हमला कर दे।

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Askot-Arakot-Abhiyan-2004:Experience

[This report was sent by Chandan Dangi on 02.06.2004] The 4th Askot-Arakot Abhiyan (1974-84-94-2004) expedition by PAHAR, which began on May 25 from PANGU has covered over 60 villages of district Pithoragarh. The group is trekking 20-25Kms per day. Today, it has reached KEEMU in Bageshwar district. Over 1,000Kms long distance will be covered before July 10.It was quite interesting, listening to the coverage of this ABHIYAN by Shri Rajesh Joshi of the BBC London on the Radios. Here is an update and comments made by the villagers: 1. Bhim…

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Askot-Aarakot-Abhiyan-2004

This Yatra started on 25th May 2004 . This Abhiyan is a unique participatory exercise for the scientific understanding of mountain communities under which an extensive survey of nearly 350 villages of Uttarakhand located in various altitudes is done. The Abhiyan of 2004 passed through 16 alpine pastures, 20 Kharaks (high altitude cattle sheds), 15 zones and 3 valleys affected by earthquake and landslide, 8 initial regions of Chipko movement, 15 Chattees (ancient pilgrimage camping sites) which are now in ruining state, 5 Himalayan pilgrimage routes, 5 tribal zones and 3 regions of Indo-Tibetan trade activities.

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प्रोफेसर शेखर पाठक से साक्षात्कार

यह साक्षात्कार श्री चंदन डांगी जी ने अस्कोट-आराकोट अभियान-2004 के दौरान लिया था. प्रश्न :-अस्कोट-आराकोट अभियान का मूल उद्देश्य क्या है ? प्रो. शेखर पाठक :- अस्कोट-आराकोट अभियान का मूल उद्देश्य अपने गांवों को तुम जानो, अपने लोगों को पहचानो है। इसका उद्देश्य उस विचार को फैलाना भी है जो हम अपने क्षेत्र, इस देश और दुनियां के लिए सबसे उपयुक्त समझते हैं। यह हमारे 1984 में रचित गीत से भी प्रकट होता है। यह है जनता, जन संसाधनों और जनसंस्कृति की हिफाजत। इस हेतु समझ बढ़ाना और संघर्ष करना।…

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