रवि चोपड़ा

एप्रोप्रियेट टैक्नोलॉजी वर्कशॉप के डायरेक्टर। सेन्टर फॉर साइन्स एण्ड इन्वायरनमेंट (CSE) के रिसर्च फ़ैलो तथा निदेशक, श्रुति के परामर्शदाता। 1988 से पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट (PSI), देहरादून के निदेशक। हिमालय फाउण्डेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी तथा अनेक सरकारी-गैर सरकारी समितियों के सदस्य हैं या रहे थे। हिमालय के संसाधनों-विशेष रूप से पानी- पर विस्तृत अध्ययन। अनेक लेखों, किताबों के लेखक, संपादक। CSE की पहली रिपोर्ट के सह संपादक।

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जगत सिंह चौधरी ‘जंगली’

30 वर्षों के लम्बे समय से कार्यरत। दो हेक्टियर उबड़-खाबड़ जमीन को वन-खेती के रूप में बदला। इस अद्भुत वाणी के कदम से वैज्ञानियों की सोच बदलने का प्रयास। विभिन्न ऊँचाईयों पर उगने वाले छप्पन प्रजातियों के चालीस हजार वृक्षों वाला वन निर्मित किया। पन्द्रह वर्षों के प्रयासों से एक ऐसा वन बनाया, जिसमें नगदी कृषि जैसे- अदरख, हल्दी, चाय सब कुछ पैदा होता है। राष्ट्रीय इंदिरा गाँधी वन मित्र पुरस्कार। अप्रैल 2002 में राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला द्वारा विशेष दौरा तथा 1 लाख रुपये का पुरस्कार।

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नलिनीधर जयाल

1948-54, भारतीय वायु सेना; 1954-60, भारतीय सीमान्त प्रशासनिक सेवा; 1960-1985, भारतीय प्रशासनिक सेवा; 1985 से अब तक, संयोजक, हिमालय ट्रस्ट; 1987-96, प्रमुख, नेचुरल हैरिटेज विंग, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चरल हैरिटेज (इन्टैक)।1980-83, संयुक्त सचिव, पर्यावरण विभाग, भारत सरकार|1983-1985, सलाहकार, योजना आयोग, भारत सरकार|सदस्य, भारतीय पर्वतारोहण फाउण्डेशन|पर्यावरण संरक्षण की अनेक अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के पदाधिकारी व इसके लिए यात्राएं कीं। पर्यावरण पर अनेक लेख व कुछ पुस्तकें लिखी।

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