सत्य प्रसाद रतूड़ी

टिहरी में 1930 में बाल सभा का गठन। 1936 में ‘पाखू’ नाटक छपा। 1939 में ‘साहित्य लता’ का प्रकाशन। टिहरी में सेमियर ड्रैमेटिक क्लब में सक्रिय। टिहरी के सैनिक स्कूल में अध्यापन। प्रजामण्डल की ओर रुझान। इस कारण 1946 में टिहरी छोड़ना पड़ा। 25 जुलाई 1948 से ‘हिमाचल साप्ताहिक’ का प्रकाशन/सम्पादन। यह पत्र 1981 तक चला। ‘सुरकंडा’ (1969), ‘मसूरी संदेश’ (1971), ‘हमारा गढ़वाल’ (1993), ‘गढ़वाल गाथा’ (1996) तथा ‘धरती का जनम’ (2002) का प्रकाशन। अनियमित ‘प्यौली’ का प्रकाशन। अनेक पुरस्कार प्राप्त।

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शीतांशु भारद्वाज

सन 1964-65 तक दिल्ली में ‘हिमाद्रिजा’ पत्रिका का सम्पादन। 1960 से निरंतर लेखन। अब तक राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1200 कहानियां प्रकाशित। कई कहानियों का आकाशवाणी लखनऊ, चुरू व जयपुर से प्रसारण। अब तक 10 उपन्यास, 14 कहानी संग्रह तथा 9 पुस्तकें संपादित। सम्प्रति फाल्गुनी फीचर्स का संचालन।

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चन्द्र मोहन भण्डारी

थाईलैण्ड, नार्वे, नाईजीरिया, आस्ट्रेलिया, कोलम्बिया और कनाडा 6 देशों में काम किया। कम्बोडिया में भारत के राजदूत तथा कनाडा में काउन्सिल जनरल रहे। पुनः विदेश मंत्रालय में वापस आ गये। तीन किताबें लिखी हैं। ‘सेविंग अंगकोर’, ‘जर्नी टू हैवन’, ‘योग शक्ति’।

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त्रिलोक चन्द्र भट्ट

पृथक राज्य आन्दोलन के ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में सबसे पहले दो भागों में प्रकाशित होने वाली पुस्तक‘उत्तराखंड आंदोलन’ का लेखन। पर्वतीय क्षेत्र की पृथक राजनैतिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए चले 20 वर्ष के संघर्ष में सक्रिय भागीदारी। दैनिक ‘बद्री विशाल’ में उत्तरांचल डेस्क प्रभार/उप संपादक।

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हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’

दून स्कूल में हाउस मास्टर और भारतीय भाषा विभागाध्यक्ष रहते हुए 32 तक वर्ष अध्यापन, एस.एन. कालेज में 5 वर्ष प्रिंसिपल। मूर्धन्य हिन्दी-अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 400 कहानियाँ, उपन्यास, एकांकी, संस्मरण, यात्रावृत्त और लेख प्रकाशित। लगभग 35 पुस्तकें (उपन्यास, कहानी संग्रह, एकांकी, संस्मरण, पर्वतारोहण सम्बंधी पुस्तकें) प्रकाशित। अंग्रेजी में लिखी कहानी ‘स्नो एण्ड स्नो’ को बी.बी.सी. ने प्रसारित किया। अनेक कहानियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद। कई सांस्कृतिक-सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी; कई नाटकों का निर्देशन व मंचन; अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के अध्यक्ष और सचिव। पर्वतारोहण की पृष्ठभूमि पर लिखी पुस्तकों पर उ.प्र. सरकार द्वारा दो बार नकद पुरस्कार, एकांकी लेखन पर स्वर्ण पदक, शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत। दिल्ली संस्कृत अकादमी, कालिदास समारोह समिति, उत्तराखण्ड कला मंच, स्वतंत्रता दिवस समारोह समिति, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, ओ. एन. जी. सी., हिमालय पर्यावरण सोसाइटी आदि कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित और अलंकृत।

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मदन चन्द्र भट्ट

1966 में टकाना रोड पिथौरागढ़ में सुमेरु संग्रहालय की स्थापना. उत्तराखण्ड के इतिहास पर नैनीताल, पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर, गोपेश्वर और बदरीनाथ में ऐतिहासिक प्रदर्शनियों का आयोजन। ‘हिमालय का इतिहास’ 1 और 2 का प्रकाशन, ‘कुमाऊँ की जागर कथायें’। 4. जाख गाँव में अपना पैतृक भवन सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना के लिए दान।

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प्रेमलाल भट्ट

हिन्दी साहित्य और गढ़वाली के अधिकारिक लेखक। 1956 में सरकारी सेवा में प्रवेश। पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ विभाग में 1984 से 1989 तक निदेशक (राजभाषा) नियुक्त रहे। सदस्य हिन्दी सलाहकार समिति, दूर संचार विभाग, भारत सरकार। हिन्दी अकादमी द्वारा ‘द्रोणाचार्य की पराजय’ उपन्यास पुरस्कृत। गढ़वाल साहित्य मण्डल के संस्थापक अध्यक्ष।

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