हरिसुमन बिष्ट

तीन उपन्यास, तीन कहानी संग्रह, एक यात्रा संस्मरण, एक संपादित पुस्तक अब तक प्रकाशित. 1993 में अराधक सम्मान, 1995 में डॉ. अम्बेडकर सेवा श्री सम्मान, 1995 में रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान, 2000 में हिन्दी सेवी सहस्राब्दी सम्मान प्राप्त।

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शेर सिंह बिष्ट

16 पुस्तकें, अनेक शोधलेख, कविताएँ, कहानियाँ प्रकाशित. कुछेक शोध योजनाएँ पूरी कीं, 10 पीएच.डी. शोध कार्य निर्देशित.

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लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’

कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष. बुदापैश्त (हंगरी) में भारतशास्त्र के अतिथि प्रोफेसर. रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, इंग्लैंड, जर्मनी, फिनलैंड आदि की यात्राएं।

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पंकज बिष्ट

विभिन्न प्रसारण सेवाओं में नौकरी करने के बाद ‘आजकल’ मासिक पत्रिका में सम्पादक। तीन कहानी संग्रह ‘पन्द्रह जमा पच्चीस’ व ‘बच्चे गवाह नहीं हो सकते’ और ‘टुन्ड्रा प्रदेश’। दो उपन्यास ‘लेकिन दरवाजा’ व ‘उस चिड़िया का नाम’ व कुछ बाल रचनाएं प्रकाशित व बहुप्रशंसित। संचार माध्यमों व पत्रकारिता पर अनेक लेख प्रकाशित। बाल उपन्यास ‘गोलू और भोलू’ भारतीय और विदेशी भाषाओं में, कई रचनाओं का अनुवाद। ‘समयांतर’ पत्रिका का सम्पादन।

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रस्किन बॉण्ड

पिछली आधी शताब्दी से लिख रहे हैं। बच्चों के लिए भी लिखा है। कुछ रचनाओं पर फिल्में बनी हैं। लगभग 75 किताबें प्रकाशित। अनेक भाषाओं में अनुवाद। साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा अन्य पुरस्कारों के अलावा पद्मश्री से सम्मानित।

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अबोध बन्धु बहुगुणा

हिन्दी और गढ़वाली के कवि, लेखक, कथाकार, उपन्यासकार, आलोचक, नाटककार, साहित्यकार, संग्राहक और अनुवादक। केन्द्रीय सरकार के पूर्ति मंत्रालय, उप-निदेशक पद से सेवानिवृत्त।

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देव सिंह पोखरिया

कुमाउँनी लोक साहित्य व संस्कृति पर विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तकों का लेखन। अब तक एक उपन्यास व दो कविता संग्रहों सहित 25 पुस्तकों की रचना की है। 100 से अधिक निबंध व शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। विविध आकाशवाणी केन्द्रों से 100 से अधिक कविताएँ. कहानियाँ अथवा वार्ताएं प्रसारित। हिन्दी काव्य के छन्दशास्त्र में विशेषज्ञता। कई समितियों में विशेषज्ञ व सलाहकार। विगत 28 वर्षों के अध्यापन काल में 15 छात्रों का शोध-निर्देशन किया, 3 शोध परियोजनाएं पूर्ण कीं। 4 पत्रिकाओं का सम्पादन, 4 राष्ट्रीय गोष्ठियों का आयोजन, 3 अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी। उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।

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