बंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’

जीविका हेतु क्रमशः अध्यापन, स्टेनोग्राफी और लेखन-कलाकर्म जैसे कार्य किए। लगभग तीन वर्ष तक कुमाउँनी की मासिक पत्रिका ‘आँखर’ का सम्पादन। लगभग 31 वर्ष तक उत्तरायण कार्यक्रम के जरिए कुमाउँनी/गढ़वाली संस्कृति का प्रसार। हिन्दी और कुमाउँनी में कविताएँ, गीत, लेख, संस्मरण, कहानियाँ, नाटक व समीक्षाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कुमाउँनी व हिन्दी में एक-एक कविता संग्रह प्रकाशित।

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दिनेश पाठक

देश की सभी शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। 6 पुस्तकें प्रकाशित, एक पुस्तक का सम्पादन। कई भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में रचनाएं अनूदित

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सुरेश पंत

सृजनात्मक लेखनः कुछ पुस्तकें, कुछ पुरस्कार-सम्मान आदि।भाषा वैज्ञानिक शोध-लेखों से अंतर्राष्ट्रीय पहचान। नाटक लेखन, व्युत्पादन, अभिनय और प्रसारण। शिक्षाशास्त्री, विशेषकर हिन्दी-संस्कृत भाषाओं की शिक्षण-अधिगम सामग्री ;पाठ्य, श्रव्य, दृश्यद्ध का निर्माण, शिक्षा से सम्बद्ध भारत सरकार की अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं/समितियों में सदस्य/परामर्शदाता। शिक्षकों की पुनश्चर्या, भाषा-शिक्षण कार्यशालाओें के विषय विशेषज्ञ, संदर्भ व्यक्ति। भारत के कुछ राज्यों की शिक्षण संस्थाओं में हिन्दी की स्थिति का अध्ययन, विश्लेषण और परामर्श। लगभग 40 पुस्तकें प्रकाशित।

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प्रदीप पन्त

अब तक 21 पुस्तकें प्रकाशित- 4 उपन्यास, 5 कहानी संग्रह, 4 व्यंग्य संग्रह, 4 यात्रा-संस्मरणों की पुस्तकें, एक विविध लेखों आदि का संग्रह, 3 बाल-कहानी संग्रह। यूरोप की यात्राएं कीं; हिन्दी अकादमी, दिल्ली से तीन बार सम्मानित; इसी अकादमी से हिन्दी भाषा, साहित्य व संस्कृति में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1999-2000 का ‘साहित्यकार सम्मान’; उ.प्र. हिन्दी संस्थान आदि से भी पुरस्कृत; अनेक भाषाओं में रचनाएं अनूदित।

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गौरी पन्त

‘हू इज हू इंटरनेशनल पोइट्री सोसाइटी’ के अनेक भाषाओं की कविताओं का अनुवाद। नेशनल गैलरी ऑफ माडर्न आर्ट नई दिल्ली एवं ग्लेन बारा आर्ट म्यूजियम जापान में चित्र प्रदर्शित। युवाओं के नाम संदेशः उत्तराखण्ड देवभूमि कही गयी है। वहाँ जन्म लेना हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है, गौरव है। प्रकृति ने हमारी जन्मभूमि को अद्भुत सौन्दर्य देकर संवारा है। हमें विरासत में जो कुछ मिला है उसे वर्तमान के साथ जोड़ते, निखारते आगे बढ़ना है- विशेषकर युवा पीढ़ी को।

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कैलाश चन्द्र पंत

महू में स्वाध्याय विद्यापीठ की स्थापना,22 वर्षों तक साप्ताहिक जनधर्म का नियमित प्रकाशन किया,भोपाल में किसान भवन का निर्माण और हिन्दी भवन का विकास किया,‘कौन किसका आदमी’ और ‘धुंध के आर पार’ का प्रकाशन,20 मई 1995 को भोपाल में नागरिक अभिनन्दन तथा 1,61,000 रु. की राशि भेंट स्वरूप प्राप्त की। ‘मालवांचल में कूर्मांचल’ नामक अभिनंदन-ग्रन्थ का प्रकाशन। मध्य प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के अतिरिक्त राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहायक मंत्री पद एवं हम भारतीय अभियान के राष्ट्रीय संयोजक पद का दायित्व संभाल रखा है। सम्प्रतिः राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा-राष्ट्रीय संयोजक।

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विद्यासागर नौटियाल

टिहरी रियासत के सामन्त विरोधी आंदोलन में सक्रिय होकर राजपाट बदलने में सहायक बने। बनारस में 1952 से 1959 तक छात्र आंदोलनों में सक्रिय। 1958 में आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष निर्वाचित। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय छात्र संघ का 1953 में महामंत्री तथा 1957 में विश्वविद्यालय छात्र संसद का प्रधानमंत्री निर्वाचित। 1980 में देवप्रयाग से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कम्युनिस्ट पार्टी प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित। 1958 में वियना में आयोजित विश्व युवक समारोह में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता के रूप में शामिल। सोवियत संघ व कुछ अन्य देशों की यात्राएँ भी कीं। छात्र जीवन से कहानियां लिखना प्रारम्भ किया। हिन्दी की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। अब हिन्दी के समकालीन प्रमुख कथाकारों में शामिल। अब तक 2 कहानी संग्रह, 3 उपन्यास प्रकाशित तथा कुछ प्रकाशनाधीन। ‘पहल सम्मान’ तथा मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के द्वारा अखिल भारतीय वीरसिंह देव पुरस्कार से सम्मानित।

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