पार्वती उप्रेती

1985 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या के रूप में अवकाश ग्रहण किया। 25 वर्ष तक निरन्तर आकाशवाणी से सम्बद्ध रही। कविताएं, कहानियां, वार्ताएं प्रसारित होती रहीं। कुछ पुस्तकें भी छपी हैं।जीवन के अनेक उतार-चढ़ावों से जूझते हुए मैंने समाज सेवा के नाते अध्यापन कार्य अपनाया। प्राणप्रण से प्रयास किया कि विद्यालय की बालिकाओं में उच्च शैक्षिक स्तर के साथ देश और समाज के प्रति अपने दायित्वों का बोध् हो। इस हेतु अनेक प्रोजेक्ट चलाए।

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जोगेन्द्र सिंह कण्डारी

कला, साहित्य, पुरातत्व, भाषा संस्कृति सम्बन्धी 150 से अधिक लेखों का प्रकाशन। कविता संग्रह- 1. मुट्ठियों में बंद आकार (1972), 2. हथेलियों पर अस्तित्व (1993), ‘शब्द भारती’ तथा भारतीय भाषाओं के कवियों का सम्पादन।निबन्ध संग्रह- हिन्दी के गतिमान क्षितिज (1997), राजभाषा हिन्दी विश्व संदर्भ में (2002)। पत्रकारिता- हिन्दी पत्रकारिता की दिशाएँ (2000)। ‘हिन्दी के गतिमान क्षितिज’ को हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा वर्ष 1997-98 का साहित्यिक कृति पुरस्कार।

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ओम प्रकाश कुकरेती

प्रवक्ता पद पर शिक्षक की नौकरी शुरू की। बाद में नवोदय विद्यालय श्रीगंगानगर में प्राचार्य पद पर पदोन्नत। 1979. 1980 और 1982 में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा उत्कृष्ठ शिक्षक का पुरस्कार। चार उपन्यास, दो कहानी संग्रह व विविध विधाओं में दर्जनों अन्य रचनाएं प्रकाशित। कहानी लेखन के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार। सन् 2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ शांति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित सहस्राब्दि हिन्दी सम्मेलन में राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दि सम्मान एवं पदक।

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मधु बी. जोशी

प्राइमरी शिक्षा के लिए रेडियो कार्यक्रमों की अभिकल्पना। बच्चों के लिए कुछ सुन्दर कहानियाँ और शिशु पुस्तकें। हिन्दी कविता और कहानी का अंग्रेजी अनुवाद। महत्वपूर्ण तकनीकी और समाजशास्त्रीय पाठों का हिन्दी अनुवाद। जनशिक्षण कार्यक्रमों में भागीदारी।

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मनोहर श्याम जोशी

1954-1963 आकाशवाणी दिल्ली और केन्द्रीय सूचना सेवा (फिल्म प्रभाग), बम्बई में सेवारत। दिल्ली से प्रकाशित दिनमान में सहायक संपादक। 1967-82 में ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में संपादक। ‘वीकेंड रिव्यू’ का संपादन। 1984 से स्वतंत्र लेखन। हम लोग, बुनियाद, हमराही, जमीन आसमान, मुंगेरीलाल के हसीन सपने, कक्का जी कहिन जैसे चर्चित और लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिकों का लेखन। कुरु-कुरु स्वाहा, कसप, अधिकारिणी, बुनियाद, एक और पेंच, हरिया हरक्यूलिस की हैरानी (उपन्यास), मन्दिर के घाट की पौडि़यां (कहानी संग्रह), बातों-बातों में (साक्षात्कार), कक्का जी कहिन (व्यंग्य), आदि रचनाओं का लेखन। दो फीचर फिल्मों की पटकथा लेखन। दुर्लभ व्यक्तित्व (कहानी संग्रह) के लिए उ.प्र. हिन्दी संस्थान पुरस्कार।कसप (उपन्यास) के लिए म.प्र. साहित्य परिषद पुरस्कार। मंदिर के घाट की पौडि़याँ (कहानी संग्रह) के लिए शारदा सम्मान।

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शेखर जोशी

कोसी का घटवार (1958), साथ के लोग (1978), हलवाहा (1981), मेरा पहाड़ (1989), एक पेड़ की याद (1987), नौरंगी बीमार है (1990), डांगरी वाले (1994), प्रतिनिधि कहानियाँ (1994) और दस प्रतिनिधि कहानियाँ (1997) आदि कहानी संग्रह प्रकाशित। पत्र- पत्रिकाओं में कविताएं/लेख आदि प्रकाशित। ‘धर्मयुग’ कहानी प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार (1955), उ.प्र. हिन्दी संस्थान का महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार (1987) एवं साहित्य भूषण पुरस्कार (1995), प्रतिष्ठित ‘पहल’ सम्मान (1997)।प्रायः सभी प्रादेशिक भाषाओं तथा अंग्रेजी, रूसी, जापानी, चेक, पोलिश भाषाओं में कहानियों के अनुवाद प्रकाशित/प्रसारित।

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हिमांशु जोशी

हिन्दी के अग्रणी कथाकार एवं पत्रकार। गत 40 वर्षों से लेखन तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। लगभग 25 वर्ष तक ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में वरिष्ठ पत्रकार के पद पर काम किया। अब तक 7 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह, 3 कविता संग्रह, 2 वैचारिक संस्मरण, 2 यात्रा वृतान्त, 2 जीवनियाँ, 2 रेडियो नाटक, 8 बाल साहित्य, 5 सम्पादित ग्रंथ प्रकाशित हुए। अनेक कहानियों एवं उपन्यासों का देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है।‘अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी लेखक मंच’, दिल्ली के महासचिव, ‘आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ तथा ‘फिल्म राइटर्स एसोसिएशन- के सदस्य। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समितियों के सदस्य।दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के लिए भी कार्य किया। अनेक कहानियों, उपन्यासों पर टीवी सीरियल व फिल्में बनीं। अनेक देशों की यात्राएँ कीं। अनेक पुस्तकों को ‘उ.प्र. हिन्दी संस्थान’ के पुरस्कार; दो पुस्तकों पर हिन्दी अकादमी दिल्ली का सम्मान; एक पुस्तक राजभाषा विभाग बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत तथा पत्रकारिता के लिए केन्द्रीय हिन्दी संस्थान (मानव संसाधन मंत्रालय) द्वारा स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित। सम्प्रति- संपादक ‘वागर्थ’।

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