Gopal Babu Goswami is a legend of Kumaoni and Garhwali music.He was one of the superstar of Uttarakhandi Music during his time. Gopal Babu Goswami was born on 2nd February 1941 at village Chandikot, Chaukhutia, Almora. In his family he was having father Mohan Giri, Mother Chanuli devi and sister Radha devi. He spent his child hood under great difficulties. His father died before Gopal could pass out from class 8th. The main profession of his father was agriculture. After the death of his father the entire responsibility of his…
Read MoreCategory: संगीत
Talents in the field of Music (संगीत के क्षेत्र से जुड़ी हुई प्रतिभायें)
गोपाल बाबू गोस्वामी
गोपाल बाबू गोस्वामी उत्तराखंड के एक बेजोड़ गायक रहे हैं। उन्होने कुमांऊनी व गढ़वाली दोनों भाषाओं में गाने गाये। अपने जमाने में उनकी छवि एक सुपरस्टार से कम ना थी। गोपाल बाबू गोस्वामी का जन्म 2 फरवरी 1941 को पिता मोहन गिरी व माता चनुली देवी के घर हुआ था। उनका जन्म स्थान अल्मोडा जनपद के पाली पछाऊँ तहसील, पट्टी गेवाड चौखुटिया, ग्राम चाँदीकोट है। गोपाल बाबू का बचपन बड़ी कठिनाई से बीता। उनकी प्रारंभिक शिक्षा चौखुटिया में ही हुई लेकिन जब वह छोटे ही थे तो उनके पिता का…
Read Moreउमा दत्त शर्मा (उमाशंकर ‘सतीश’)
दो दर्जन से अधिक हिन्दी, अंग्रेजी, गढ़वाली भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। उपराष्ट्रपति द्वारा हिन्दी लेखन के लिए सम्मानित। सूरीनाम तथा नीदरलैंड में हिन्दी अध्यापन। गढ़वाली लोक संगीत का आकाशवाणी दिल्ली से वर्षों तक प्रसारण किया। गढ़वाली संगीत के ग्रामोफोन रिकार्ड्स बने तथा गढ़वाली गाथाओं एवं भजनों के कैसेट खूब प्रचलित हुए।
Read Moreहीरा सिंह राणा
उत्तराखण्ड के कलाकारों का ट्रूप नवयुवक केन्द्र ताड़ीखेत 1974। हिमांगन कला संगम दिल्ली 1992. पहले ज्योली बुरूँश (1971), मानिला डांडी (1985), मनख्यू पड़यौव में (1987) कैसेट-6 ‘रंगिली बिन्दी, रंगदार मुखड़ि’ ‘सौमनो की चोरा, ढाई विसी बरस हाई कमाला’, ‘आहा रे जमाना’।
Read Moreपवनदीप राजन
राज्यपाल उत्तर प्रदेश द्वारा 11 हजार रुपये का ईनाम.मुख्यमंत्री द्वारा 5 हजार का ईनाम तथा प्रशस्तिपत्र. दूरदर्शन, घूमता आइना, सुबह सवेरे, तथा अन्य क्षेत्रीय टेलीविजन प्रसारणों में कार्यक्रम का प्रसारण.उत्तरांचल महोत्सव, कुमाऊँ शरदोत्सव, कुमाऊँ महोत्सव, उत्तरायणी मेला बोगश्वर, नई टिहरी, आदि स्थानों पर तबला वादन की तीन ताल, झपताल, रूपक, खेमटा, दादरा, कहरुवा, दीपचड़ी, एकताल आदि का प्रदर्शन.
Read Moreशशि भूषण मैठाणी ‘पारस’
31 मई 2001 को उत्तर भारतीय गीत संध्या का आयोजन, जिसमें प्रख्यात पण्डवानी गायिका तीजनबाई, गलज गायक सरयू प्रसाद भारती, गायिका मीटा सुब्बा आदि कलाकारों ने भाग लिया।
Read Moreशुभा मुदगल
यह सर्वविदित है कि उनके गाये गीतों के दर्जनों बहुचर्चित कैसेट्स, सी.डी. आ चुके हैं। उन्होंने सैकड़ों कार्यक्रम प्रस्तुत किये हैं। संगीत में परम्परा और प्रयोगशीलता दोनों को उन्होंने ऊँचाइयाँ दी हैं। शास्त्रीय संगीत और गायन में उन्होंने बहुत कुछ नया और ताजगी भरा जोड़ा है। कई फिल्मों में संगीत दिया है।
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