बी.एच.यू. में प्रवक्ता के रूप में जीवन क्षेत्र में पदार्पण। कैमिकल इंजीनियरिंग की विशेषज्ञता। भारत (गुजरात) में तत्सम्बन्धी उद्योगों की स्थापना में योगदान। इनके द्वारा विकसित कार्बोक्सी मिथायल सैल्यूलोज (सी.एम.सी.) की पेटेंटिंग सन् 1958 में हो गई थी। तत्पश्चात् शोध और विकास का कार्यक्रम निरन्तर चला। स्वयं के दो उद्योग स्थापित किये। दर्जनों कम्पनियों को परामर्श दिया और औद्योगीकरण में सहयोग किया। डॉ. धारियाल भारत में सैल्यूलोज डेरी उत्पादनों के जनक माने जाते हैं। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।
Read MoreCategory: प्रतिभायें
Talents in various fields from Uttarakhand.
किशोर धामी
एन.डी.ए. से उत्तीर्ण प्रथम 10 कैडैटों में एक; भारतीय वायु सेना में सर्वाधिक उड़ान भरने वाले पायलटों की श्रेणी में; पायलट प्रशिक्षक; एक वायु टुकड़ी का कमांडर; एन.सी.सी. के एयर स्क्वाड्रन का कमांडर, जिसे वर्ष 2001 का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।
Read Moreविपुल धस्माना
उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान मिशन के बतौर पत्रकारिता का चुनाव। विभिन्न स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में राज्य आन्दोलन और उससे जुड़े तथ्यों पर केन्द्रित लेखन। वेब पत्रकारिता में स्नातक।
Read Moreराजेन्द्र धस्माना
1955 से हिंदी कविताओं की रचना। विविध लेख और समीक्षाएँ भी प्रकाशित। अभी तक काव्य संग्रह ‘परवलय’ प्रकाशित। 1960 से अखबार, प्रकाशकों के यहाँ नौकरी के बाद 1978 तक संपूर्ण गांधी वांगमय में सहायक संपादक 1979 से। समाचार प्रभाग, आकाशवाणी एवं समाचार एकक, दूरदर्शन में समाचार संपादक। 1993 से 95 तक सम्पूर्ण गांधी वांगमय में प्रधान संपादक। 1995 में सेवा निवृत्त। 1993 से 2000 तक दूरदर्शन के प्रातः कालीन समाचार बुलेटिन का संपादन (सेवा निवृत्ति के बाद भी)। 1960 से रंगकर्मी के रूप में भी कार्य किया। आठवें दशक से गढ़वाली रंगमंच के लिए नाटक लिखे, जिनमें ‘जंकजोड़’, ‘अर्धग्रामेश्वर’, ‘पैसा न ध्यल्ला गुमान सिंह रौत्यल्ला’, ‘जय भारत जय उत्तराखण्ड’ के मंचन काफी चर्चित रहे। भवानी दत्त थपल्याल के ‘प्रींद नाटक’ का अपडेटिंग किया, जिसके केवल दो प्रदर्शन हो पाये। कन्हैयालाल डंडरियाल के ‘कंस-वध’ का पुनर्लेखन ‘कंसानुक्रम’ के रूप में किया। ‘भड़ भंडारी माधोसिंह’ का मंचन नहीं हुआ। गढ़वाली नाटकों पर 30 स्मारिकाएं और उत्तराखण्ड पर 9 पठनीय स्मारिकाओं का संपादन किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और कुछ संस्थानों के लिए 20 से अधिक डाक्युमेंटरी बनाईं। सम्प्रति उत्तराखण्ड लोक स्वातंत्र्य संगठन (पी.यू.सी.एल.) के अध्यक्ष। उत्तराखण्ड के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में सक्रिय योगदान मानव अधिकारों के लिए समर्पित।
Read Moreलवराज सिंह धर्मशक्तू
19 मई 1998 को ‘टाटा एवरेस्ट अभियान 1998’ के अंतर्गत नार्थ कोल से एवरेस्ट पर चढ़ने में सफल। यह अपेक्षाकृत कठिन रास्ते से सम्पन्न आरोहण था, जो भारत की आजादी की 50वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित किया गया था। इसके अतिरिक्त हिमालय के अन्य 15 दुर्गम पर्वत शिखरों का आरोहण। अनेक भारतीय व विदेशी पर्वतारोहण अभियानों में सहयोग अथवा नेतृत्व किया। पर्वतारोहण प्रशिक्षक के रूप में भी कार्य किया।
Read Moreविशेश्वरी देवी
सर्वोदयी कार्यकर्ताओं के साथ चिपको आंदोलन में हिस्सेदारी। 1988 में गरुड़गंगा (पाखी) गांव की अध्यक्षा चुनी गयी। इससे पूर्व मैंने गाँव में जातिभेद के खिलाफ अभियान चलाया था। अध्यक्षा चुने जाने के बाद गाँव में हैस्को, हार्क व सर्वोदयी संस्थाओं की मदद से पर्यावरण संरक्षण, रिंगाल उद्योग व फल-संरक्षण, वनस्पतियों से धूप-अगरबत्ती निर्माण, नयी प्रजाति की सब्जियों का उत्पादन आदि कार्यक्रमों के जरिए गांव की तस्वीर बदलने का प्रयास किया।
Read Moreबौणी देवी
पिछले 20 वर्षों से महिला मंगल दल की अध्यक्षा पद पर कार्य किया। सलना मंगलदल में अपना एक कोष तैयार किया और सामूहिक जरूरतों का सामान खरीदा। उर्गम हाईस्कूल के लिए दल ने आन्दोलन किया। स्व. गौरा देवी व श्री चण्डीप्रसाद भट्ट के नेतृत्व में चिपको आन्दोलन में हिस्सा लिया। उत्तराखण्ड सेवानिधि व जाखेश्वर शिक्षण संस्थान के साथ मिलकर पिछले 8 वर्षों से पर्यावरण शिक्षा व बालवाड़ी आन्दोलन में हिस्सा। पैनखण्डा महिला विकास संस्थान तथा जय नन्दा देवी स्वरोजगार शिक्षण संस्थान, भर्की की अध्यक्षा। 1987 इंदिरा गाँधी वृक्ष मित्र से सम्मानित। 2001 में जिला प्रशासन की ओर से चिपको नेत्री सम्मान। भारत सेवा समिति श्रीनगर की ओर से पर्यावरण पुरस्कार।
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