हिमांशु जोशी

हिन्दी के अग्रणी कथाकार एवं पत्रकार। गत 40 वर्षों से लेखन तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। लगभग 25 वर्ष तक ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में वरिष्ठ पत्रकार के पद पर काम किया। अब तक 7 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह, 3 कविता संग्रह, 2 वैचारिक संस्मरण, 2 यात्रा वृतान्त, 2 जीवनियाँ, 2 रेडियो नाटक, 8 बाल साहित्य, 5 सम्पादित ग्रंथ प्रकाशित हुए। अनेक कहानियों एवं उपन्यासों का देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है।‘अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी लेखक मंच’, दिल्ली के महासचिव, ‘आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ तथा ‘फिल्म राइटर्स एसोसिएशन- के सदस्य। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समितियों के सदस्य।दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के लिए भी कार्य किया। अनेक कहानियों, उपन्यासों पर टीवी सीरियल व फिल्में बनीं। अनेक देशों की यात्राएँ कीं। अनेक पुस्तकों को ‘उ.प्र. हिन्दी संस्थान’ के पुरस्कार; दो पुस्तकों पर हिन्दी अकादमी दिल्ली का सम्मान; एक पुस्तक राजभाषा विभाग बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत तथा पत्रकारिता के लिए केन्द्रीय हिन्दी संस्थान (मानव संसाधन मंत्रालय) द्वारा स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित। सम्प्रति- संपादक ‘वागर्थ’।

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हेमंत जोशी

पिछले 15 वर्षों से पत्रकारिता प्रशिक्षण के क्षेत्रों में अनेक नवीनतम विषयों पर कार्य। हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के विकास की वकालत और उसमें योगदान। रघुवीर सहाय के स्तंभ ‘अर्थात’ का संपादन। ‘पल-प्रतिपल’ पत्रिका के फ्रांसीसी साहित्य विशेषांक का संपादन। ‘महायुद्धों के आसपास’ छः फ्रांसीसी कवियों की कविताओं का अनुवाद और संकलन। पाल एल्युआर और लुई आरागों की कविताओं का ‘तनाव’ पत्रिका के लिए अनुवाद। अनेक समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में मौलिक कविताओं, लेख, समीक्षा का प्रकाशन। रेडियो और टीवी के अनेक कार्यक्रमों में योगदान।

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कृष्ण बल्लभ झल्डियाल

भारतीय सेना में युद्ध उपकरणों तथा अस्त्र-शस्त्रों के इंजीनियरिंग सपोर्ट के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान। इलेक्ट्रॉनिक्स, टेली-कम्यूनिकेशन, आ.ई.टी. तथा कम्प्यूटर साइंस के लिए एच.आर.डी. में कार्य। आजकल भारत के एक अग्रणी एन.जी.ओ.- इंस्टीट्यूट ऑफ इलैक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में सेक्रेटरी जनरल के पद पर कार्यरत। सेवा निवृत्त मेजर जनरल, अति विशिष्ट सेवा मेडल (टैड) से सम्मानित।

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चन्द्र बल्लभ झल्डियाल

इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्वेयर्स के ‘फेलो’। इण्डियन नेशनल कान्ट ग्राफिक एसोसियेशन और इंस्टीट्यूशन ऑफ इन्जीनियर्स के सदस्य। 31 दिसम्बर, 1992 को सर्वेयर जनरल आपफ इण्डिया के पद से अवकाश। सर्वे ऑफ इण्डिया में डायरेक्टर मैप पब्लिकेशन और एडिशनल सर्वेयर। रॉयल गवर्नेमेंट ऑफ भूटान में सात साल तथा सर्वे एडवाइजर के पद पर रहे। जनरल और सर्वेयर जनरल ऑफ इण्डिया के पद पर रहे।

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बी. एम. खण्डूड़ी

60 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किये। मध्य हिमालय और उत्तराखण्ड के इतिहास व पुरातत्व विषयों पर शोध। उत्तराखण्ड में कुछ महत्वपूर्ण पुरातात्विक खुदाइयों का प्रो. कांति प्रसाद नौटियाल के साथ नेतृत्व किया। युवाओं के नाम संदेशः दूर की सोचें और उत्कृष्टता से उसे हासिल करने के लिए प्रयत्नशील रहें।

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भुवन चन्द्र खण्डूड़ी

1959 में सेकेण्ड लेफ्टिनेंट के बतौर सेना में शामिल। 1966 से 1968 तक सीनियर इन्स्ट्रक्टर (मेजर), मिलिट्री इंजीनियरिंग कालेज, पूना में नियुक्त। 1971-79 में जनरल ऑफिसर, रेजीमेंट, फील्ड एरिया तथा 1977-79 में जनरल ऑफिसर ग्रेड-1, सेना मुख्यालय में तैनात रहे। 1983-1986 तक मेजर जनरल रहे और 1990 में सेवानिवृत्त।सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में सक्रिय। 1991 में भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर पौड़ी संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित। 1999 में दोबारा निर्वाचित और अक्टूबर 2000 से केन्द्रीय भूतल परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार).2003 में कैबिनेट मंत्री बने।

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विजय प्रसाद खण्डूड़ी

दिल्ली राज्य द्वारा शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित। नाइजीरिया सरकार के आमंत्रण पर नाइजीरिया में पांच वर्ष तक शिक्षा निदेशक। विज्ञान को लोकप्रिय बनाने हेतु नियमित लेखन। दो पुस्तकें रूपा एण्ड कम्पनी द्वारा प्रकाशित। ‘वर्ड गेम्स एण्ड पजल्स’ नामक पत्रिका का प्रकाशन। ‘सोसाइटी फॉर पॉपुलराइजेशन एण्ड एडवान्समेंट ऑफ साइंस एजूकेशन’ नामक संस्था का गठन किया। संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत में जर्मन महोत्सव के लिए भारत के विभिन्न पहलुओं पर 1500 से अधिक क्विज प्रश्नों को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी। वर्तमान में शिक्षा निदेशालय में उप निदेशक।

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