द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख

उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आन्दोलन में अनेक लोगों ने योगदान दिया। कुछ लोग शहीद हुए तो कुछ लोगों नें अपनी कलम के माध्यम से अपनी बात रखी, चाहे वह गिरीश चन्द्र तिवारी ‘गिर्दा’ हों या फिर नरेन्द्र सिंह नेगी। नेगी जी के गाये कुछ गीत जैसे “मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि..उत्तराखण्ड आन्दोलन मां” या फिर “हिट स्यालि धर हाथ थाम्बाली चल उत्तराखंडे रैली मा, रैली मा” हम पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं, आज प्रस्तुत है उन्ही का गाया एक ऐसा ही गीत।

“मुट्ट बोटीकि रख” यानि अपनी मुट्ठी कस ले एक ऐसा गीत है जो  “जैंता एक दिन त आलो” की तरह ही मन में जोश भरने वाला है। यह गाना नेगी जी की “कारगिले लड़ै में छौऊं” आडियो कैसेट में आया था। नैनीताल की “पहाड़” संस्था द्वारा नरेन्द्र नेगी जी की कविताओं / गीतों को संकलित कर एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है उस पुस्तक का नाम भी “मुट्ट बोटीकि रख” है।

यह गाना उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के सन्दर्भ में लिखा गया था, इसमें जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने का सन्देश समाहित है साथ ही यह लक्ष्यप्राप्ति के लिये एकजुट होकर आगे बढने की प्रेरणा भी देता है।

भावार्थ : कष्ट हैं यह दो दिन के लिये अब, बस-मुट्ठियां कस लो। दुश्मन आजमा रहा है तुम्हारी हिम्मत-तुम बस मुट्ठियां कस लो।

घने पेड़ों से छन कर आयेगी धूप तेरे इलाके में भी, ये शेखी बघारने वालों के बचे हैं अब दो पल-तुम बस मुट्ठियां कस लो। कष्ट है यह दो दिन के लिये अब, बस – मुट्ठियां कस लो।

बादल गरज रहे हैं, बिजली चमक रही है- अब तो बारिश होकर रहेगी, होकर रहेंगे ये पर्वत हरे, तुम अब – मुट्ठियां कस लो, कष्ट है यह दो दिन के लिये अब, बस – मुट्ठियां कस लो।

सत्य है तू, तेरा देव सच्चा है, संघर्ष तेरा सत्य है, इन फर्जी देवताओं की हुंकार से तुम  भय न करो- बस मुट्ठियां कस लो,कष्ट है यह दो दिन के लिये अब, बस – मुट्ठियां कस लो।

सन इक्यावन से ठग रहे हैं ये तुम्हें सपने दिखाकर,[सन 1951 में भारत में पहला आम चुनाव हुआ था] इस चुनाव में फिर से आयेंगे ये सब-मुट्ठियां कस लो कष्ट है यह दो दिन के लिये अब, बस – मुट्ठियां कस लो।

जिन शहीदों की चिता में आग देकर तुम भी चुप बैठ गये देखो जरा तस्वीरें इन शहीदों की, और अब – मुट्ठियां कस लो कष्ट है यह दो दिन के लिये अब, बस – मुट्ठियां कस लो दुश्मन आजमा रहा है तुम्हारी हिम्मत – मुट्ठियां कस लो।

गीत के बोल देवनागिरी में

द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख mutt-botiki-rakh-book-cover
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )
तेरि हिकमत आजमाणूं बैरि- मुट्ट बोटीकि रख
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )

घणा डाळों बीच छिर्की आलु घाम तेरा मुल्क भी
तेरा मुल्क भी ( कोरस )
घणा डाळों बीच छिर्की आलु घाम तेरा मुल्क भी
सेक्कि पाळै द्वी घड़ी छिन हौरि- मुट्ट बोटीकि रख
सेक्कि पाळै द्वी घड़ी छिन हौरि – मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )

गर्जणा बादल, चमकणी चाल – बर्खा ह्वेकि राली
बर्खा ह्वेकि राली ( कोरस )
गर्जणा बादल, चमकणी चाल – बर्खा ह्वेकि राली
ह्वै कि रालि डांड़ि- कांठी हैरि – मुट्ट बोटीकि रख
ह्वै कि रालि डांड़ि- कांठी हैरि – मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )

सच्चु छै तू, स च्चु तेरु ब्रह्म , लड़ैं सच्चि तेरि
लड़ैं सच्चि तेरि ( कोरस )
सच्चु छै तू, स च्चु तेरु ब्रह्म , लड़ै सच्चि तेरि
झूठा दयबतोंकी किलक्वार्युंन ना डैरि- मुट्ट बोटीकि रख
झूठा दयबतोंकी किलक्वार्युंन ना डैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )

सन इकावन बिटि ठगौंणा छिन ये त्वै सुपिन्या दिखैकि
त्वै सुपिन्या दिखैकि ( कोरस )
सन इकावन बिटि ठगौंणा छिन ये त्वै सुपिन्या दिखैकि
ऐंसु भी आला चुनौं मां फेरि- मुट्ट बोटीकि रख
ऐंसु भी आला चुनौं मां फेरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )

जों शहीदुं की चितों थें आग देकी बैठि गै तु
बैठि गै तु ( कोरस )
जों शहीदुं की चितों थें आग देकी बैठि गै तु
तों कि तस्विरुं जनें जरा हेरि- मुट्ट बोटीकि रख
तों कि तस्विरुं जनें जरा हेरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )
द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख ( कोरस )

गीत : [audio:dwi-dino-ki-hauri-chhu-ab-mutt-botiki-rakh.mp3]

इस गीत का चुनाव व हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत का है।

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dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)
teri hikamat aajamaaNoo.n bairi- muTT boTeeki rakh
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)

ghaNaa Daalon beech chhirkee aalu ghaam teraa mulk bhee
teraa mulk bhee ( Chorus)
ghaNaa Daalon beech chhirkee aalu ghaam teraa mulk bhee
sekki paalai dvee ghree chhin hauri- muTT boTeeki rakh
sekki paalai dvee ghree chhin hauri – muTT boTeeki rakh ( Chorus)
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)

garjaNaa baadal, chamakaNee chaal – barkhaa hveki raalee
barkhaa hveki raalee ( Chorus)
garjaNaa baadal, chamakaNee chaal – barkhaa hveki raalee
hvai ki raali Daa.nri- kaa.nThee hairi – muTT boTeeki rakh
hvai ki raali Daa.nri- kaa.nThee hairi – muTT boTeeki rakh ( Chorus)
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)

sachchu chhai too, s chchu teru brahm , lrai.n sachchi teri
lrai.n sachchi teri ( Chorus)
sachchu chhai too, s chchu teru brahm , lrai sachchi teri
jhooThaa dayabato.nkee kilakvaaryu.nn naa Dairi- muTT boTeeki rakh
jhooThaa dayabato.nkee kilakvaaryu.nn naa Dairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)

san ikaavan biTi Thagau.nNaa chhin ye tvai supinyaa dikhaiki
tvai supinyaa dikhaiki ( Chorus)
san ikaavan biTi Thagau.nNaa chhin ye tvai supinyaa dikhaiki
ai.nsu bhee aalaa chunau.n maa.n pheri- muTT boTeeki rakh
ai.nsu bhee aalaa chunau.n maa.n pheri- muTT boTeeki rakh ( Chorus)
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)

jo.n shaheedu.n kee chito.n the.n aag dekee baiThi gai tu
baiThi gai tu ( Chorus)
jo.n shaheedu.n kee chito.n the.n aag dekee baiThi gai tu
to.n ki tasviru.n jane.n jaraa heri- muTT boTeeki rakh
to.n ki tasviru.n jane.n jaraa heri- muTT boTeeki rakh ( Chorus)
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)
dvee din kee hauri chh ab khairi- muTT boTeeki rakh ( Chorus)

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6 Thoughts to “द्वी दिन की हौरि छ अब खैरि- मुट्ट बोटीकि रख”

  1. उत्तराखण्ड में तो लगता है कि मुट्टी बोटिक रखने की जरुरत हमेशा ही रहेगी। पहले बाहरी लोगों के लिये मुट्ठियां तनती थीं, अब अपने लोगों के लिये भी मुट्ठियां ताननी पड़ रही हैं। ये भी एक विडम्बना ही है।

  2. naveen

    bahut accha gana hai……लगता है की मुठिया ताननी ही पड़ेंगी..

  3. Raj Pithoragariya

    Fully agree with Ghingaru jee. Satya bachan kaha aapne.
    Raj Pithoragariya

  4. netra singh

    bahut hi badhiya gana hai,

  5. क्या गजब का गीत लिखा और स्वर दिया है नेगी जी ने। उत्तराखंड मिल गया है लेकिन आज राज्य के जैसे हालात हैं उससे यह गीत आज भी उतना ही प्रासांगिक है।

  6. jaipal singh negi

    bilkul sahi kaha hai

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