पिछ्ले भाग में हमने देखा कि किस प्रकार शहर की भागमभाग ज़िंदगी मनुष्य को तनाव से भर देती है और मनुष्य अपनी याद्दास्त भी खोने लगता है। लेकिन, क्या इस स्थिति से बचने का कोई रास्ता है? कई मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ‘हां है।’ मिशिगन विश्विद्यालय के मनोविज्ञानी स्टेफेन कैप्लान द्वारा विकसित ‘आर्ट’ यानी अटेंशन रेस्टोरेशन थ्योरी इसका रास्ता है। और, कैप्लान ने जो रास्ता सुझाया, वह है प्रकृति की शरण लेना। कल्पना कीजिए कि कहीं कोई साफ-सुथरी झील है। उसके आसपास नाना प्रकार के पेड़-पौधों की हरियाली बिखरी हुई है। वहां चिड़ियां चहचहाती हैं। हवा आकर पेड़ों की पत्तियों को सहलाती है। उनकी शाखों पर दिन भर गिलहरियां खेलती हैं। फूलों पर मधुमक्खियां, भौंरे और तितलियां मंडराती हैं। नीली झील में लहरों की रेशमी सलवटें उठती और मिटती रहती हैं। उनके बीच मछलियां अठखेलियां करती रहती हैं।…हमारा मन इस दृश्यावली में रम जाता है। दिमाग की मशीन के कल-पुर्जे विश्राम करने लगते हैं। कहीं कोई ध्यान भंग नहीं होता। मन बेहद शांत हो जाता है।
बस, यही है कैप्लान की संकल्पना जिसे ‘आर्ट’ यानी अटेंशन रेस्टोरेशन थेरेपी कहा गया है। यह दिमाग के इलाज की कुदरती दवा है। जिससे दिमाग को भारी सुकून मिलता है। शायद यही कारण हो कि पिकासो जैसा प्रख्यात चित्रकार शहर छोड़ कर शांत-एकांत इलाके में जाकर बस गया। टैगोर और विवेकानंद ने पहाड़ों की गोद में आकर प्रकृति के सान्निध्य में शांति अनुभव की।
मनोवैज्ञानिक मार्क बरमैन ने ध्यान केंद्रित करने और याददाश्त का पता लगाने के लिए विद्यार्थियों पर प्रयोग किया। विद्यार्थियों का एक समूह वनस्पति उद्यान में घूमने के लिए भेजा और दूसरा शहर की भीड़ और शोर-शराबे में। वे जी पी एस संपर्क में थे। बरमैन ने देखा कि शहर में घूम रहे विद्यार्थियों की मनःस्थिति ठीक नहीं थी और उनकी ध्यान केंद्रित करने तथा याददाश्त की क्षमता बहुत कम हो गई। इसी तरह इलिनॉय विश्वविद्यालय की फ्रैंसीज कुओ ने एक बृहद आवासीय क्षेत्र की निवासी महिलाओं से पूछताछ की। उनमें दो प्रकार की महिलाएं थीं: एक वे जिन्हें अपने अपार्टमेंट से बाहर केवल कंकरीट की इमारतें, पार्किंग स्थल और बास्केटबाल कोर्ट दिखाई देते थे। दूसरे समूह की महिलाओं को हरे-भरे पेड़, लॉन और फूलों की क्यारियां दिखाई देती थीं। पता लगा, हरियाली देखने वाली महिलाएं जीवन की चुनौतियों का बेहतर ढंग से सामना कर रही हैं। कुओ को यह भी पता लगा कि जिन अपार्टमेंटों से हरियाली दिखाई देती थी, उनमें घरेलू हिंसा का प्रतिशत भी कम था। अध्ययन से साबित हुआ कि शहरी जीवन में भावनात्मक नियंत्रण कम हो जाता है और व्यक्ति अपना आपा खो बैठता है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हरियाली के फायदों और पेड़-पौधों की विविधता में भी सीधा रिश्ता है। जितने अधिक प्रकार के पेड़-पौधे होंगे, दिमाग पर उतना ही अच्छा असर पड़ेगा। इसलिए अब इस खोज का लाभ उठा कर अनेक वास्तुविद घर-आंगन और व्यावसायिक इमारतों के लिए नए प्रकार के डिजायन तैयार करने लगे हैं ताकि अधिक से अधिक और विविधतापूर्ण हरियाली उगाई जा सके। हराभरा पार्क मन पर तुरंत असर करता है। बरमैन का कहना है, हरीभरी दृश्यावली को देखने भर से ध्यान और याददाश्त में इजाफा हो जाता है।
मगर, रुकिए जरा। शांता फे इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को शहर में संभावना भी नजर आ रही है। उनका कहना है कि शहर की जो चीजें हमारी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और याददाश्त को बर्बाद कर देती हैं, वे ही कुछ नया करने को भी प्रेरित करती हैं। उनसे सर्जनात्मकता बढ़ती है। भीड़भरे शहरों में नई बौद्धिक उपलब्धियां सामने आई हैं। इसलिए शहरों में हरियाली बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है। कुओ कहती हैं कि हरियाली एक प्रकार की औषधि है। इससे शहर में रहते हुए भी तनाव से मुक्ति मिल सकती है। दार्शनिक थोरो ने जीवन के लिए एक नए दर्शन का सुझाव देते हुए कभी कहा था कि जीवन की राह तलाशने के लिए व्यक्ति राज्य, देवताओं या समाज और यहां तक कि इतिहास के पास न जाकर प्रकृति और स्वयं के पास जाए। वही सच साबित हो रहा है।
Hi, My self is Gobbind Siingh. I am native of Uttrakhand. Almora is my native land. I love uttrakhand very very much and want to settel there. but it is not possible. My paresnt lives is almora and i often go there to meet him. Apan Uttrakhand is very good. i like it . its article is best and i read it very carefully and i feel that I am in my native land
वाह मेवाडी जी वाह बहुत खूब, मन की परेसानी की दवा बताने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यबाद।
वैसे मै साल मे एक बार तो आता ही हु लेकिन अब मै जरूर अपने उत्तराखण्ड की वादीयों मे कम से कम साल मे दो बार जरुर आउंगा।
Really very good & interesting writeup.
उम्दा आलेख.
chachaji,aapka lekh padh kar man behad prasann hua……..tanavgrast vyaktiyon ke liye sanjeevni ka kaam karega……
My Uttrakhand is very Good