जीत सिंह नेगी ( Jeet Singh Negi )
(माताः श्रीमती रूपदेई, पिताः स्व. सुल्तान सिंह नेगी)
जन्मतिथि : 2 फरवरी 1927
जन्म स्थान : अयाल, पैडलस्यूं
पैतृक गाँव : अयाल जिला : पौड़ी गढ़वाल
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 2 पुत्रियाँ
शिक्षा : इंटरमीडिएट
प्राथमिक शिक्षा- कण्डारा, पौड़ी गढ़वाल
मिडिल- मेमियो, म्यामार (बर्मा)
मैट्रिक- जुगल किशोर पब्लिक स्कूल, लाहौर
इंटरमीडिएट- गवर्नमेंट कालेज, पौड़ी गढ़वाल
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः बचपन से ही संगीत में रुचि थी, जिसके परिणामस्वरूप गायकी की ओर रुख किया।
प्रमुख उपलब्धियाँ : पहले-पहल हिंदी में गेय-गीतों की रचना की। बाद में उत्तराखण्ड की संस्कृति को आधार बना कर गीत लिखे और उनकी धुनें बना कर गाईं। ‘तू ह्नील वीरा…’ अत्यन्त लोकप्रिय गीत रहा। नेशनल ग्रामोफोन कम्पनी, बम्बई में कुछ रिकार्ड तैयार किए तथा बाद में हिज मास्टर्स वाइस एण्ड कोलम्बिया ग्रामोफोन कम्पनी द्वारा गढ़वाली गीतों के रिकार्ड बने तथा गढ़वाली गीतों के टेप तैयार किये। आकाशवाणी व दूरदर्शन के लिए उत्तराखण्ड की संस्कृति, रीति-रिवाजों, समस्याओं व जीवन पर केन्द्रित गीत गाए और आज भी यह क्रम जारी है। ‘भारीमल’ (हिन्दी-गढ़वाली, 1950), ‘मलेथा की कूल’ –1974 (संवाद रिकार्डेड थे) और ‘रामी बौराणी’- बैले, जिसका वे फिल्मांकन करना चाहते थे- उनकी ऐतिहासिक रचनाएँ हैं। सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
युवाओं के नाम संदेशः राज्य बनने के बाद युवाओं के कंधों पर इसके निर्माण का भार है, जिसे वे अपनी शक्ति, अथक परिश्रम से पूरा करेंगे ऐसी आशा है। साथ ही माफियाओं के चंगुल से भी प्रदेश को बचाना आवश्यक है।
विशेषज्ञता : लोकगीत, गायन, गीत-रचना, नाट्य-लेखन, गीत-नाट्य।
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।
My father name is also Mr Jeet Singh Negi & grandfather name also is Mr Sultan Singh Negi