जीवन सिंह खर्कवाल

जीवन सिंह खर्कवाल (Jeevan Singh Kharkwal)

(माताः श्रीमती बचुली खर्कवाल, पिताः श्री एन.एस. खर्कवाल )

जन्मतिथि : 4 जून, 1966 जन्म स्थान : खर्कवाल गांव (पो.- भूल गाँव)

पैतृक गाँव : खर्कवाल गाँव जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र

शिक्षा : पीएच.डी. (पुरातत्व)

प्राथमिक शिक्षाः खर्कवाल गाँव से।

एम.ए. (प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व)- कुमाऊँ विश्वविद्यालय

पीएच.डी.- दक्कन कालेज, पुणे

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः डॉ. धर्मपाल अग्रवाल से मिलना, डैक्कन कॉलेज पुणे में उच्च शिक्षा हेतु दाखिला, जहाँ मुझे यह ज्ञान मिला कि ईश्वर ने हमें कुछ सृजनात्मक करने हेतु इस धरा पर भेजा है। प्रभु के पास जाने से पूर्व कुछ कर सकूँ, तभी मोड़ होगा वरना सपाट।

प्रमुख उपलब्धियां : भारत के विभिन्न हिस्सों में पाषाण युग से लौह युग तक के अनेक पुरातात्विक अवशेषों के उत्खनन अभियानों में शामिल होने का अवसर मिला। 1993 से 2000 के दौरान उदयपुर के निकट बालाथाल गांव में कांस्य युग के अवशेषों के उत्खनन का काम सौंपा गया। अहाड़ संस्कृति का यह गांव अब दक्षिण भारत के हड़प्पा संस्कृति के बाहर का सबसे पुराना गांव माना जाता है। पुरातात्विक अध्ययन पर केन्द्रित दो दर्जन से अधिक गोष्ठियों में अब तक अपने शोध् कार्य प्रस्तुत किये। दो दर्जन से अधिक शोध्पत्र अनेक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। अनेक लोकप्रिय लेख पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित। प्रख्यात पुरातत्वविद् प्रो. डी.पी. अग्रवाल के साथ ‘सेन्ट्रल हिमालयाजः एन आर्किओलॉजिकल, लिंग्विस्टिक एण्ड कल्चरल सिंथेसिस, नामक पुस्तक में सहलेखन।

युवाओं के नाम संदेशः अपनी भाषा सीखने का कोई मौका न गवायें। पहले यह तय कर लें कि अपने जीवन में आपने क्या हासिल करना है। विद्वानों से अपने लक्ष्य और सही दिशा के बारे में बातचीत करते रहें। कठिन परिश्रम ही सफलता की एकमात्र कुंजी है।

विशेषज्ञता : इतिहास तथा पुरातत्व

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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