कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी का गाया गीत “कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की” एक बूढ़े हो चले माँ बाप की व्यथा-कथा है। वैसे तो अपनी सन्तान का पालन-पोषण करने के पीछे किसी भी माता-पिता का कोई स्वार्थ नहीं होता, लेकिन कहीं न कहीं यह आशा जरूर होती है कि बुढापे में जब उनका शरीर अशक्त हो जायेगा तो यही सन्तान उन्हें सहारा देगी, लेकिन सभी माँ-पिता इतने भाग्यशाली नहीं होते कि उनके बेटे और बहुएं उनके पास रह कर उनके बुढापे का सहारा बनें। नये जमाने के युवक युवती पहाड़ के गाँवों में न रहकर शहर की ओर भागना चाहते हैं और वहाँ उन्हे अपने बूढ़े माँ-बाप बोझ लगने लगते हैं। कुछ युवक अपनी पत्नियों के बहकावे में आकर अपने बूढ़े माँ-बाप को छोड़ देते हैं।

नरेन्द्र सिंह नेगी जी का यह गाना एक ऐसे ही वृद्ध दम्पत्ति का दुख-दर्द सामने रखता है जिन्होंने अपने बेटे के भविष्य निर्माण के लिये अपनी सामर्थ्य से भी अधिक कोशिश की, लेकिन शादी होते ही वह युवक अपनी पत्नी को लेकर शहर में जा बसा और पहाड़ी गांव में बच गये बुढ्ढे और बुढिया की जिन्दगी स्वयं एक पहाड़ बन कर रह गई।

यह गाना हमें दो रूपों में मिलता है। पुराने वाले भाग को नेगी जी ने अकेले गाया है। दूसरे वाले भाग में इसे मीना राणा के साथ वी.सी.डी. “चली भै मोटर चली”  के लिये गाया गया है। यहाँ हम दोनों रूप दे रहे हैं और उनके बोल भी अलग अलग दिये जा रहे हैं।

भावार्थ–  हाय! अपनी पत्नी के कहने पर कैसा बिगड़ गया मेरा लड़का? अब हम अपने दिल की बात (दिल का दर्द) किसे जा कर बतायें? किसे बतायें हम अपने हृदय का हाल। हमने उसकी पढाई की खातिर क्या क्या ना किया यहाँ तक की नथुलि (नाक में पहनने का आभूषण) भी बेच दी, शादी करने के लिये हमने अपनी पुंगड़ी (खेती योग्य जमीन) बेची, तब यह उम्मीद थी कि बहू आयेगी तो सुख के दिन देखने को मिलेंगे। लेकिन बहू तो डोली से उतरी भी नहीं और बेटे के साथ शहर  चली गई हमें तो लगा कि हमारी तो पीठ में जैसे किसी ने भारी चोट कर दी हो।

पता नहीं बहू ने कैसा जादू फेरा कि हमारा बेटा हमारा नहीं रहा. अब तो हमे वह पहचानता भी नहीं है. किसी से कह कर अब क्या होगा जब अपना सोना ही खोटा हो गया. इसकी खातिर अपना मन मार कर आखिर हमें क्या हासिल हुआ?

हमारी बहू तो हमारे बेटे को लेकर चली गयी। अब इन खेतों में हम ही को अपनी हड्डी तोड़नी होगी (मेहनत करनी होगी)। हमें ही बस अब भैंस चराने होंगे, घर सँभालना होगा और जंगल भी।

सब के अच्छे-बुरे दिन आते हैं, लेकिन हमें तो चने के दो दाने भी नसीब नहीं हो रहे हैं। हमारे लिये तो अभिवादन भी (बहू-बेटे का) दुर्लभ हो गया है। यह अलग बात है कि बेटा समधी के घर (अपने ससुराल) बराबर मनीआर्डर भेजता है। ऐसे बेटे के लिये कर्ज लेकर हमें क्या मिला?

पुराने गीत के बोल देवनागिरी में (केवल नेगी जी के स्वर में)

कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की

नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई, नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई
पुंगड़ि बेचि कि मिल ब्वारी काई
सोचि छो ब्वारी को सुख द्येखुलूं, डोला बटी ब्वारी भयां भी नि आई
नौना दगड़ि चल गै देस बौगा मारि की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, छुईं अपणि खैर की

ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई, ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई
सैंत्यूं नौनु भी बस माँ नि राई
अब त हमथें पछैण्दू बी नि छ , अपणु ही सोनु खोटु ह्वै ग्याई
क्या पाई येका बाना मिन ज्यू मारि की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की

छौंति ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं,छौंति ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं
डोकरी पुंगड़ियों मा हडग्यूं तुणाणूं, लैदा कीदां ये घौरें जानदीना
मि स्यूं चाउ बांझा भैंसूं चरानू , सतियों सम्भाल्यूं लि जान्दिना झाड़ि काट की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,

भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी , भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी
मिल दुई दाणि चनौ की नि पैनी, हमखुणि सेवा सौणि भी हर्ची
समधण्यौं थैनि मनीओर्डर गैनी, क्या पायी येका बाना मिल्ज्यू मार की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की,
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की

गीत : [audio:kanu-ladik-bigadi-myaru-bwari-narendra-singh-negi-by-merapahad-dot-com.mp3]

इस गीत का चुनाव व हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत का है।

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नये गीत के बोल (नरेन्द्र सिंह नेगी व मीना राणा के स्वर में)

पुरुष : कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
महिला : कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
छुईं अपणि खैर की

पुरुष : नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई, नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई
पुंगड़ि बेचि कि मिल ब्वारी काई
महिला : सोचि छो ब्वारी को सुख द्येखुलूं,सोचि छो ब्वारी को सुख द्येखुलूं
डोला बटी ब्वारी भयां भी नि आई
पुरुष : नौना दगड़ि चल गै देस बौगा मारि की
समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

महिला : ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई, ब्वारी बिचरि लै यनु जाप काई
सैंत्यूं नौनु भी बस माँ नि राई
पुरुष: अब त हमथें पछैण्दू बी नि छ, अब त हमथें पछैण्दू बी नि छ,
अपणु ही सोनु खोटु ह्वै ग्याई
महिला : क्या पाई येका बाना मिन ज्यू मारि की
समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

पुरुष : भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी , भलि-बुरी चीज लोगूं की ऐनी
मिल दुई दाणि चणौ की नि पैनी,
महिला: हमखुणि सेवा सौणि भी हर्ची, हमखुणि सेवा सौणि भी हर्ची
समधण्यौं थैनि मनीओर्डर गैनी
पुरुष : क्या पायी येका बाना कर्ज पात की
समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

महिला : छौंदि ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं, छौंदि ब्वारी स्यू चौन डांड्यू जाणूं
डोकरी पुंगड़ियों मा हडग्यूं तुणाणूं,
पुरुष : लैदा कीदां ये घौरें जानदीना, लैदा कीदां ये घौरें जानदीना
मि स्यूं चाउ बांझा भैंसूं चरानू,
महिला : सतियों सम्भाल्यूं लि जान्दिना झाड़ि काट की
समवेत स्वर: कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की
कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की, कै मां लगाणींन छुईं अपणि खैर की

गीत : [audio:kanu-ladik-bigadi-myaru-bwari-narendra-singh-negi-meena-rana.mp3]

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Lyrics of the song “kanu ladik bigadi myaru bvari kair kee”

kanu ladik bigadi myaru bvari kair kee, kanu ladik bigadi myaru bvari kair kee
kai man laganinn chhueen apani khair kee
kanu ladik bigadi myaru bvari kair kee, kai man laganinn chhueen apani khair kee
chhueen apani khair kee

nathuli bechi padhaee-likhaee, nathuli bechi padhaee-likhaee
pungadi bechi ki mil bvari kaee
sochi chho bvari ko sukh dyekhuloon, dola bati bvari bhayan bhi ni aaee
nauna dagadi chal gai des bauga mari kee
kai man laganinn chhueen apani khair kee, chhueen apani khair kee

bvari bichari lai yanu jap kaee, bvari bichari lai yanu jap kaee
saintyoon naunu bhi bas man ni raee
ab t hamathen pachhaindoo bi ni chh , apanu hi sonu khotu hvai gyaee
kya paee yeka bana min jyoo mari kee
kai man laganinn chhueen apani khair kee,
kanu ladik bigadi myaru bvari kair kee, kai man laganinn chhueen apani khair kee
chhueen apani khair kee

chhaunti bvari syoo chaun dandyoo janoon,chhaunti bvari syoo chaun dandyoo janoon
dokari pungadiyon ma hadagyoon tunanoon, laida keedan ye ghauren janadina
mi syoon chau banjha bhainsoon charanoo , satiyon sambhalyoon li jandina jhadi kat kee
kai man laganinn chhueen apani khair kee,

bhali-buri chij logoon kee aini , bhali-buri chij logoon kee aini
mil duee dani chanau kee ni paini, hamakhuni seva sauni bhi harchi
samadhanyaun thaini maniordar gaini, kya payi yeka bana miljyoo mar kee
kai man laganinn chhueen apani khair kee,
kanu ladik bigadi myaru bvari kair kee, kai man laganinn chhueen apani khair kee
chhueen apani khair kee
chhueen apani khair kee

Essence : This song tells about the pain of one old couple whose son has left them alone. They recalls that how they have sold their precious jewellery so that their son can study, they have taken the loan and sold precious land so that they can marry their son. They thought that their daughter-in-law would take care of them and they would live happily in their old age. BUT their daughter in law forced their son to go away from the village and now their son is living with his wife at some other place. He no longer wishes them on occasions and does not the send the money, however he is sending regular money to his mother-in-law ( mother of his wife). They say who would listen to our pain and understand our sadness, If our own child does not think of us who else would think.

A sad song indeed.

Album : Chali bhe motor Chali,  Audio-Video : T.Series

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