कुँवर दामोदर सिंह राठौर (Kunwar Damodar Singh Rathor)
(माताः श्रीमती कैली (नीमा), पिताः श्री मोहन सिंह राठौर)
जन्मतिथि : 25 दिसम्बर 1935
जन्म स्थान : भनड़ा
पैतृक गाँव : भनड़ा, डीडीहाट जिलाः पिथौरागढ़
वैवाहिक स्थिति : विवाहित
शिक्षा : उद्यान शास्त्र में डिप्लोमा।
प्राथमिक शिक्षा- प्राईमरी स्कूल, डीडीहाट
उद्यान शास्त्र में डिप्लोमा- भूमिशाला-सरोजनी नगर, लखनऊ
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः सरकारी नौकरी छोड़कर 1979-80 में अपनी ‘शान्ति कुंज परियोजना’ पर कार्य की शुरूआत।
प्रमुख उपलब्धियाँ : 1. बंजर होती अपनी 360 हेक्टेयर नाप भूमि में लाखों स्थानीय प्रजाति के वृक्षों एवं पादपों का रोपण तथा लगभग 24 वर्षों में एक अतिसमृद्ध जैव विविधता से पूर्ण मानव निर्मित वन का निर्माण। 2. इस शान्ति कुंज स्मृति वन में एक सूख चुकी जलधार में पुनः जल प्राप्त करना और उसको स्वयं प्रयोग में लाना एवं शेष जल तलहटी के अन्य ग्रामीणों द्वारा सिंचाई हेतु प्रयोग में लाना। 3. बेरीनाग चाय की उजड़ रही प्रजाति को अपने यहाँ पुनः जीवित करना व अनोखी महक व फ्लेवर वाली चाय को पनपाना। 4. ग्रीन ब्रिगेड स्थापित कर स्थानीय ग्रामवासियों में वृक्षारोपण की रुचि जागृत करना। 5. बाँज, शिलिंग, रिंगाल, रक्तचंदन, चाय, दालचीनी आदि की पौध तैयार करना एवं पिथौरागढ़ के अनेकों स्थानों पर स्वयं जाकर वृक्षारोपण करना। 6. शान्ति कुंज जैसे अपने वन व अति स्वाभाविक प्रयोगशाला में वानिकीशास्त्र के अनेकों व्यावहारिक प्रयोगों को धरातल में कर दिखाया। 7. वृक्षमित्र से सम्मानित
युवाओं के नाम संदेशः आओ हिमालय को हरियाली से भर दें।
विशेषज्ञता : जैव विविधता, वृक्षारोपण, ग्रामीण विकास।
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।