सात समौंदर पार च जाणा ब्वै, जाज मां जोंलु कि ना

नरेन्द्र सिंह नेगी जी के अधिकांश गीत पारम्परिक लोकसंगीत की विभिन्न विधाओं पर आधारित होते हैं। प्रस्तुत लोकगीत "खुदेड़ गीत" का एक बेहतरीन उदाहरण है। "खुदेड़ गीत" उत्तराखण्ड के विरह वेदना, स्मृति और वियोग से भरे पारम्परिक गीत हैं। (खुद+एड़, खुद = क्षुधा या उत्कन्ठा)। नेगी जी की आवाज में ही एक अन्य खुदेड़ गीत "घुघुती घुरोण लगि म्यारा मैत की" पहले ही साइट पर दिया जा चुका है।

इस गीत का समय काल द्वितीय विश्वयुद्ध का है। अंग्रेजों के शासनकाल में उत्तराखण्ड के हजारों लोगों ने दोनों विश्वयुद्धों में अंग्रेज सेनाओं का साथ दिया था। ऐसे ही एक सैनिक को लड़ाई में शामिल होने का फरमान आया है, सैनिक भारी दुविधा में पड़ा है। वह अपनी माँ को सम्बोधित करते हुए कहता है कि सुन्दर पहाड़ों में बसे अपने भरे-पूरे घर-गाँव को छोड़कर इतनी दूर जाने में उसे भारी दुख हो रहा है। एक सैनिक द्वारा अपनी माँ को सम्बोधित एक ऐसा ही गीत "कारगिले लड़ै में छौऊं" आप पहले सुन चुके हैं।

भावार्थ : माँ! मुझे सात समन्दर पार लडाई लड़ने के लिये जर्मनी और फ्रांस जाना है पर कैसे जाऊँ? जहाज में चढ़कर जाऊँ या नही? मेरा दिल उदास हो रहा है। मुझे जर्मनी – फ्रांस युद्ध क्षेत्र में जाना है जहाज में चढ़कर जाऊँ या नही?

सोच सोच कर मेरा गला भर आता है, घर में मेरा जो मेरा दूध पीता बच्चा है उसे छोड़कर कर कैसे जाउंगा माँ? मैं दुविधा में पड़ा हूँ कि जाऊं या नही।

घर में मेरी भैंस ब्याने वाली है, दूध देने वाली एक गाय है और बैलों की जोडी भी है। इन सब चीजों को मैं कैसे देख पाउंगा? इसलिये सोच रहा हूँ कि जहाज में जाऊँ कि नहीं।

पहाड़ों के पार रुई की तरह बर्फ की चादर ओढ़े एक बर्फीली चोटी है, धार के उसपार बर्फीली घाटी है, उस बर्फीली चोटी को मैं कैसे देखुंगा? इसलिये सोच रहा हूँ कि जहाज में जाऊँ कि नहीं।

घर में मेरे सात भाईयो की सात बहुएं हैं और गाँव में मेरी सजीली तिबारी (पहाड़ी घरों में बनी बालकोनी नुमा जगह) है। माँ मेरी आँखों में हमेशा यही सजीली तिबारी दिखायी देती है। इसलिये सोच रहा हूँ कि जहाज में जाऊँ कि नहीं।

मेरे गाँव के बाकी फौजी लड़ाई से वापस घर आ गये है, लेकिन मैं दुर्भाग्यशाली हूँ, मेरे अपनों (विधाता) ने न जाने क्यों मेरी तरफ से मुंह फेर लिया है? और मेरे दिल में घाव कर गये है। इसलिये सोच रहा हूँ कि जहाज में जाऊँ कि नहीं।

घर में मेरे सात भाईयो की सात धगुलि (बच्चों के हाथ में पहनने की चांदी की चूड़ी) है, और सात झगुली (बच्चों के पहनने के फ्राक जैसे कपड़े) और सात बहुओ की सात नथ है जो मुझे रह-रह कर याद आयेंगी। माँ तुम ही बताओ मैं जहाज में चढ कर युद्ध में जाऊँ या नहीं।

गीत के बोल देवनागिरी में

सात समौंदर पार च जाणा ब्वै, जाज मां जोंलु कि ना
सात समौंदर पार च जाणा ब्वै, जाज मां जोंलु कि ना
जिकुड़ि उदास ब्वै जिकुड़ि उदास – जिकुड़ि उदास ब्वै जिकुड़ि उदास
लाम मां जांण ब्वै जर्मन फ्रांस, कनुक्वे कि जोलु मि जर्मन फ्रान्सा ब्वै
जाज म जोलु कि ना

A-Fauji-Leaving-for-Lam-in-Play-Kagar-Ki-Aag

नाटक कगार की आग में फौजी का घर छोड़कर लाम में जाने का एक मार्मिक दृश्य

हंस भोरि कि ब्वै ओन्दु उमाल – हंस भोरि कि ब्वै ओन्दु उमाल
घौर मां मेरु दुदाल्य नौन्याळ, कनक्वै कि छोड़ुलु दुदाल्यु नौन्याळ ब्वै
जाज मां जोंलु कि ना,
सात समौंदर पार च जाणा ब्वै – जाज म जोंलु कि ना

भैंसि बियार ब्वै लेन्दि च गोड़ि- भैंसि बियार ब्वै लेन्दि च गोड़ि
घौर मां च मेरि ब्वै बल्दो कि जोड़ि – घौर मां च मेरि ब्वै बल्दो कि जोड़ि
कख बटि देखुलु ई बल्दो कि जोड़ि ब्वै- जाज मां जोंलु कि ना

रुआं जसि फांटि ब्वै रुआं जसि फांटि – रुआं जसि फांटि ब्वै रुआं जसि फांटि
डांड्युं का पार ब्वै ह्युंचुलि कांठि – डांड्युं का पार ब्वै ह्युंचुलि कांठि
कख बटि देखुलु मि ह्युंचुलि कांठि ब्वै जाज मां जोंलु कि ना
सात समौंदर पार च जाणा ब्वै – जाज म जोंलु कि ना

Ashish-Dhyani-1 यह पूरा गीत दिल्ली से हमारे साथी आशीष ध्यानी ने तैयार करके भेजा है।

सात भयूं कि ब्वै सात बुवारि – सात भयूं कि ब्वै सात बुवारि
गौं मां च मेरि ब्वै सजिलि तिबारि- गौं मां च मेरि ब्वै सजिलि तिबारि
आंख्युं म तैरलि सजिलि तिबारि ब्वै जाज मां जोंलु कि ना
सात समौंदर पार च जाणा ब्वै – जाज म जोंलु कि ना

गौं का सिपाही ब्वै घर बोड़ा ह्वैना – गौं का सिपाही ब्वै घर बोड़ा ह्वैना
मेरों ल ब्वै कख मुखड़ि लुकैंण – मेरों ल ब्वै कख मुखड़ि लुकैंण
जिकुड़ि मां मेरा कनु घौ करि गैना ब्वै, जाज मां जोंलु कि ना
सात समौंदर पार च जाणा ब्वै – जाज म जोंलु कि ना

सात भयूं कि ब्वै सात धगुलि – सात भयूं कि ब्वै सात धगुलि
समलौण्यां रै गिनि सात झगुली- समलौण्यां रै गिनि सात झगुली
सात ब्वारियों कि गड़ेलि नथुलि ब्वै जाज मां जोंलु कि ना
सात समौंदर पार च जाणा ब्वै – जाज म जोंलु कि ना
जाज म जोंलु कि ना , जाज म जोंलु कि न

गीत : [audio:sat-samandar-par-chho-jano-narendra-singh-negi.mp3]

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Lyrics of the song “Saat Samaundar Paar Ch JaaNaa Bvai”

saat samaundar paar ch jaaNaa bvai, jaaj maan jonlu ki naa
saat samaundar paar ch jaaNaa bvai, jaaj maan jonlu ki naa
jikuri udaas bvai jikuri udaas – jikuri udaas bvai jikuri udaas
laam maan jaanN bvai jarman phraans, kanukve ki jolu mi jarman phraansaa bvai
jaaj m jolu ki naa

hans bhori ki bvai ondu umaal – hans bhori ki bvai ondu umaal
ghaur maan meru dudaaly naunyaal, kanakvai ki chhorulu dudaalyu naunyaal bvai
jaaj maan jonlu ki naa,
saat samaundar paar ch jaaNaa bvai – jaaj m jonlu ki naa

bhainsi biyaar bvai lendi ch gori- bhainsi biyaar bvai lendi ch gori
ghaur maan ch meri bvai baldo ki jori – ghaur maan ch meri bvai baldo ki jori
kakh baTi dekhulu ee baldo ki jori bvai- jaaj maan jonlu ki naa

ruaan jasi phaanTi bvai ruaan jasi phaanTi – ruaan jasi phaanTi bvai ruaan jasi phaanTi
DaanDyun kaa paar bvai hyunchuli kaanThi – DaanDyun kaa paar bvai hyunchuli kaanThi
kakh baTi dekhulu mi hyunchuli kaanThi bvai jaaj maan jonlu ki naa
saat samaundar paar ch jaaNaa bvai – jaaj m jonlu ki naa

saat bhayoon ki bvai saat buvaari – saat bhayoon ki bvai saat buvaari
gaun maan ch meri bvai sajili tibaari- gaun maan ch meri bvai sajili tibaari
aankhyun m tairali sajili tibaari bvai jaaj maan jonlu ki naa
saat samaundar paar ch jaaNaa bvai – jaaj m jonlu ki naa

gaun kaa sipaahee bvai ghar boraa hvainaa – gaun kaa sipaahee bvai ghar boraa hvainaa
meron l bvai kakh mukhri lukainN – meron l bvai kakh mukhri lukainN
jikuri maan meraa kanu ghau kari gainaa bvai, jaaj maan jonlu ki naa
saat samaundar paar ch jaaNaa bvai – jaaj m jonlu ki naa

saat bhayoon ki bvai saat dhaguli – saat bhayoon ki bvai saat dhaguli
samalauNyaan rai gini saat jhagulee- samalauNyaan rai gini saat jhagulee
saat bvaariyon ki greli nathuli bvai jaaj maan jonlu ki naa
saat samaundar paar ch jaaNaa bvai – jaaj m jonlu ki naa
jaaj m jonlu ki naa , jaaj m jonlu ki n

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11 Thoughts to “सात समौंदर पार च जाणा ब्वै, जाज मां जोंलु कि ना”

  1. bahut hi khuded hai yaha geet.

  2. Ranjit Singh Gosain

    thanx for the lovelly song and its disc. thode se confusion hai bhai ji plz solve this ………ye gana likha kisne thaa? kyonki bhai ji bohut pehle i heard this song from Shri.Chander Singh Rahi Ji. and also from Shri. Narinder Singh Negi ji………..can u [plz tell who wrote this song ?

    thanku you verry much bhai ji .

    1. The beauty of folk song is that it is traditional in nature and can be sung by many artists. It may happen that the same song was sung by Rahi ji also. We will try to find the song of Rahi ji.

  3. ganesh rawat

    i wna download this song…..but how i can…

    plz sgst

    1. Please visit our Forum to find out how to download Uttarakhandi Songs.

  4. sunil badoni

    nice one for our type new generation who dosent no any thing

  5. i like this song & i love uttrakhand ye gana sunkar mujhe apne gao chamoli ki yad aa gai

  6. mera dandi kathu ka muluk jae basant retu ma jae………. by negi gi my fav…… song

  7. jagdeep singh butola

    i like this song since my childhood. but i never listen properly.

  8. ved vilas uniyal

    आशीषजी बहुत धन्यवाद। न जाने कितनी बार इन इस गीत को। दिल पर उतरता है ये गीत। शहीदों को और युद्ध में गए सैनिकों को प्रणाम।

  9. VEDVILAS UNIYAL

    आशीषजी बहुत धन्यवाद। न जाने कितनी बार सुना इस गीत को। दिल पर उतरता है ये गीत। शहीदों और सीमाओं पर तैनात सैनिकों को नमन।

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