शेर सिंह पांगती

शेर सिंह पांगती (Sher Singh Pangati)

(माताः श्रीमती मन्दोदरी, पिताः श्री तेज सिंह)

जन्मतिथि : 1 फरवरी 1937

जन्म स्थान : भैंसकोट (मुनस्यारी)

पैतृक गाँव : मिलम जिला : पिथौरागढ़

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 3 पुत्रियाँ

शिक्षा : पीएच.डी.

प्राथमिक, मिडिल- भैंसकोट/ मिलम

हाईस्कूल, इण्टर से एम.ए. तक- व्यक्तिगत

पीएच.डी. (इतिहास) कु.वि.वि., नैनीताल

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः अध्ययन, लेखन की तरफ मुड़ना। एक विदेशी मित्र के साथ भारत घूमने की ओर रुचि बड़ी।

प्रमुख उपलब्धियाँ : शिक्षण-अध्यापन 33 साल। ब्रजेन्द्रलाल शाह के सत्संग में रहने से। ‘जोहार के स्वर’ (1984), ‘उत्तराखण्ड के भोटांतिक’, ‘स्वतंत्रता सेनानी का जीवन संघर्ष’ (1994), ‘मुनस्यारी लोक और साहित्य’ (2001)। दो किताबें प्रकाशनाधीन। दो बार कैलास मानसरोवर, एवरेस्ट बेस तथा न्यूजीलैण्ड आदि स्थानों की यात्राएँ की। मिलम में जड़ी, बूटी उत्पादन का प्रयास। 2002 में अपने सीमित संसाधनों से जोहार पर केन्द्रित संग्रहालय की स्थापना। 1956 से कुमाउँनी रामलीला का दरकोट (मुनस्यारी)में संचालन।

युवाओं के नाम संदेशः अपनी संस्कृति को बनाये रखें। दूसरों की संस्कृति के पीछे न भागें, राजनैतिक उठापटक के पीछे भी जाने की जरूरत नहीं है। पढ़-लिखकर सिर्फ नौकरी की लाईन में न लगें, अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास करें, भ्रमण के प्रति रुचि होनी चाहिए।

विशेषज्ञता : इतिहास, लोक संस्कृति, रंगमंच, संगीत, जोहार पर विशेष।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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