त्रिलोक चन्द्र भट्ट

पृथक राज्य आन्दोलन के ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में सबसे पहले दो भागों में प्रकाशित होने वाली पुस्तक‘उत्तराखंड आंदोलन’ का लेखन। पर्वतीय क्षेत्र की पृथक राजनैतिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए चले 20 वर्ष के संघर्ष में सक्रिय भागीदारी। दैनिक ‘बद्री विशाल’ में उत्तरांचल डेस्क प्रभार/उप संपादक।

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मदन चन्द्र भट्ट

1966 में टकाना रोड पिथौरागढ़ में सुमेरु संग्रहालय की स्थापना. उत्तराखण्ड के इतिहास पर नैनीताल, पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर, गोपेश्वर और बदरीनाथ में ऐतिहासिक प्रदर्शनियों का आयोजन। ‘हिमालय का इतिहास’ 1 और 2 का प्रकाशन, ‘कुमाऊँ की जागर कथायें’। 4. जाख गाँव में अपना पैतृक भवन सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना के लिए दान।

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रवीन्द्र सिंह बिष्ट

गुजरात में एक विशिष्ट हड़प्पाकालीन नगर के अवशेषों की खुदाई। हरियाणा में भी एक हड़प्पा-कालीन तथा पूर्ववर्ती व परवर्ती संस्कृतियों की खोज। 3. बिहार में प्राचीन प्रसिद्ध नालन्दा वि.वि. में उत्खनन द्वारा पूर्णवर्मा निर्मित मंदिर में प्राचीन भित्ति चित्रों का अनावरण।

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शेर सिंह पांगती

शिक्षण-अध्यापन 33 साल। ब्रजेन्द्रलाल शाह के सत्संग में रहने से। ‘जोहार के स्वर’ (1984), ‘उत्तराखण्ड के भोटांतिक’, ‘स्वतंत्रता सेनानी का जीवन संघर्ष’ (1994), ‘मुनस्यारी लोक और साहित्य’ (2001)। दो किताबें प्रकाशनाधीन। दो बार कैलास मानसरोवर, एवरेस्ट बेस तथा न्यूजीलैण्ड आदि स्थानों की यात्राएँ की। मिलम में जड़ी, बूटी उत्पादन का प्रयास। 2002 में अपने सीमित संसाधनों से जोहार पर केन्द्रित संग्रहालय की स्थापना। 1956 से कुमाउँनी रामलीला का दरकोट (मुनस्यारी)में संचालन।

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कांति प्रसाद नौटियाल

प्रोफेसर पद के बाद डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय तथा हे.न. बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्त। यू.जी.सी. इमेरिटस प्रोफेसर। वर्तमान में शिमला के भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में फैलो। उत्तराखण्ड के इतिहास को पुरातत्व की परिधि में परीक्षण करने का सर्वप्रथम प्रयास। पुरातात्विक उत्खननों द्वारा उत्तराखण्ड की सभ्यता व संस्कृति पर नया प्रकाश। पुरातत्व तथा इतिहास पर किताबें और शोध पत्र प्रकाशित।

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मोहन चन्द तिवारी

अब तक प्राच्य विद्या, इतिहास तथा संस्कृति से सम्बंधित छः पुस्तकें तथा सौ से भी अधिक शोधलेखों का राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन। दिल्ली संस्कृत अकादमी द्वारा ‘संस्कृत शिक्षक’ पुरस्कार। ‘विद्या रत्न सम्मान’। ‘आचार्य रत्न देशभूषण सम्मान’। राष्ट्रपति सम्मान। सामाजिक संस्था बाल सहयोग’ की प्रबंध समिति का सदस्य। दिल्ली संस्कृत अकादमी की कार्यकारिणी का सदस्य।

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उमा प्रसाद थपलियाल

हिन्दी में उच्च कोटि के मूल लेखन के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा दो बार प्रथम पुरस्कार से सम्मानित। हिन्दी में लिखे शोध ग्रन्थों के लिए दो बार इंदिरा गाँधी राजभाषा पुरस्कार से सम्मानित; दिल्ली प्रशासन द्वारा पुस्तक ‘भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का इतिहास’ के लिए राज्य पुरस्कार द्वारा सम्मानित; विदेश मंत्रालय के आमंत्रण पर नेहरू सेंटर, लंदन में व्याख्यान। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में व्याख्यान।

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