बंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’

जीविका हेतु क्रमशः अध्यापन, स्टेनोग्राफी और लेखन-कलाकर्म जैसे कार्य किए। लगभग तीन वर्ष तक कुमाउँनी की मासिक पत्रिका ‘आँखर’ का सम्पादन। लगभग 31 वर्ष तक उत्तरायण कार्यक्रम के जरिए कुमाउँनी/गढ़वाली संस्कृति का प्रसार। हिन्दी और कुमाउँनी में कविताएँ, गीत, लेख, संस्मरण, कहानियाँ, नाटक व समीक्षाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कुमाउँनी व हिन्दी में एक-एक कविता संग्रह प्रकाशित।

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दामोदर जोशी ‘देवांशु’

अध्यापन के साथ हिन्दी और कुमाउँनी में मौलिक सृजनात्मक अभिव्यक्ति की ओर उन्मुख। शैशवकालीन कुमाउँनी कविता संग्रह ‘कुदरत’, कुमाउँनी काव्य संग्रह ‘खाण’ (कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल) हिन्दी काव्य संग्रह (हेम रश्मि), कुमाउँनी विद्वानों के श्रेष्ठ गद्यों का संकलन ‘गद्यांजलि’ का संपादन, ‘किरमोई तराण’ (अल्मोड़ा में संकलित कविताएँ), एक कुमाउँनी और एक हिन्दी काव्य प्रकाशनाधीन। आकाशवाणी से विभिन्न लेख, कविताएँ, वार्ताएँ प्रसारित। शिक्षकों के संगठन में सक्रिय भागीदारी।

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