हेम चन्द्र काण्डपाल

राचेस्टर यूनीवर्सिटी, न्यूयार्क (अमेरिका) के विश्वविख्यात वैज्ञानिक प्रो. एमिल वुल्फ द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत जो ‘वुल्फ प्रभाव’ (प्रकाश संचरण में व्युत्पन्न सम्बद्धता के कारण वर्णक्रम विस्थापन जो डाप्लर प्रभाव व गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से उत्पन्न वर्णक्रम विस्थापन से पूर्णतया भिन्न है) के नाम से विख्यात है, का प्रायोगिक सत्यापन किया तथा इनके उपयोगों का पता लगाया। उदाहरण के लिए सितारों के एंग्यूलर डायामीटर्स निकालने की नयी विधि तथा हाल ही में वुल्फ प्रभाव का क्वाजार-गैलैक्सी युग्म द्वारा प्रदर्शित अभिरक्त विस्थापन विवाद को सुलझाने के लिए विश्व में किया गया प्रथम प्रयोग आदि। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 70 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित। 1990 में सी.एस.आई.आर. द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्रदान किया गया।

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