मित्रानन्द मैठाणी

डी.ए.वी.पी. में वरिष्ठ कलाकार, मुख्य प्रदर्शनी अधिकारी और प्रकाशन विभाग में कला अधिशासी के पद पर नौकरी. अन्तर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव से लेकर अनेक महोत्सवों के लिए प्रतीक चिन्हों का निर्माण। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दिए जाने वाले ताम्रपत्र का डिजायन तैयार किया. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार प्रमाणपत्र का पुनर्डिजायन। डी.ए.वी.पी. की ओर से आयोजित अनेक प्रदर्शनियों में मुख्य अधिकारी के बतौर कार्य. ट्रेड फेयर न्यूयार्क के लिए प्रचार सामग्री का डिजायन तैयार किया. सत्यजित रे पर प्रदर्शनी, गंगा प्रोजेक्ट के उद्घाटन के अवसर पर गंगा पर आधारित विभिन्न चित्रों की प्रदर्शनी की निर्माण सहित अनेक राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की कला प्रदर्शिनयों में भागीदारी।

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रमेश बिष्ट

इलाइट आर्ट गैलरी में चित्र प्रदर्शनी। उ.प्र. ललित कला अकादमी ने सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार का सम्मान दिया। 1979-80 में राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियाँ आयोजित कीं। अनेक महापुरुषों की मूर्तियों का निर्माण किया। सम्प्रति दिल्ली आर्ट कालेज में मूर्तिकला के विभागाध्यक्ष हैं।

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ईशान बहुगुणा

1996 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (संस्कृति मंत्रालय) की परियोजना ‘जनजातीय कला एवं संस्कृति की प्रोन्नति व प्रसार’ के अन्तर्गत जौनसारी जनजाति पर चित्रों का निर्माण।

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बसंत कुमार पंत

भारत तथा विदेशों में अनेक एकल और आर्ट ग्रुप शो आयोजित कर चुके हैं। भारत सरकार के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में यूरोप, मध्य पूर्व अफ्रीका, रूस, मंगोलिया आदि देशों का भ्रमण। केन्द्रीय ललित कला अकादमी, राज्यों की कला अकादमियों के संकलन में इनकी अनेक कृतियाँ शामिल की गई हैं। प्रदर्शनी अधिकारी, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली।

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गौरी पन्त

‘हू इज हू इंटरनेशनल पोइट्री सोसाइटी’ के अनेक भाषाओं की कविताओं का अनुवाद। नेशनल गैलरी ऑफ माडर्न आर्ट नई दिल्ली एवं ग्लेन बारा आर्ट म्यूजियम जापान में चित्र प्रदर्शित। युवाओं के नाम संदेशः उत्तराखण्ड देवभूमि कही गयी है। वहाँ जन्म लेना हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है, गौरव है। प्रकृति ने हमारी जन्मभूमि को अद्भुत सौन्दर्य देकर संवारा है। हमें विरासत में जो कुछ मिला है उसे वर्तमान के साथ जोड़ते, निखारते आगे बढ़ना है- विशेषकर युवा पीढ़ी को।

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आर.पी. डबराल

अनेक स्थानों पर राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया। त्रिवेणी कला संगम, धूमीमल आर्ट सेंटर, जहाँगीर आर्ट गैलरी में एकल प्रदर्शनी, अनेक दुर्लभ दृश्यों को चित्रांकित किया और संग्रहण भी।जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः कला-जगत में प्रवेश जिसने मुझे हर घटना, हर कार्य कलाप, (चाहे वह किसी व्यक्ति के साथ एक प्याला चाय पीना ही क्यों न हो) से कुछ ग्रहण करना सिखाया और हर नई कल्पना को सृजन का रूप देने का गुर सौंपा।

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चमेली जुगराण

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय वर्कले से सोशल वेलपफेयर में डिप्लोमा; रॉयल कालेज ऑफ आर्ट एंड डिजायन स्टाकहोम (स्वीडन) से पेंटिंग में डिप्लोमा; भारतीय विद्या भवन से पेंटिंग में प्रमाण पत्र; त्रिवेणी कला संगम, दिल्ली से पेंटिंग के कोर्स; जाम्बिया और लुसाका में पेंटिंग सीखी। पेंटिंग की देश-विदेश में एकल तथा ग्रुप प्रदर्शनियाँ। लेखन में रुचि; पहला कहानी संग्रह 1990 में प्रकाशित। 505 चिल्ड्रन्स विलेज ऑफ इण्डिया में काउंसलर।

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