वरुण बडोला

5 साल तक तिग्मांशु धूलिया के साथ सहायक निर्देशक रहा। मैंने अपनी पहली परियोजना ‘नया दौर’ उन्हीं के साथ की। बाद में मैंने उनके साथ संवाद भी लिखे। मेरी पहला फिल्म अभिनय ‘बनेगी अपनी बात’ था। लेकिन जिस धारावाहिक से मुझे पहचान मिली वह था ‘कोशिश एक आशा’। बाद में हास्य धारावाहिक ‘ये है मुम्बई मेरी जान’ तथा ‘देश में निकला होगा चांद’ में भूमिका की। वर्तमान में ‘अस्तित्व एक प्रेम कहानी’ में काम कर रहा हूँ। साथ ही इस धारावाहिक में संवाद भी लिख रहा हूँ। मैंने दो फिल्में तिग्मांशु भाई के साथ की हैं- ‘हासिल’ तथा ‘चरस’।

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हेमन्त पाण्डे

प्रारम्भ में कुछ छोट-छोटे विज्ञापनों में काम किया, जो आज के दिन तक 60 हो चुके हैं। कुछ विज्ञापनों में जोकर के रूप में कार्य। 30 टी.वी. धारावाहिकों तथा 20 फिल्मों में काम। अभी मेरी उपलब्धियाँ ऐसी कुछ नहीं हैं मगर मैं दृढ़ निश्चय करता हूँ कि उपलब्धियाँ अवश्य ही आपको दिखेंगी। कृपया इंतजार कीजिये।

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धर्मेश तिवारी

दिल्ली युवा महोत्सव में स्वर्ण पदक (1967)। रेडियो (सैनिक मनोरंजन प्रभाग) में कार्य किया। 1972 में मुंबई दूरदर्शन में। अजनबी धरावाहिक का लेखन। दर्जनों धरावाहिकों व फिल्मों में काम किया और चर्चित हुआ महाभारत के कृपाचार्य बनकर। फिल्म निर्देशन में भी हाथ आजमाया। मुम्बई में सिने जगत के कलाकारों की संस्था के सचिव।

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