श्रीश डोभाल

रंगमंच की शुरुआत देहरादून से की; उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों में रंगमंच को रंगशालाओं के माध्यम से गति देने का प्रयास। ‘शैलनट’ नाट्य संस्था की आठ नगरों- उत्तरकाशी, कोटद्वार, टिहरी, गोपेश्वर, श्रीनगर, देहरादून, हल्द्वानी, रामनगर- में स्थापना; 2001 तक 60 से अधिक नाटकों का निर्देशन तथा 40 से अधिक नाटकों में अभिनय; पांच विदेशी नाटकों का हिन्दी में अनुवाद; लगभग 20 धारावाहिकों व टेलीफिल्मों में अभिनय तथा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त तीन फीचर फिल्मों में अभिनय; भारत में आयोजित 23 अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भाग लिया; हिमालय की सांस्कृतिक विरासत पर कुछ डाक्यूमेंटरी फिल्मों का निर्माण तथा निर्देशन; उत्तराखण्ड व दिल्ली के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, कर्नाटक, उ. प्र., गोवा आदि राज्यों में रंगकर्म कार्यशालाएँ तथा निर्देशन; फिल्म कला व तकनीक पर कार्यशालाओं में कक्षायें। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में विजिटिंग एक्सपर्ट। अनेक संस्थाओं के सहयोग से उत्तराखण्ड की ‘सांस्कृतिक नीति’ का प्रारूप तैयार करके प्रदेश सरकार को प्रस्तुत किया। मानव संसाधन मंत्रालय, सांस्कृतिक विभाग की प्रतिष्ठित सीनियर फेलोशिप प्राप्त की, जिसके अंतर्गत ‘विकलांगों के साथ रंचमंच: संभावनाएं व योगदान’ विषय पर कार्य; ‘रंगमंच में उल्लेखनीय योगदान’ के लिए अखिल भारतीय गढ़वाल सभा द्वारा सम्मानित; 2001 में ‘लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल सम्मान’ मिला।

Read More