कलावती रावत

विश्व महिला शीर्ष सम्मेलन निधि, जेनेवा के ‘ग्राम्य जीवन में रचनात्मक पुरस्कार’ से सम्मानित। ‘चिपको आन्दोलन’ की जननी दशौली ग्राम स्वराज्य मंडल की सक्रिय सदस्य। बछेर गाँव में बिजली की सुविधा के लिए महिलाओं को संगठित किया। महिला मंगल दल की अध्यक्षा। हिंदुकुश हिमालय के देशों की महिलाओं के संगठन ‘हिमवंती’ की उत्तराखण्ड क्षेत्र की संयोजक। जल, जंगल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा विवेकपूर्ण दोहन के लिए चल रहे विभिन्न आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका।

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सच्चिदानन्द भारती

चिपको जैसे सामाजिक तथा पर्यावरण आन्दोलन के कार्यकर्ता, दूधातोली लोक विकास संस्थान, बिनसर मंदिर समिति, चन्द्र सिंह गढ़वाली स्मारक निर्माण समिति के संस्थापक- संयोजक। कीनिया की संस्था इन्वायरनमेन्टल लियाजो सेन्टर द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सेवक’ पुरस्कार। उफरैखाल क्षेत्र में वन एवं जल संरक्षण का अनूठा प्रयोग जिसने एक सूखी जलधारा के प्राण लौटा दिए। ‘जल तलाई’ नाम से चर्चित यह अभियान वर्षा जल संग्रहण के द्वारा उफरैखाल और आस पास के गांवों के जलस्रोतों का पुनर्संभरण कर सका है। वन एवं जल संरक्षण के बाद ‘ग्राम देवता’ अभियान के तहत श्रमदान द्वारा गांवों में सामूहिकता का चेतना वापस लौटाने का प्रयास।1981 में ‘बदरीकाश्रम’ नामक पुस्तक का प्रकाशन।

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हर्षवन्ती बिष्ट

नन्दादेवी शिखर आरोहण, 1981; एवरेस्ट अभियान, 1984 में हिस्सेदारी. 2. अर्जुन पुरस्कार (1981) तथा 1984 में; उ.प्र. उच्च शिक्षा निदेशालय का स्वर्ण पदक; गढ़वाल हिमालय में पर्यटन विकास एवं पर्यावरण पर स्व. सुनील चन्द्र फैलोशिप (2000)

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नलिनीधर जयाल

1948-54, भारतीय वायु सेना; 1954-60, भारतीय सीमान्त प्रशासनिक सेवा; 1960-1985, भारतीय प्रशासनिक सेवा; 1985 से अब तक, संयोजक, हिमालय ट्रस्ट; 1987-96, प्रमुख, नेचुरल हैरिटेज विंग, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चरल हैरिटेज (इन्टैक)।1980-83, संयुक्त सचिव, पर्यावरण विभाग, भारत सरकार|1983-1985, सलाहकार, योजना आयोग, भारत सरकार|सदस्य, भारतीय पर्वतारोहण फाउण्डेशन|पर्यावरण संरक्षण की अनेक अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के पदाधिकारी व इसके लिए यात्राएं कीं। पर्यावरण पर अनेक लेख व कुछ पुस्तकें लिखी।

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