सहकारिता आधारित आन्दोलन के प्रारम्भकर्ता, दशौली ग्राम स्वराज्य मण्डल के संस्थापक, ‘चिपको आन्दोलन’ के सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्यकर्ता, पेड़ों को बचाने के साथ वृक्षारोपण तथा पर्यावरण चेतना के आन्दोलन को फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान। दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित। विभिन्न राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय समितियों के सदस्य। वर्तमान में राष्ट्रीय वन आयोग तथा अन्तरिक्ष विभाग की समिति के सदस्य। सैकड़ों लेख तथा अनेक पुस्तकें प्रकाशित।
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रस्किन बॉण्ड
पिछली आधी शताब्दी से लिख रहे हैं। बच्चों के लिए भी लिखा है। कुछ रचनाओं पर फिल्में बनी हैं। लगभग 75 किताबें प्रकाशित। अनेक भाषाओं में अनुवाद। साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा अन्य पुरस्कारों के अलावा पद्मश्री से सम्मानित।
Read Moreसुन्दर लाल बहुगुणा
अस्पृश्यता निवारण के लिए टिहरी में 1950 में ठक्कर बाबा छात्रावास की स्थापना तथा 1957 में गंगोत्री, यमुनोत्री व बूढ़ाकेदार के मंदिरों में हरिजन प्रवेश। ‘चिपको आन्दोलन’ का संदेशवाहक बना तथा पारिस्थितिकी आन्दोलन का स्वरूप दिया। जिसकी अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता के रूप में 1981 में स्टाकहोम का वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार मिला। उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों में 1000 मी से ऊपर के क्षेत्रों में हरे पेड़ों की व्यापारिक कटाई पर पाबन्दी लगी, जो हि.प्र. और उत्तराखण्ड में अब भी कायम है। इससे पूर्व 1965 से 1971 तक शराबबन्दी आन्दोलन में सक्रिय|1981-83, पारिस्थितिकी चेतना के लिए कश्मीर में कोहिमा तक की 4870 किमी. की पैदल यात्रा की।
Read Moreआदित्य नारायण पुरोहित
वनस्पति विज्ञान तथा उच्च हिमालयी औषधि पौधों पर विशिष्ट काम। पंजाब वि.वि., चण्डीगढ़ में वनस्पति विज्ञान विभाग में शोध अधिकारी रहे। नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग तथा गढ़वाल वि.वि. में अध्यापन। गोविन्द बल्लभ पंत हिमालयी पर्यावरण तथा विकास संस्थान के निदेशक तथा कोसी-कटारमल स्थित परिसर के निर्माता। गढ़वाल वि.वि., श्रीनगर में हाई एल्टिट्यूड प्लांट फिजियोलॉजी रिसर्च लैबोरेट्री तथा तुंगनाथ में फील्ड स्टेशन की स्थापना। इंस्टीट्यूट आफ बायलौजी, लन्दन के निर्वाचित सदस्य हैं। गढ़वाल वि.वि. के कार्यवाहक कुलपति भी रहे। ‘इन्टरनेशनल जर्नल आफ सस्टेनेबिल फारेस्ट्री’ के सम्पादक मण्डल के सदस्य हैं। अनेक शोध पत्र तथा पुस्तकों के लेखक। कई संस्थानों के सदस्य, विशेषज्ञ सदस्य, संयोजक और अध्यक्ष हैं। आपको एफ.एन.ए. का सम्मान भी मिला है।
Read Moreलोकमान एस. पालनी
प्रवक्ता, कुमाऊँ विश्वविद्यालयऋ पोस्ट डाक्टोरल फैलो एवं फैकल्टी मेम्बर, आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, आस्ट्रेलिया; संस्थापक अध्यक्ष, बायोटैक्नोलॉजी डिविजन, सी.एस.आई.आर. कॉम्प्लेक्स, पालमपुर (हि.प्र.) संस्थापक अध्यक्ष, इनवायरनमेंटल फिजियोलॉजी एण्ड बायोटेक्नोलॉजी, प्रभारी निदेशक तथा निदेशक, गो.ब. पन्त हिमालयी पर्यावरण एवं विकास संस्थान, कोसी (अल्मोड़ा)
Read Moreत्रिलोक सिंह पपोला
लखनऊ वि.वि., सरदार पटेल इंस्टटीट्यूट ऑव इकोनामिक एण्ड सोशल रिसर्च अहमदाबाद तथा बम्बई विश्वविद्यालय में शोध तथा शिक्षण कार्य। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑव मैनेजमेंट अहमदाबाद में प्रोफेसर। 1977 से 1987 तक गिरि इंस्टीट्यूट ऑव डवलपमेंट स्टडीज, लखनऊ के संस्थापक निदेशक/प्रोफेसर। 1987 से 1995 तक योजना आयोग के वरिष्ठ परामर्शी तथा सलाहकार। 1995 से 2002 तक ICIMOD काठमाण्डू में माउण्टेन इंटरप्राइजेज एण्ड इंन्फ्रास्ट्रक्चर डिविजन के प्रमुख। सम्प्रति- इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट, दिल्ली में प्रोफेसर। कैम्ब्रिज वि.वि. UNCTAD जिनेवा, ILO , UNDP, UNICEF,UNIDO आदि से भी सम्बन्धित रहे। अनेक चर्चित शोध पत्रों तथा पुस्तकों के लेखक और अनेक बार पुरस्कृत।
Read Moreश्री आनन्द सिंह नेगी
1969 में एस.एस.बी. में डैपूटेशन पर जाने से अनुभवों का विस्तार और अपने इलाके को जानने का तथा 1989 में कार्बेट नेशनल पार्क का डायरेक्टर बनने के बाद वन्य जीवों, उनके पर्यावरण तथा समाज से रिश्ते को गहराई से समझने का मौका मिलना।
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