शिवनन्दन प्रसाद डंगवाल

भारतीय पुलिस सेवा के विभिन्न पदों पर निष्ठापूर्वक कार्य किया। प्यार किया और प्यार पाया। अपने सहित सबके प्रति ईमानदारी बरती। युवाओं के नाम संदेशः अपनी मिट्टी से प्यार करो; अपनी शक्ति पहचानो और आसमान की ऊँचाइयों को छूने की कोशिश करो। तुममें वह सब है, जो हर बड़े आदमी में हो सकता है। जिसने अन्तर्शक्ति पहिचानी, श्रम और निष्ठा का मूल्य समझा, मानवता और मर्यादाओं का आदर किया, उसके ही रास्ते प्रशस्त हुए।

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दया किशोर आर्य

बड़े कमजोर हालात में छात्रावृत्ति के सहारे पढ़कर IPS में निकल जाने को मैं उपलब्ध् मानूंगा।ईमानदारी, कर्मठता, लगनशीलता व विनम्रता का सहारा लेकर जहाँ भी रहा सफल ही रहा।राजनीतिक प्रश्रय या अन्य प्रकार की बैसाखियों के बिना पहला IPS निदेशक बी.एस.एफ. अकादमी, महानिदेशक (पुलिस) मध्यप्रदेश, महानिदेशक आई.टी.बी.पी., महानिदेशक एन.एस.जी. एवं अंततः भारत के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल बी.एस.एफ. का महानिदेशक बन सका।सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल उ.प्र. का सलाहकार रहा।पर्वतारोहण, एडवेंचर वाटर स्पोर्टस, पर्यावरण व युवा कार्यों से आज भी प्रणेता के रूप में सम्बद्ध हूँ।

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एस. पी. चमोली

सेना में कमीशन और डीआईजी पुलिस पद से सेवानिवृत्त। पर्वतारोहण व साहसिक खेलों में ख्याति प्राप्त की। अभी तक 10 पर्वतारोहण, 1 स्कीइंग व 2 राफ्रिटंग अभियानों में हिस्सेदारी की है। सदस्य, इंडियन माउंटेनियरिंग फाउण्डेशन की गवर्निंग काउंसिल; चेयरमैन, स्पोर्टस क्लाइम्बिंग कम्पटीशन्स; सदस्य, उत्तरांचल पर्यटन सलाहकार समिति; राष्ट्रपति पुलिस पदक व रक्षा पदक से सम्मानित; ‘द ग्रेट हिमालयन ट्रैवर्स’ व ‘राफ्टिंग डाउन द मिस्टिक ब्रह्मपुत्र’ पुस्तकों का लेखन। हिमालय के पूर्व से पश्चिम तक 5000 किमी. से अधिक पदअभियानों का कीर्तिमान।ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रथम बार राफ्टिंग करके अभी तक का कीर्तिमान अटूट है।

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