गोविन्द बल्लभ सुन्दरियाल

शैक्षिक जीवन में सभी कक्षाओं में सर्वोच्च अंक, स्कूल, कालेज व विश्वविद्यालय सभी स्तरों पर मैरिट छात्रवृत्ति प्राप्त की। सेक्रेटरी (इंटरनेशनल अफेयर्स), फैडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री (फिक्की), 1981-90। सेक्रेटरी, ऑल इंडिया शिपर्स काउंसिल, 1978-90, सेक्रेटरी जनरल, एसोसिएशन ऑफ शिपर्स काउंसिल ऑफ बांग्लादेश, इंडिया, पाकिस्तान एण्ड श्रीलंका, 1985-87। सदस्य, संपादक मंडल तथा संयुक्त संपादक, इकानोमिक ट्रेंड्स. संस्थापक संपादक, शिपर्स डाइजेस्ट। वरिष्ठ अर्थशास्त्री/सलाहकार, बिड़ला इकोनोमिक रिसर्च फाउंडेशन (1990-97)।

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राजा राय सिंह

जिला कलेक्टर के रूप में मथुरा में नियुक्ति। 1957 में तत्कालीन गृहमंत्री गोविन्द बल्लभ पंत के विशेष सहायक, तत्पश्चात केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय में नियुक्ति। इस दौरान शिक्षा सम्बन्धी उच्च अध्ययन हेतु सोवियत यूनियन, जर्मनी, यू.एस.ए. और जापान की यात्रा की। एक वृहद् संगठन एन.सी.ई.आर.टी. (नेशनल काउन्सिल ऑव एज्यूकेशनल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग) का गठन करवाया। 1964 में उनकी सेवाएँ ‘यूनेस्को’ द्वारा आमंत्रित की गईं। बैंकाक (थाईलैण्ड) स्थित मुख्यालय में उन्हें एशिया महाद्वीप और प्रशान्त क्षेत्र के एक बहुत बड़े भाग में यूनेस्को के शिक्षा सम्बन्धी कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई। यूनेस्को में शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम- ए.पी.आई.डी. (एशिया पैसिफिक प्रोग्राम ऑव एज्युकेशनल इनोवेशन फार डेवलपमेंट) लागू करवाया। ‘एज्युकेशन इन एशिया एण्ड पैसेफिकः ट्रेण्ड्स एण्ड डेवलपमेंट’, ‘एज्युकेशनल प्लानिंग इन एशिया’ तथा ‘एज्यूकेशन फार द फ्रयूचर’ (अंग्रेजी भाषा) उनकी चर्चित पुस्तकें हैं। शिक्षा क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं के लिए कई एशियाई राष्ट्रों ने उन्हें सम्मानित किया तथा थाईलैण्ड विश्वविद्यालय ने मानद ‘डाक्टरेट’ की उपाधि दी।

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अर्जुन सिंह

पुलिस सेवा और बैंक सेवा में चयन होने के बावजूद मैंने अपने पिताजी की सलाह को मानते हुए प्रशासनिक सेवा में जाने का निश्चय किया। दूसरी बार उत्तरांचल विभाग के गठन के समय जब निहायत फालतू किस्म के व्यक्ति को इसका जिम्मा सौंपा जा रहा था, यह सोच कर कि इससे कुछ नतीजा निकलने वाला नहीं है, मैंने इस विभाग में जाने का निश्चय किया। यद्यपि मै उस वक्त बहुत अच्छी जगह पर था। अपने परिवारजनों को छोड़ कर तथा अपने शुभचिंतकों और परिजनों की नाराजगी के बावजूद मैंने देहरादून/नैनीताल के मिनि सेक्रेट्रिएट को अपनी सेवाएं देना तय किया।

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भैरव दत्त सनवाल

सी.वी. चिंतामणी ने आई.सी.एस. की प्रतियोगिता में भेजने का अनुरोध किया। 1941 में आई.सी.एस. में नियुक्ति। कुछ वर्ष पहले भैरव दत्त पाण्डे भी आई.सी.एस. में नियुक्त हुए। उत्तरांचल से आई.सी.एस. होने वाले हम दोनों ही समान नामधारी व्यक्ति हैं। न इससे पहले और न बाद में कोई व्यक्ति, ब्रिटिश साम्राज्य के स्टील फ्रेम कहे जाने वाले उच्चतम पद पर चयनित हुआ। उ.प्र. शासन में जिलाधिकारी पद से लेकर चीफ सेक्रेटरी पद से 1975 में रिटायर।

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वी.एन. शर्मा

एक मंदिर कमेटी के माध्यम से अपने लोगों व मातृभूमि के आध्यात्मिक, आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए काम करने जरिया ढूंढना। वर्तमान में प्राविडेंट फंड, नई दिल्ली में कमिश्नर.

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नन्दा बल्लभ लोहनी

आई.ए.एस. में अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए अनुकरणीय समर्पण भावना और कार्यकुशलता के लिए ‘जी.पी. श्रीवास्तव स्मृति सम्मान’। सेवानिवृत्ति के बाद अभी तक गुजराती भाषा की 10 पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद।

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ए.डी. मौडी

द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीय सेना में कार्यरत. निदेशक, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड. संस्थापक सदस्य- प्ब्प्डव्क्. सदस्य, योजना आयोग, 1979-80. विकास परियोजनाओं हेतु वरिष्ठ सलाहकार, जी.टी.जेड., आर्थिक सहयोग मंत्रालय, जर्मनी. चेयरमैन, सेन्ट्रल हिमालयन ईको डेवलपमेंट ऐसोसिएशन (चिया), 1980-91। पांच पुस्तकें प्रकाशित।

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